जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। देश में आईपीएल मैचों की शुरुआत होने जा रहा है, और बड़े बुकी 20 दिन पहले से ही रायपुर आ चुके है और यहा की बड़ी और महंगी होटलों में अपना अड्डा जमा चुके है। रायपुर में लगातार गांजे और सट्टे के कारोबारी सक्रिय होते जा रहे हैं जिस पर पुलिस का ध्यान तो जाता हैं, मगर ऐसे आरोपी गिरफ्तार होकर छूटने के बाद फिर से उसी आपराधिक धंधे पर उतर जाते हैं। सट्टेबाज लोग पुलिस के नाक के नीचे से अपना कारोबार चला रहे हैं। नशा और सट्टा कारोबार खुलेआम चलते रहता है पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी शहर में नशा सट्टा का अवैध कारोबार बंद नहीं हो पाया है। सट्टा का चलता अवैध कारोबार रायपुर की गलियों में आज भी बेशुमार है। पुलिस भी इन सभी लोगों पर छापेमार कार्रवाई किये जा रही हैं। मगर नतीजा शून्य ही है। जुए व नशाखोरी की लत तेजी से अपने पैर पसार रही है। इसकी गिरफ्त में युवा पीढ़ी भी आ रही है। शहर में ना अपराध खत्म हो रहे हैं ना ही अपराधिक गतिविधियां। मगर पुलिस भी इस पर रोक लगाने का निरंतर प्रयास कर रही हैं। और ऐसे आरोपियों को पकड़ कर थाने में बैठाकर रखती हैं। मगर सट्टा खिलाने वाले आरोपी जमानती अपराध करते है तो उनका जमानत भी जल्द हो जाता हैं। रायपुर के कई इलाकों में असामाजिक तत्व होते हैं, जो इन सभी आपराधिक गतिविधियों को सूचारू रूप से चलाने का काम करते हैं।
रामकुंड में चल रहा सट्टा कारोबार : रायपुर के आजाद चौक थाना क्षेत्र अंतर्गत रामकुंड बस्ती में भारी मात्रा में सट्टा खिलाया जाता हैं, जब इस बात की खबर जनता से रिश्ता को हुई तो जनता से रिश्ता के संवाददाता ने शहर में खुलेआम सट्टे चलाने वालों की गोपनीय रिपोर्ट तैयार की हैं। इन आरोपियों को पकड़वाने के लिए टीम शहर के बीच में कुछ थाना क्षेत्रों में सटोरियों के अड्डों में गई और सारा घटनाक्रम कैमरे में कैद की। इस दौरान सामने आया कि सटोरिए बाकायदा पर्ची में अंक काटकर दे रहे हैं, जिसके लिए लोग लाइन लगाकर अपने-अपने पसंदीदा नंबर लगा रहे हैं। वहीं, अंक आने पर उसी पर्ची को दिखाने से 90 गुना तक रकम वापस मिल जाती है। इतना ही नहीं, यह पूरा कारोबार थानों से महज 200 मीटर की दूरी पर ही संचालित हो रहा है। इसके बावजूद पुलिस की तरफ से इस पूरे मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सटोरियों और जुआरियों से पुलिस त्रस्त
शहर में बढ़ रहे अपराध पर अंकुश लगाने की पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी सट्टा-जुआ, अवैध नशीली दवाओं का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में पुलिस को गुंडे-बदमाशों के साथ सटोरियों और जुआरियों का फड़ लगाने वालों के साथ इन्हें संरक्षण देने वाले छुटभैया नेताओं से रोज जूझना पड़ता है। सामान्य तौर पर बड़े पुलिस अधिकारी और पुलिस के पुराने अधिकारी यह मानते है कि सारे अवैध कारोबार के पीछे राजनीतिक संरक्षण देने वालों का हाथ है, जिसके कारण राजधानी में सट्टा-जुआ और नशे के कारोबारियों पर हाथ डालते ही राजनीतिक दबाव बनना शुरू हो जाता है। पुलिस अपराध नियंत्रण करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग करने के साथ जागरूकता अभियान भी चला कर देख चुकी है। लेकिन अवैध कारोबार की चुनौती कम नहीं हो रही। अवैध कारोबार में राजनीतिक संरक्षण ही पुलिस के काम में सबसे बड़ा बाधक है।
बुकीज़ और सटोरी कानून से खेलते कब्बडी
सट्टेबाजों और अवैध कारोबारियों पर पुलिस अपना शिकंजा कसती जा रही हैं, मगर अपराधी पुलिस और कानून के चंगुल से कब्बडी खेलकर छूट जाते हैं, जिसके चलते गांजा, जुआ, सट्टा, और अवैध शराब का कारोबार अपना क्षेत्र विस्तृत करते जा रहा हैं। पुलिस को हर दिन कही न कही से ऐसे अपराधी मिलते हैं, मगर वो अपराधी पुलिस को भी चकमा दे जाते हैं। पुलिस जो ये पता होता हैं, कि सट्टा खिलाने वाले आरोपी खुलेआम सट्टा-पट्टी काट रहे हैं। मगर पुलिस भी इस पर रोक लगाने का निरंतर प्रयास कर रही हैं। और ऐसे आरोपियों को पकड़ कर थाने में बैठाकर रखती हैं। मगर सट्टा खिलाने वाले आरोपी जमानती अपराध करते है तो उनका जमानत भी जल्द हो जाता हैं।
सट्टे के बड़े खाईवाल बने इलाकों के दादा
रायपुर के सदर बाजार, आज़ाद चौक, पंडरी बस स्टैंड, नेशनल हाइवे, सब्जी मार्केट और चौक चौराहे में स्थित कई जनरल स्टोर्स, नाई व पान दुकानों में सट्टे लिखवाने वालों भीड़ देखी जा सकती है। खाईवालों के चक्रव्यूह में लोग इस कदर फंस चुके हैं की इससे उबर नहींं पा रहे हैं। शहर में एक दो नही बल्कि चार खाईवाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं। छुटभैय्या नेताओं और खाईवालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार शहर सहित आस-पास के आउटर इलाकों में पुरी तरह से चरम पर है। खाईवालों ने भी गांव व शहर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है। नशे के कारोबारियों और सट्टा और जुआ, हुक्काबार डांस पार्टी बार पर नकेल कसने के लिए कड़ा से कड़ा कानून जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों की कमेटी में सहमति बनाकर सदन में पेश कर पारित करना चाहिए। राज्य में कड़ा से कड़ा कानून लाना ही एक मात्र विकल्प है।
खुलेआम चल रहा सट्टा कारोबार
शहर खुलेआम सट्टा और जुआ का खेल चल रहा है। शाम होते ही सट्टा लगना शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। खुलेआम चले रहे इस कारोबार पर न तो पुलिस की नजर है और ना ही वह इस पर लगाम कसने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि यह कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। राजधानी का नामी सटोरिया जो कालीबाड़ी, नेहरू नगर, गाँधी नगर में अपना सट्टा कारोबार फैलाए हुए है। जिसकी वजह से रवि अभी शहर के बाहर घूम रहा है। मगर उसके गुर्गे शहर में उसकी कुर्सी के आड़ में उसके गुर्गे अपना कारोबार शुरू कर दिए है। वही रवि के गुर्गों ने अपना कारोबार चालू किया और उसके नाम का फायदा उठाते हुए महिलाओं और बच्चों को भी इस काले धंधे में उतार लिया है।
मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-
जो दिखेगा, वो छपेगा...