छत्तीसगढ़

2 वर्षों से भीमा कोरेगांव मामले में कैद सुधा भारद्वाज के रिहाई की मांग

Admin2
10 Dec 2020 12:48 PM GMT
2 वर्षों से भीमा कोरेगांव मामले में कैद सुधा भारद्वाज के रिहाई की मांग
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रायपुर। सुधा भारद्वाज विगत 30 वर्षों से छत्तीसगढ़ के मजदूर किसान दलित आदिवासियों महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत रही हैं. छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के विशाल मजदूर आंदोलन के साथ-साथ वह पीयूसीएल छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन एवं कई अन्य संगठनों के साथ साथ जुड़ी रही तथा उनका महत्वपूर्ण योगदान भी रहा है. जनवरी 2018 में महाराष्ट्र में हुए भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में उन्हें 28 अगस्त को फरीदाबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया था. ज्ञात हो कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देशभर के कई अधिवक्ता मानव अधिकार कार्यकर्ता बुद्धिजीवियों सांस्कृतिक कर्मियों को इस मामले में फर्जी तरीके से फंसा कर कैद कर रखा गया है. जबकि इसमें से कितने ही लोगों का वहां हुए आयोजन से कोई संपर्क नहीं था. और ना ही वहां कभी गए है. सुधा भारद्वाज को भी इसी तरह एक फर्जी पत्र के आधार पर हंसा कर ढाई सालों से कैद कर रखा गया है. अभी तक उनके ट्रायल का शुरू ना होना महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद नए सरकार की पहल को देखते हुए इस केस को एनआईए को सौंप देना। एक गंभीर साजिश को दर्शाता है, सुधा भारद्वाज पूर्व से ही कई बीमारियों से ग्रस्त थी. तथा विगत कुछ दिनों में हृदय संबंधी अन्य समस्याओं के उभरने के बावजूद भी उनकी रिहाई ना होना उनके प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है इसी मामले में गिरफ्तार अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के रिहाई के लिए विभिन्न राज्यों के राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों ने अपने बयान जारी किए हैं तथा इस साजिश पूर्ण कार्यवाही का विरोध प्रदर्शित किए हैं उपरोक्त सभी समस्याओं को गंभीरता से देखते हुए छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) के कार्यकर्ता कलादास डेहरिया पीयूसीएल छत्तीसगढ़ के डिग्री प्रसाद चौहान शालिनी गेरा एवं काफी तादाद में कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि सुधा भारद्वाज की निःशर्त रिहाई के लिए उपयुक्त कदम आपके द्वारा उठाया जाना चाहिए। एवं काफी संख्या में कार्यकर्ता अम्बेडकर प्रतिमा घडी चौक के पास प्रदर्शन भी किये।

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