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Raipur. रायपुर। छत्तीसगढ़ का आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिला, जो कभी नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए जाना जाता था, अब विकास और नवाचार की मिसाल बन रहा है। शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, जल संरक्षण, रोजगार और बुनियादी ढांचे में हुए अभूतपूर्व बदलाव ने जिले को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। ‘पढ़े दंतेवाड़ा-लिखे दंतेवाड़ा‘ अभियान के तहत 22,000 बच्चों को कक्षा अनुरूप दक्षता दिलाने के लिए उपचारात्मक कक्षाएं आयोजित की गईं। जावंगा में संचालित आस्था विद्यामंदिर इंग्लिश मीडियम स्कूल में नक्सल प्रभावित, शालात्यागी और गरीब 1,200 से अधिक बच्चों को सीबीएसई माध्यम की शिक्षा निःशुल्क प्रदान की जा रही है। वहीं, नवगुरुकुल आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में 150 युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
दंतेवाड़ा जिले के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भान्सी और गीदम में यूथ हब के माध्यम से 1,000 युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया गया। संगीत और कला में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए खैरागढ़ विश्वविद्यालय के अधीन स्थापित संगीत महाविद्यालय में जिसमें 39 छात्रों ने दाखिला लिया है। जिले में 10,264 किसानों को जैविक खेती से जोड़ा गया है और 65,289 हेक्टेयर भूमि पर जैविक प्रमाणीकरण किया गया है। 1,200 हेक्टेयर में पहली बार सनई (ग्रीन खाद) का उपयोग किया गया, जिससे धान उत्पादन में प्रति हेक्टेयर 7-8 क्विंटल की वृद्धि हुई। कडियापारा भूसारास एनिकट और फरसपाल जलाशय के जीर्णाेद्धार से 200 हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई। जल शक्ति अभियान के तहत मिट्टी और जल संरक्षण के लिए 7,826 संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 2,076 संरचनाओं पर कार्य प्रगति पर है।
दंतेवाड़ा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए पोटाली और अरनपुर में 62 लाख रुपये की लागत से आयुष्मान आरोग्य मंदिर का निर्माण और जीर्णाेद्धार किया गया। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10,545 टीबी मरीजों की जांच की गई, जिसमें 638 पॉजिटिव पाए गए और 419 मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत सहायता दी गई। मध्यान्ह भोजन योजना के तहत 36,786 बच्चों को लाभान्वित किया गया और उन्हें पूरक पोषण के रूप में अंडा और चना दिया जा रहा है। यूनिवर्सल एग योजना से 30,554 गर्भवती महिलाओं, शिशुवती माताओं और बच्चों को गर्म भोजन के साथ अंडा उपलब्ध कराया जा रहा है।
दंतेवाड़ा जिले में जन-सुविधा एक्सप्रेस अभियान के तहत 3.97 करोड़ रुपये की लागत से 5 बसें, 25 टाटा मैजिक और 7 बोलेरो का संचालन किया गया। आदिवासी स्वरोजगार योजना के तहत 26 हितग्राहियों को 13 लाख रुपये का अनुदान और 90 हितग्राहियों को 1.08 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। जिले में 26 नए मोबाइल टावर चालू किए गए, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में संचार की सुविधा बेहतर हुई। हेलीकॉप्टर के नाइट लैंडिंग सुविधा सहित हेलिपैड का निर्माण, डीटीएच कनेक्शन और टीवी जैसी सुविधाएं भी विकसित हुईं हैं। ‘मां दंतेश्वरी मंदिर‘ को शक्तिपीठ के रूप में विकसित करने की पहल की गई है। स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के तहत जिले में क्रिकेट ग्राउंड, फुटबॉल ग्राउंड, स्विमिंग पूल और कम्युनिटी पार्क जैसी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिले में गीदम से दंतेवाड़ा तक सड़क चौड़ीकरण और रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण प्राथमिक आवश्यकताओं में शामिल है। दंतेवाड़ा को जैविक जिला घोषित करने और किसानों के लिए विशेष ऋण योजनाएं लागू करने की पहल खेती-किसानी को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी।
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Shantanu Roy
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