छत्तीसगढ़

पुलिस की सख्ती के बाद भी बंद नहीं हो रही तस्करी

Nilmani Pal
2 Nov 2022 5:47 AM GMT
पुलिस की सख्ती के बाद भी बंद नहीं हो रही तस्करी
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ओडिशा से लगातार छग पहुंच रहा गांजा

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर/जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में गांजे की तस्करी लगातार बढ़ रही है। राजधानी सहित प्रदेश में पिछले दो सालों में करोड़ों के गांजा बरामद किए गए। अकेले बस्तर में पुलिस ने पिछले ढाई सालों में 7 करोड़ रुपए से ज्यादा का गांजा बरामद किया है। गांजा की तस्करी करते हुए लगभग 300 तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है। तस्करों ने ओडिशा से गांजा की तस्करी करने कई तरह के नए पैंतरे अपनाए लेकिन, फिर भी जवानों ने तस्करों को दबोच लिया। बताया जा रहा है कि, छ्त्तीसगढ़ के रास्ते ओडिशा से ही गांजा की तस्करी देश के कई शहरों में होती है। इसलिए ष्टत्र-ओडिशा बॉर्डर समेत शहरों के चेकिंग पॉइंट में जवानों को 24 घंटे मुस्तैद रहने के भी निर्देश दिए गए हैं।

आंकड़ों की बात करें तो बस्तर जिले में पुलिस ने कुल 148 प्रकरण दर्ज किए हैं। जिनमें साल 2020 में गांजा के 46 प्रकरण दर्ज हुए हैं। जिसमें तस्करों के पास से 3 करोड़ 15 लाख का 6287 किलो गांजा बरामद किया गया। वहीं, साल 2021 में 51 मामले सामने आए। पुलिस ने साल 2021 में कुल 2 करोड़ 66 लाख का 5080 किलो गांजा पकड़ा था। इसके अलावा साल 2022 में जनवरी से अगस्त महीने तक 51 मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस ने अब तक 1 करोड़ 27 लाख का 2000 किलो गांजा पकड़ा है।

तस्कर हर बार नया पैंतरा आजमा रहे

ओडिशा से गांजा तस्करी करने तस्करों ने कई नया पैंतरा भी अपनाया है। ट्रक में सामान के नीचे बोरियों में गांजा की तस्करी करना तो आम बात हो गई, लेकिन तस्करों ने ट्रकों में एक्स्ट्रा चैंबर बनाया। बोलेरो वाहन की छत में भी एक्स्ट्रा चैंबर बनाकर तस्करी कर चुके हैं। इसके अलावा ट्रकों के माध्यम से कुछ मशीनों की सप्लाई की जाती है तो उन मशीनों के अंदर भी गांजा के पैकेट्स छिपा कर तस्करी कर चुके हैं। ओडिशा से सब्जी बेचने आने वाले व्यापारी सब्जी के नीचे गांजा के पैकेट्स छिपाकर लाए हैं। हालांकि, पुलिस की सतर्कता से ही यह सब मामले उजागर हो पाए।

जंगल के रास्ते से होती है तस्करी

छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर में सुरक्षाकर्मी मुस्तैद रहते हैं। इसी वजह से तस्कर गांजा की तस्करी करने के लिए जंगल के रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, यह रास्ते कोई एक या दो जगह से निर्धारित नहीं होते हैं। हर बार अलग-अलग रास्तों से गांजा की तस्करी की जा रही है। नगर पुलिस अधीक्षक हेससागर सिदार ने बताया कि, तारापुर की जानकारी मिली थी। जहां चेकपोस्ट लगा दिया गया है। दूसरा लोकेशन माचकोट का इलाका है। यह नक्सल प्रभावित है। इसलिए चेकपोस्ट लगाना संभव नहीं है। लेकिन, पेट्रोलिंग वाहनों को लगातार घुमाया जाता है।

बड़े गिरोह के काम करने की आशंका

गांजा की तस्करी करने के लिए एक बड़े गिरोह के काम करने की आशंका जताई जा रही है। यही वजह है कि, हर बार पुलिस ने कई तस्करों को गिरफ्तार किया है। फिर भी तस्करी पर लगाम लगाना मुश्किल हो गया है। ढाई सालों के यह आंकड़े यह साबित कर रहे हैं कि कितने बड़े पैमाने पर ओडिशा से गांजा की तस्करी हो रही है। तस्कर छत्तीसगढ़ के रास्ते देश के अन्य शहरों तक गांजा पहुंचा रहे हैं। हालांकि, यह पुलिस की भी मुस्तैदी रही है कि उन्होंने 7 करोड़ का गांजा पिछले ढाई सालों में बरामद कर लिया है।

ओडिशा पुलिस नहीं करती कार्रवाई

छत्तीसगढ़ से लगे ओडिशा के मलकानगिरी और कोरापुट के जंगल से ज्यादा मात्रा में गांजा की तस्करी होती है। ये दोनों नक्सल प्रभावित इलाके हैं। इन दोनों जिलों के जंगल में बसे गांवों तक ओडिशा पुलिस की पकड़ नहीं बन पाई है। यही वजह है कि, गांजा तस्करों के हौसले बुलंद हैं। सवाल यह भी है कि जब तस्कर बड़ी वाहनों से सड़क मार्ग से गांजा की तस्करी करते हैं तब भी ओडिशा पुलिस उन्हें नहीं पकड़ती है।

नारकोटिक्स सेल गठन के बाद लगातार धर-पकड़

ओडि़शा-आंध्रप्रदेश से छत्तीसगढ़ होकर देशभर में गांजे की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। कई राज्यों में नारकोटिक्स सेल लगातार तस्करों की धरपकड़ कर गांजे की बड़ी-बड़ी खेप बरामद कर रही है, बावजूद इसकी तस्करी पर अंकुश नहीं लग रहा है। आंध्र-ओडि़शा से छत्तीसगढ़ का बड़ा सीमाई इलाका जुड़ा हुआ है ऐसे में तस्कर राज्य के सड़क व टे्रन रुट का इस्तेमाल गांजा तस्करी के लिए करते हैं। यहीं से होकर गांजे की बड़ी-बड़ी खेप मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड बिहार, उत्तरप्रदेश सहित तमाम उत्तर पश्चिम के राज्यों में पहुंचती है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने गांजा तस्करी रोकने प्राय: सभी जिलों में नारकोटिक्स सेल गठित किया है। सेल गठित होने के बाद तस्करों की धरपकड़ बढ़ी है लेकिन खुफिया तंत्र की नाकामी के चलते पुलिस दस में से महज एक-दो मामले ही पकड़ पाती है। बाकी मामलों में तस्कर अपने ठिकाने तक गांजा पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं। यही कारण है कि गांजे की बड़ी-बड़ी खेप छत्तीसगढ़ के रास्ते दूसरे राज्यों में पहुंच रही है। कल ही महाराष्ट्र नारकोटिक्स सेल और पुलिस ने मुंबई तथा वर्धा में करोड़ों के गांजे की दो बड़ी खेप पकड़ी है, अनुमान है कि गांजे की ये खेप भी तस्कर छत्तीसगढ़ के रास्ते ही वहां लेकर पहुंचे थे।

छग में ड्रग माफिया, सटोरिये, अपराधी बेखौफ

छगमें ड्रग माफिया से लेकर सटोरिये-जुआरी से लेकर अपराधी तक बेखौफ हैं। राजधानी से लेकर तमाम बड़े शहरों में अपराध और अवैध कारोबार करने वाले सक्रिय हैं। पुलिस जहां अपराध रोकने में नाकाम है वहीं ड्रग माफिया और सट्टा-जुआ के अड्डे बंद कराने में भी सफल नहीं हो पा रहीं है। अभियान चलाने के नाम पर छोटे अपराधियों और अवैध धंधों की छोटी मछलियों को ही पकड़ कर पुलिस अपराधियों, जुआरियों, सटोरियों को पकडऩे का दिखावा करती है। जबकि राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण में बड़े अपराधी, हिस्ट्रीशीटर, ड्रग माफिया और सट्टा-जुआ के सिंडीकेट चलाने वाले बेखौफ होकर अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार को भी अपराधियों, हिस्ट्रीशीटर्स और ड्रग व सट्टा माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उनके प्रापर्टी सीज करने के साथ अवैध निर्माण पर बुल्डोजर चलाने की कार्रवाई करनी चाहिए।

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