छत्तीसगढ़

डेड लाइन खत्म, पर नहीं सुधरी सडक़ों की दशा...

Nilmani Pal
16 Jan 2023 5:43 AM GMT
डेड लाइन खत्म, पर नहीं सुधरी सडक़ों की दशा...
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अपनी पीठ खुद थपथपा रहे है पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, आह और वाह

शहर की सडक़ें खस्ता हाल, जनता बेहाल,गाड़ी की बढ़ गई खुराक, गटक रहा दोगुना पेट्रोल

जिम्मेदार अधिकारी दिए गए प्रपोजल पर सरकार की मंजूरी का कर रहे इंतजार

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। पीडब्ल्यूडी विभाग की रिपोर्ट बता रही है कि राजधानी सहित आसपास के के शहरों कस्बों को जोडऩे वाली सडक़ों पर वाहन चलाने के योग्य नहीं है। जिले में 1816 किलो मीटर सडक़ों की मरम्मत करना जरूरी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बारिश के बाद सडक़ों पर जो बड़े -बड़े गड्ढे हो गए है राजधानी की 14 सडक़ें सबसे खराब है। इन सडक़ों के मरम्मत के लिए पीडब्ल्यूडी ने प्रपोजल बनाकर सरकार को भेजा है। सरकार से हरी झंड़ी मिलते ही विबाग मरम्मत करना शुरू करेगा। गड्ढों के कारण गाडिय़ों की उम्र कम हो रही है। वहीं दूसरी ओर पेट्रोल -डीजल की खपत भी बढ़ गई है। टिकरापारा,भाटागांव, दतरेंगा, मुंडरा, जोरा, सड्डू, धनेली, की सडक़ों पर चलना आज भी दूभर है। परसुली डीह लमकेनी, डोंडरा,बोरिद, माखला, चंद्रखुरी, मोहदी, अड़सेना की सडक़ अत्यधिक दबाव के कारण पूरी तरह खराब हो चुकी है। इन सडक़ों के निर्माण लंबे समय से अटका पड़ा है। अधीक्षण यंत्री डीके नेताम का कहना है कि सडक़ों के पेंच वर्क का काम किया जा रहा है। वहीं कुछ सडक़ों की मजबूती और रिनुअल के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा भेजा है, सरकार की मंजूरी मिलते ही इन सडक़ों का काम शुरू कर दिया जाएगा। ऐसा लगता है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी की यह बात जनता के विरोध को कम करने के लिए कहा जा रहा है। शहर की प्रमुख सडक़ों की हालत खस्ता है। सडक़ों पर बड़े-बड़े गड्ढों व उखड़ी पड़ी गिट्टी से राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोक निर्माण विभाग इस ओर से आंख मूंदे बैठा है। शहर को राष्ट्रीय राजमार्ग व स्टेट हाईवे से जोडऩे वाले सभी मार्ग भले ही नगर पालिका सीमा में हैं और शहर के प्रमुख मार्ग हैं लेकिन इनका निर्माण व रखरखाव की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग की है।

खराब व जर्जर सडक़ों को दुरुस्त करने दिसंबर तक थी डेडलाइन

गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा था कि प्रदेश कीे खराब और जर्जर सडक़ो की मरम्मत तथा नवीनीकरण का कार्य दिसम्बर माह तक पूर्ण करने के नसीहत पर भी कोई तवज्जों नहीं दिया गया। हर सडक़ का वर्क प्लान तैयार करें और सडक़ों संधारण का कार्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण करें। गृह मंत्री साहू ने विभागीय अधिकारियों की बैठक में काम-काज की समीक्षा कर यह निर्देश दिए थे। मंत्री साहू ने सडक़ो के निर्माण के साथ-साथ मरम्मत और नवीनीकरण कार्यो में तेजी लाने के लिए मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कार्यपालन अभियंता को सप्ताह में 4 से 5 दिन के लिए निरीक्षण कर मॉनीर्टिग करने के निर्देश दिए। उन्होंने ए.डी.बी. के अंतर्गत बनने वाली सडक़ें जो घनी आबादी से गुजरती है, वहां बाई पास रोड बनाने कहा। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के ज्यादातर सडक़े वाटर लॉगिंग के कारण खराब हुई है, इन सडक़ो के किनारे नाली निर्माण किया जाए और जहां नाली में चोक हो उन्हें साफ कराया जाए। उन्होंने कहा की रोड संधारण कार्य व्यवस्थित तरीके से किया जाए। बैठक में गृह मंत्री ने बताया कि प्रदेश में लगभग 5 हजार किलोमीटर की सडक़ सामान्य स्थिति में है। 5 हजार 92 किलोमीटर सडक़ पर छोटे-मोटे पेच वर्क की आवश्यकता है। 4700 किलोमीटर की सडक़े जो थोड़ी खराब की स्थिति में है। उसमें पेच वर्क कर ठीक किए जा रहें हैं। केवल 433 किलोमीटर की सडक़े जो ज्यादा खराब है। इन सडक़ों का नवीनीकरण किये जाने की आवश्यकता है।

चलित प्रयोगशाला वाहन का लाभ नही

गृह मंत्री साहू ने सडक़ो की गुणवत्ता की जांच के लिए पांच चलित प्रयोगशाला वाहन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना की थी। ये चलित प्रयोगशाला सभी पांच संभागों में भेजी गई थी। इन चलित प्रयोगशालाओं से निर्माणधीन सडक़ों मेें इनपैक्ट वैल्यू टैक्स, डामर की जांच, ग्रेडेशन, फील्ड डेनसिटी आदि की जांच हो सकेगी। इसके वाबजूद सडक़ों की हालत सुधर नहीं रही है। इसके अलावा इन प्रयोगशालाओं से दूर्रा अंचलों सडक़ों की गुणवत्ता पर निगरानी रखने में मद्द मिलेगी। मंत्री श्री साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार विश्वास, विकास और सुरक्षा की नीति पर चलने के कारण नक्सल गतिविधियों में कमी आई है।

राजधानी से सटे माना से अभनपुर तक रोड में चलना मुश्किल तो ग्रामीण क्षेत्रों क्या हाल होगा उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में ही लिप्त है। पिछले दिनों दुर्ग के कलेक्टर ने वहां के कार्यपालन अभियंता अशोक श्रीवास को काम में लापरवाही और खामिया तथा सही मानिटरिंग नहीं कर पाने की वजह से जमकर फटकार भी लगाई थी। लोक निर्माण विभाग के विवादित अफसरों को मुख्य जिम्मेदारी दे दी गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं भी आदेश दिया था जिसे प्रभावी ढंग से नहीं करवा पाए।

बीते डेढ़ वर्ष से उक्त सडक़ों की स्थिति काफी बेकार है। बरसात के मौसम में शहर की यह सडक़ें पूरी तरह से उखड़ चुकी हैं, जिससे लोगों का काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों, विभिन्न संगठनों व कुछ राजनीतिक संगठनों द्वारा अनेकों बार सडक़ की मरम्मत कराने की मांग की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। बरसात को बीते हुए करीब तीन माह बीतने वाले हैं, लेकिन लोक निर्माण विभाग अभी तक चेता नहीं है।

जर्जर सडक़ें बिगाड़ रहीं स्वास्थ्य

जर्जर हो चुकी सडक़ों से राहगीरों व स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बड़े-बड़े गड्ढों में तबदील हो चुकी यह सडक़ें वाहनों की दुर्दशा तो कर ही रही हैं, साथ ही लोगों के शरीर व स्वास्थ्य पर भी बुरा असर कर रहीं हैं। इन बदहाल सडक़ों पर मोटरसाइकिल दौड़ाने वालों में कमर दर्द की बीमारी जन्म लेने लगी है। इसके अलावा हवा में उड़ रहे धूल के कण राहगीरों व स्थानीय लोगों को बीमार कर रहे हैं। साथ ही सडक़ों पर उखड़ी पड़ी गिट्टियां बड़ें वाहनों के पहियों के दबाव से उछलकर लोगों को घायल कर रही हैं। ववाहनों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। वहीं बड़े-बड़े व गहरे गड्ढों के कारण लोग दुर्घटनाओं का भी शिकार बन रहे हैं।

नहीं डाली दोबारा सडक़

रेलवे स्टेशन मार्ग पर स्थित कृष्णा टॉकीज से लेकर नेहरू नगर रेलवे क्रासिंग तक की करीब एक किलोमीटर सडक़ का निर्माण बीते जून माह में किया गया था। यह सडक़ पूरे एक माह की नहीं चली थी और बरसात शुरू होने से पहले ही उखड़ गई थी। स्थानीय लोगों व विभिन्न संगठनों की शिकायत पर जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम ने कार्यदायी संस्था को दोबारा उक्त सडक़ का निर्माण कराने के आदेश दिए थे। बीते माह उक्त ठेकेदार ने सडक़ निर्माण कार्य के नाम पर लीपा-पोती करके इतिश्री कर ली है। वर्तमान में भी उक्त मार्ग पर गड्ढे हैं।

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