छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा : नरवा विकास योजना से सुधर रही जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था

Nilmani Pal
22 Oct 2021 9:37 AM GMT
दंतेवाड़ा : नरवा विकास योजना से सुधर रही जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था
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दंतेवाड़ा। मुख्यमंत्री छ.ग. शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा विकास योजना अंतर्गत भू-जल संरक्षण हेतु अति महत्वपूर्ण योजना है। जिसका उद्देश्य वर्षा जल का संचयन कर मृदा क्षरण की रोकथाम कर वन एवं वन्यजीवों हेतु जल की आपूर्ति तथा वनाचंल के ग्रामीणों हेतु निस्तार एवं कृषि कार्य हेतु जल उपलब्ध कराना है। भू-जल स्तर को प्रोत्साहन देने हेतु एवं दूरस्थ वनांचल एवं कृषि कार्य हेतु वर्षा के पानी पर निर्भर होना पड़ता है। इस समस्या से निजात पाने एवं वनांचल के ग्रामीण आदिवासियों के आर्थिक उत्थान हेतु सुराजी योजना के तहत् नरवा विकास योजना तैयार किया गया है। जिससे क्षेत्र के विभिन्न नालों में वर्षाकाल के पानी का संचय कर उन्नत कृषि कर आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के संकल्प को साकार किया जा रहा है। योजना से नालों में जल संचय हेतु स्थल अनुसार विभिन्न संरचनाओं के निर्माण से जल संग्रहण होगा। जिससे भू-जल स्तर में सुधार होगा। जिसके फलस्वरूप वनों के पुनरूत्पादन एवं घनत्व में सघन वृद्धि होगी। वन्यप्राणियों के लिए पेयजल उपलब्ध हुआ। जिससे जैवविविधता का संरक्षण होगा। जिले में कैम्पा मद अंतर्गत नरवा विकास कार्य नगद नाला दन्तेवाड़ा वनमण्डल अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में दन्तेवाड़ा परिक्षेत्र के बालूद नाला क्रं.08 का चयन कर नरवा विकास योजना अंतर्गत कुल 31 संरचनाओं का निर्माण कराया गया। जिनकी कुल लम्बाई 1.62 कि.मी. एवं 288 हे0 जल संग्रहण क्षेत्र में उपचार का कार्य किया गया। जिसकी कुल लागत 37 लाख 77 हजार 997 रूपये है। नरवा विकास कार्य के अंतर्गत नाला उपचार के लिए रिसाव टैंक, चेक डैम, गेबियन संरचना, इत्यादि कार्य किये जा रहे है।

नरवा विकास के तहत ऐसी संरचनाओं को निर्मित किया जा रहा है। जिससे वर्षा जल को संचयन कर उसका उपयोग सिंचाई एवं निस्तारी के लिए उपयोग में लाया जा सके। उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धताए फसलों की सिंचाई के विकल्प के रूप में जल संचयन प्रणाली को विश्वव्यापी तौर पर अपनाया जा रहा है। भूस्तर पर पाये जाने वाले जल और बरसात के पानी का उपयोग नालों को पुनर्जीवित करने में किया जा रहा है।

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