कुमारी शैलजा को ट्वीट कर पेंशनरों को केन्द्र के समान महंगाई राहत दिलाने की मांग
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र नामदेव ने राज्य के पेंशनरो को केन्द्र के समान महंगाई राहत देने में भूपेश सरकार के विलम्ब से दुखी होकर कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ मुख्यमन्त्री भूपेश बघेल को टैग कर ट्वीट कर आनेवाले विधान सभा चुनाव में होने वाली असर पर ध्यान देकर केन्द्र के समान 9℅ महंगाई राहत का एरियर के साथ भुगतान कर बुजुर्ग पेंशनरों के साथ न्याय करने की मांग की है. ट्वीट में मध्यप्रदेश शासन के द्वारा छत्तीसगढ़ शासन को प्रेषित 30 जनवरी 23 के पत्र को भी संलग्न किया है.
जारी विज्ञप्ति में उन्होंने आगे बताया है कि राज्य के पेंशनरों को महंगाई राहत के भुगतान में 22 साल से बाधक म प्र राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को हटाकर पेंशनरों के साथ न्याय करे.केन्द्र के समान 42℅ का आदेश करें. अन्यथा इसका असर चुनाव में जरूर पड़ेगा. जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) में दोनों राज्य की सहमति को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार जबरन बहानेबाजी बनाकर मनमानी करते आ रही है. अगर ऐसा नहीं है तो दोनों राज्य के पेंशनरो को महंगाई राहत के भुगतान के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा सहमति हेतु 30 जनवरी 23 के प्रेषित महंगाई राहत के प्रस्ताव को 4 महीने से क्यों लटका कर रखा गया है, छत्तीसगढ़ के साथ ही अस्तित्व पर आये झारखंड और उतराखण्ड में यह समस्या क्यों नहीं है यह भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश आपसी सहमति के नाम पर पेंशनरों के साथ खिलवाड़ कर रहे है और 22 वर्षो से लंबित इस दोनो मामले को मध्यप्रदेश शासन जानबूझकर टाल रही हैं और छत्तीसगढ़ शासन इसे नही समझ पा रही हैं और जबरदस्त वित्तीय नुकसान उठा रही हैं। पेंशनरों के मामले में मध्यप्रदेश सरकार पर आर्थिक निर्भरता के बाध्यता के लिये ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही जम्मेदार है और ब्यूरोक्रेसी द्वारा राज्य विभाजन के इन 22 वर्षो में मध्यप्रदेश के लगभग 5 लाख पेसनरो को छत्तीसगढ़ सरकार के खजाने से भुगतान में अरबों रुपये के हुए नुकसान से अंधेरे में रखने को आश्चर्य जनक निरूपित किया है। उन्होंने पेंशनरों की आर्थिक दुर्दशा पर ब्यूरोक्रेसी के साथ साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो को चिन्ता नही होने को दुर्भाग्यजनक जताते हुये उन्होंने छत्तीसगढ़ निर्माण के 22 वर्षो बाद भी राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को हटाने में आज तक ध्यान नही देने पर चिन्ता जाहिर किया है। इन सभी मामलों पर ब्यूरोक्रेसी ही मुख्यरूप से जिम्मेदार है और इसलिए जिम्मेदारी तय कर छत्तीसगढ़ सरकार को उन पर कार्यवाही करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के मामलों पर पुनरावृत्ति न हो।