छत्तीसगढ़ में फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्रों के सौदागर सक्रिय
2.50 लाख में मिल रहा प्रमाण पत्र
मूल छत्तीसगढिय़ों के हक में डाका डाल रहे बाहरी गिरोह
मूल निवासी प्रमाण पत्र दलाल गिरोह के हाथों में पूरा सिस्टम 5 लाख लेकर प्रमाणीकरण करने तक का ठेका लेते है, सरकार चाहे तो जांच कमेटी से जांच करायें और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दें. जिससे छत्तीसगढिय़ों को न्याय मिलेगा...
रायपुर। राजधानी में चौकाने वाली खबर आ रही है। फर्जी मूल निवासी, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले रैकेट की सक्रियता ने नगर निगम से लेकर मंत्रालय तक खलबली मचा दी है। तहसीलदार और अन्य अधिकारी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र में छेड़छाड़ कर कई तरह के अपराधों को अंजाम देकर 2 से 2.5 लाख तक वसूली के खबर से सन्न रह गए हैं। रायपुर में सक्रिय रैकेट लोगों से मनमाने पैसे लेकर मनचाहे फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बांट रहे हैं। साथ ही स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी दो से ढाई लाख में गारंटी के साथ बनाने का दावा कर रहे है और बना भी रहे हैं। अधिकतर केस बाहरी प्रदेश के लोगों के साथ है और मूल छत्तीसगढिय़ा का सीएएफ और पुलिस में भर्ती के प्रति रूझान नहीं होने के कारण यूपी-बिहार और राजस्थान के लोग इस विभाग में अधिक से अधिक भर्ती में दिलचस्पी ले रहे हैं।
आम छत्तीसगढिय़ा एसआई, प्लाटून कमांडर और अन्य पदों में रूचि रखने के कारण इसका फायदा अन्य प्रदेश के लोग उठा रहे हैं। ऑनलाइन पोर्टल पर वास्तविक दस्तावेज वालों का काम नहीं होता, प्रमाणीकरण के लिए दलालों व्दारा 2.50 लाख में प्रमाणीकरण कर मूल निवास का प्रमाण पत्र जारी करवा दिया जाता है। हालांकि इस बात की स्पष्ट रूप से किसी ने पुष्टि नहीं की है, लेकिन दबे छुपे जुबान से कुछ अभ्यर्थियों ने बताया कि अधिकतर पदों पर बाहरी लोगों की ही भर्ती हो रही है। छग के जनप्रतिनिधि इस मामले को हल्के में लेकर कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। अधिकांश जन प्रतिनिधि बाहरी राज्यों के मूल निवासी होने के कारण अपने प्रदेश के लोगों का साथ देकर छत्तीसगढिय़ों के हक में डाका डाल रहे हैं। कुछ छुटभैया नेता भी इस रैकेट के हिस्से है जो पुलिस और अधिकारियों से सेटिंग कर काम को अंजाम दे रहे हैं। इस खुलासे के बाद खुद सरकारी विभाग भी सवालों के घेरे में हैं। छत्तीसगढ़ में फर्जी निवासी प्रमाण पत्र और मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए गांव के सरपंच से लेकर पटवारी तहसीलदार और विधायक तक सक्रिय होने की खबर है कई मामलों में तो 5,00,000 लाख रुपए तक मूलनिवासी प्रमाण पत्र का पैसा वसूला गया है । बीएसएफ, सीआरपीएफ में और जिला पुलिस बल में उसके अलावा लोकल परीक्षा में भी और CGPSC की परीक्षा में भी पास होने वाले अधिकांश अभ्यर्थी प्रदेश के बाहर के हैं। जिन्होंने फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाए अगर सरकार चाहे तो विगत 10 सालों के मूल निवासी प्रमाण पत्र की जांच कारण तब सारा मामला उजागर हो सकता है । जनता से रिश्ता के पास पुख्ता सबूत है।विगत 5 सालों में गैर छत्तीसगढिय़ों की भरती विभिन्न विभागों में हुई है, जिसे आगामी कुछ दिनों में सच्चाई और सबूत के साथ जनता से रिश्ता में खबर को प्रकाशित कर छत्तीसगढ़ की मूल निवासी जनता को जागरूक किया जाएगा। जिससे मूल छत्तीसगढिय़ों न्याय मिल सके।