छत्तीसगढ़

दीपक ने रवि साहू को सिखाया धंधा, पुलिसिया संरक्षण ने बनाया सरताज

Admin2
28 May 2021 5:20 AM GMT
दीपक ने रवि साहू को सिखाया धंधा, पुलिसिया संरक्षण ने बनाया सरताज
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दीपक नायर (अन्ना) रायपुर शहर में एक समय का मशहूर सट्टा किंग था

मुंबई के भिंडी बाजार, डोंगरी, नागपाड़ा, मस्जिद बंदर की तर्ज पर रायपुर में डी कंपनी जैसे गैंग अपनी जमीन तैयार कर रहे...

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी में डी-कंपनी की तर्ज पर मुंबई की माया नगरी जैसा माहौल बनते जा रहा है। वरदान, हाजी मस्तान और करीम लाला गैंग की तर्ज पर मुंबई जैसे बड़े शहर में होने वाले अपराध अब रायपुर की गलियों में भी होने लगे हैं। रायपुर में रवि साहू गैंग और आसिफ गैंग के पीछे 3 पुलिस के बड़े अधिकारियों का हाथ है। दीपक नायर उर्फ अन्ना रायपुर शहर में एक समय का मशहूर सट्टा किंग था। जिसे गंभीर बीमारी हुई। विगत दिनों दीपक नायर (अन्ना) की मौत हो गई। पिछले दो सालों से नायर का धंधा उसका शागिर्द रवि चलाने लगा। रवि साहू ने दीपक नायर के धंधे में महारत हासिल कर ली। और पिछले 8 महीनों से रवि कालीबाड़ी इलाके में गांजा, सट्टा-जुआ चला रहा है। ये ऐसी कहानी लग रही है 1975 में गैंगस्टर वरदान, हाजी मस्तान और करीम लाला की तर्ज पर जो कहानी मुंबई में शुरू हुई थी। डोंगरी-भिंडी बाजार, नागपाड़ा, मस्जिद बंदर जैसे अपराधियों के लिए बदनाम व चर्चा में है। अब रायपुर में भी ये कहानी शुरू हो गई है।

मुंबई की माया नगरी से कम नहीं रायपुर की डी-कंपनी : रायपुर में अभी अब डी-कंपनी की तर्ज पर अपराधों को अंजाम दिए जा रहे है। बड़े कारोबारियों से हफ्ता वसूली और छुटभैय्या नेताओं से प्रोटेक्शन मनी लेकर रवि साहू गैंग खुद को रायपुर शहर में हुकूमत चलाने वाला समझ रहे है। रायपुर शहर को मुंबई की गलियों के जैसा बनाने में तुला हुआ है रवि साहू। रवि साहू अपनी गैंग के भरोसेमंद गुर्गों को वसूली के भेजता है। गोलबाज़ार मेन सब्जी मार्केट में गमछा बांधकर रवि साहू सट्टा लिखवाता है और अपने साथ रवि साहू ने बाउंसर भी रखे है जो पुलिस से उसे बचा सके। रायपुर में भी अब हर दिन गैंगवार होते जा रहे है जिसकी वजह है रवि साहू।

रायपुर सबसे बड़ा नशे का गढ़ : रायपुर में एक आम कहावत है, अक्सर तेज कारों की टिंटेड मिरर खिड़कियों पर देखा जाता है - 'वाय ड्रिंक एंड ड्राइव वेन यू केन स्मोक एंड फ्लाई' यानी पीकर गाड़ी चलाने की क्या ज़रूरत जब आप माल फूक कर सीधे उड़ सकते है। ये भाषा लोग दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में इस्तेमाल करते है लेकिन अब ये भाषा रायपुर के कारों में भी देखने को मिल जायेगा।

गांजा गढ़ रायपुर, हर गलियों में बिकता गांजा : शहर में नशे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में ऐसे स्थान भी हैं, जहां पुडिय़ा या माल बोले तो हाथ में तुरंत गांजे की पुडिय़ा आ जाएगी। चौंकाने वाली बात है कि यहां बच्चा-बच्चा इसको जानता है, लेकिन छुटभैय्या नेताओं के संरक्षण के चलते ये कारोबार आए दिन बढ़ते जा रहा है। गांजे का कारोबार शहर की गली-गली में इस कदर फैल चुका है कि कहीं थोड़ी दूरी पर तो कहीं घर से ही नशा बेचा जा रहा है। बेखौफ कारोबार करने वालों ने महिलाओं और बच्चों को भी इसमें झोंक रखा है। गांजे के तलबगार 50 या 100 रुपए देकर आसानी से नशा खरीद रहे हैं। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी नशे के सौदागर अपने कारोबार को बंद नहीं करते है। रायपुर में पुलिस का तंत्र कमजोर हो गया है। इस कारण नशा माफिया सक्रिय होकर इस अवैध कारोबार में तेजी पकड़ रहे हैं। पुलिस कभी कभार नशे के खिलाफ कार्रवाई करत नजर आती है लेकिन अभी तक सरगना तक पहुंच पाने में पुलिस नाकाम रही है।

रवि गैंग चला रहा गैंगवार

रवि के गुर्गे बड़े च्व्यापारियों से वसूली करते है। बड़े व्यापारी अपना टैक्स बेशक न चुकाते लेकिन अपराधियों से बचने के लिए वसूली जरूर चुकाते है। इसमें पुलिस वालों की भी कुछ हद तक शह रहती है। जब रवि का पूरा खाका तैयार हो रहा था और काले धन को सुरक्षित रखने के रास्ते खुल रहे थे। तब से रवि का फलना फूलना शुरू हुआ है। सट्टा कारोबार, तस्करी जैसे कारनामों का जन्म तभी हुआ था। सट्टा कारोबार तो रवि साहू की आड़ में इतना फला फूला कि तब से लेकर आ तक न ही इस पर रोक लग पाई और न ही कभी यह पता चल पाया कि सफेद पौशाक रायपुर में मौजूद होकर शातिर औऱ खाकी वर्दी में चुपके अपना काम कर जाने वाले वह शक्तिशाली लोग कौन है।

एक पुलिस अधिकारी ने नाम ना छापने के शर्त पर स्पष्ट रूप से कहा कि ये अपराधी पहले तो पकडे नहीं जायेंगे और अगर किसी कार्रवाई में इनकी गिरफ्तारी हो गई तब भी ये शातिर अपराधियों की गैंग इनका धंधा चलते रहेगी।

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