छत्तीसगढ़

धा-धा-किरकिट-धीना, धागिड़-धागिड़-धीना-धा मृदंग की थाप ने बांधा समा

Shantanu Roy
29 Jan 2023 3:07 PM GMT
धा-धा-किरकिट-धीना, धागिड़-धागिड़-धीना-धा मृदंग की थाप ने बांधा समा
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छग
रायपुर। धा-धा-किरकिट-धीना, धागिड़-धागिड़-धीना-धा की मृदंग की थाप ने सभा में समा बांध दिया, वहीं सितार वादन की मसीदखानी-रजाखानी, अलाप, जोड़ और झाला की लयबद्ध मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गौरतलब है कि राज्य युवा महोत्सव में प्रदेश के युवा उत्साह और उमंग के साथ स्पर्धा में हिस्सा ले रहे है। स्पर्धा के दूसरे दिन दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम के सिद्वी हाॅल में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय वादन विधा के अन्तर्गत आज मृदंग वादन और सितार वादन की प्रतियोगिता अयोजित की गई। मृदंग वादन की मनमोहक प्रस्तुति के उपरांत निर्णायक मंडल के वरिष्ठ मृदंग वादक त्रिलोचन सोना ने बताया कि मृदंग वादन एक प्राचीन विधा है। दरबारी काल में उत्सवों-महोत्सवों में मृदंग वादन होते थे। कर्नाटक संगीत शैली में मृदंग वादन, उत्तर भारतीय शैली में पखावज के नाम से जाने जाते है। यह कर्णप्रिय और हृदय में उत्साह और उमंग भर देने वाले वाद्य यंत्र है। मृदंग से ही तबला वादन निकलकर आये है। छत्तीसगढ़ के युवाओं में मृदंग के प्रति रूझान प्राचीन वादन शैली को आगे बढ़ाने की दिशा में और बेहतर होगा।
सितार वादन के निर्णायक मंडल में शामिल दीपक वाडेकर ने सितार वादन प्रस्तुति के बाद कहा कि सितार वादन कठिन शैली की वाद्य यंत्र है। कठिन वाद्य यंत्रों के प्रति सरगुजा, बस्तर जैसे दूरस्थ अंचलों के युवाओं में रूझान प्राचीन संगीत शैली को एक नई दिशा देगी। सितार वादन स्पर्धा में प्रतिभागियों ने पूरी तैयारियों के साथ हिस्सा लिया। स्पर्धा में भले ही प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान मिले, किन्तु संगीत कला हृदय में विराजमान होते है। मृदंग वादन के 15 से 40 आयु वर्ग में रायगढ़ के कन्हैया पटेल ने पहला स्थान प्राप्त किया। वहीं धमतरी के नवीन सोनी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की मृदंग वादन स्पर्धा में बिलासपुर संभाग के कोरबा जिले के टोलीराम आडिल प्रथम और रायपुर के देवराज विशाल द्वितीय स्थान और सूरजपुर के अमृत कश्यप ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सितार वादन के 15 से 40 आयु वर्ग में दो प्रतिभागी स्पर्धा में शामिल हुए। इनमें रायपुर के प्रसन्नजीत पाल ने प्रथम स्थान और सरगुजा के श्रीराम मिश्र द्वितीय स्थान पर रहे। मृदंग वादन के निर्णायक मंडल में संजय मैथिल, कुमार पंडित, त्रिलोचन सोना शामिल थे। इसी प्रकार सितार वादन प्रतियोगिता में दीपक वेडेकर, सुधीर पंडित, सुजीत राय शामिल थे।
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