दंतेवाड़ा : रेशम के धागे बुनकर, महिलाएं बढ़ा रहीं अपनी आय की डोर
दंतेवाड़ा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में लोगों को रोजगार के बढि़या अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। रेशम विभाग के रेशम कीट पालन योजनाओं का लाभ लेकर जिले के ग्रामीण इसे अपने लिए अतिरिक्त आय का जरिया बना रहे हैं। रेशम विभाग अंतर्गत रेशम केंद्र चितालंका में महिला रेशम कृमि पालन स्व सहायता समूह की महिलायें वर्तमान में शहतूती रेशम कृमिपालन का कार्य कर रही हैं। विभाग द्वारा प्रदत्त स्वस्थ्य डिम्ब समुहों से अण्डों की हेचिंग से लेकर कोसाफल की हार्वेस्टिंग तक कार्य समुहों की महिलाओं द्वारा विभाग की कर्मचारियों की देख रेख में किया जाता है। कृमिपालन के दौरान लगने वाले रसायन एवं उपकरण विभाग द्वारा प्रदाय किये जाते हैं, कृमिपालन पश्चात उत्पादित कोसाफलों को महिलाएं ककून बैंक रेशम विभाग के विक्रय कर आर्थिक आमदनी प्राप्त करती हैं।
अब तक इस कार्य से स्व सहायता समूह की महिलाओं को कुल 31 हजार 5 सौ 49 की आमदनी प्राप्त हुई है। इस समूह में 7 महिलाएं कार्यरत है जो 4-5 हजार रूपये मुनाफा कमा रही है। वर्तमान में समूह की महिलाएं 350 मलबरी स्वस्थ डिम्ब समूह का कृमिपालन कार्य कर रही हैं, कोसा उत्पादन का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है। उत्पादित कोसे को विक्रय कर अच्छे लाभ की आशा रखती है रेशम केंद्र चितालंका में कार्यरत समूह की महिलाएं विगत कई वर्षों से मलबरी रेशम कृमिपालन का कार्य कर रहीं हैं और इनसे होने वाली लाभ से ये महिलाएं संतुष्ट हैं। कृमिपालन से अर्जित आय से अपने घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए परिवार के लिए जरूरी सुविधाएं जुटा रही है।