सुपोषण सहित अन्य वास्तविक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभाग सतत् प्रयास करे : कलेक्टर
धमतरी। कलेक्टर पी.एस. एल्मा ने आज महिला एवं बाल विकास विभाग तथा उसके अनुषांगिक समितियों की बैठक लेकर कहा कि कुपोषण को दूर करना और स्वस्थ समाज निर्मित करना विभाग की पहली प्राथमिकता है और उसे अपने इस लक्ष्य के पूर्ति के लिए सतत् प्रयास करना होगा। साथ ही विभिन्न योजनाओं की ऑनलाइन प्रविष्टियों में असमानता पाए जाने पर आंकड़ों में एकरूपता लाने के निर्देश कलेक्टर ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को दिए। इसके अलावा उन्होंने जलजीवन मिशन के तहत रनिंग वॉटर की उपलब्धता की वास्तविक स्थिति पर भी गहन समीक्षा की। कलेक्टर ने आज महिला एवं बाल विकास विभाग की बैठक लेकर विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की, साथ ही जिला बाल संरक्षण समिति, सखी वन स्टॉप सेंटर की गतिविधियों की समीक्षा एजेण्डावार की।
कलेक्टोरेट सभाकक्ष में आज दोपहर को आयोजित बैठक में विभिन्न एजेण्डों पर चर्चा करते हुए कलेक्टर ने कहा कि विभाग को पहले यह देखना होगा कि बच्चे नियमित रूप अपना आहार ग्रहण करे। सिर्फ आंगनबाड़ी केन्द्र में ही नहीं, घरों में भी उनके फूड हैबिट के बारे में जानकारी लेते रहें। उन्होंने यह भी कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका विभाग की रीढ़ होती है, इसलिए उनकी सुविधाओं और कार्यगत परेशानियों को भी करीब से समझने का कार्य सेक्टर सुपरवाइजर्स करें। पोषण पुनर्वास केन्द्र (लइका जतन ठउर) के संबंध में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि विभाग का मैदानी अमला ऐसी कार्ययोजना बनाए कि केन्द्र के बिस्तर खाली नहीं रहना चाहिए। इसके लिए पालकों के घर-घर जाकर समझाइश दें। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने विभागीय प्रगति की जानकारी देते हए बताया कि जिले में 1106 आंगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं जिनमें से 1102 वर्तमान में संचालित हैं। इन केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के 43, मिनी कार्यकर्ता के दो और सहायिका के 57 पद रिक्त हैं। कलेक्टर ने रिक्त पदो ंके विरूद्ध शीघ्र नियुक्ति करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने यह भी बताया कि केन्द्रों में टेप नल कनेक्शन के 1050 प्रकरण हैं जिनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 1034 स्वीकृत केन्द्रों में से 935 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। कलेक्टर ने कहा कि केन्द्रों में पेयजल सुविधा संबंधी कार्य जलजीवन मिशन से किया जाना है और किसी प्रकार की समस्या के लिए सेक्टर सुपरवाइजर्स अपने परियोजना अधिकारी को अवगत कराएं। पूरक पोषण आहार कार्यक्रम की जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि उक्त कार्यक्रम के तहत छह माह से 36 माह तक के 28 हजार 285 बच्चों की कुल संख्या के विरूद्ध औसतन 27 हजार 753 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। कलेक्टर ने शत-प्रतिशत बच्चों को लाभान्वित करने की बात कही।
महतारी जतन योजना की जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जिले के 41 सेक्टरों में 5262 गर्भवती महिलाओं एवं शिशुवती माताओं को पौष्टिक गर्म भोजन परोसा जा रहा है। लाभान्वित महिलाओं का प्रतिशत 90.67 है। इसी प्रकार जिले में बाल संदर्भ शिविर लगाकर 1064 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें से 392 को पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजने के लिए चिन्हांकित किया गया। योजनाओं की भौतिक प्रगति की सॉफ्टवेयर एंट्री में असमानता पर इसे सही कराने के व सभी प्रकार की प्रविष्टि जल्द कराने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन एंट्री से ही विभाग की प्रगति परिलक्षित होती है। इसके लिए एनआईसी अथवा ई-डीएम से तकनीकी मार्गदर्शन अथवा प्रशिक्षण दिलाने के लिए भी उन्होंने निर्देशित किया।
इसके अलावा जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि 1102 संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 221 पोषण वाटिका स्थापित की गई हैं। कलेक्टर ने इसकी संख्या में वृद्धि करने के लिए संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया। साथ ही प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना, नोनी सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, महिला जागृति शिविरों के आयोजन के संबंध में कलेक्टर ने एजेण्डावार चर्चा की। इस अवसर पर सभी ब्लॉक के परियोजना अधिकारी एवं सेक्टर सुपरवाइजर्स बैठक में उपस्थित थे।
जिला बाल संरक्षण समिति की हुई बैठकः- इसके पहले, जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान बताया गया कि बाल स्वराज पोर्टल में दर्ज 60 बच्चों में से 03 बच्चों को छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना का लाभ दिया जा रहा है। जिला बाल संरक्षण अधिकरी ने बालगृह में ट्यूशन के लिए शिक्षक की व्यवस्था करने की मांग इस दौरान की। उन्होंने यह भी बताया कि नशे में लिप्त बच्चों को ट्रेस कर उनमें से 38 बालकों का कौशल विकास के तहत काउंसिलिंग की गई जिनमें से 12 बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न एजेण्डों को बैठक में रखा जिन पर सकारात्मक चर्चा हुई। इसके उपरांत सखी वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी अधिकारी द्वारा जानकारी बैठक में रखी गई, जिसमें पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग से आवश्यक सहयोग की मांग की गई। इस पर कलेक्टर ने संबंधित विभागों को समन्वय स्थापित करने के लिए निर्देशित किया। बैठक में डीएसपी श्रीमती रागिनी तिवारी सहित संबंधित विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।