रोज सामने आ रहे ऑनलाइन ठगी के मामले
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में ऑनलाइन ठगी करने वालों ने अब जोर पकड़ लिया है। रोजाना ठगी लोग किसी न किसी को अपने झांसे में लेकर उनसे पैसे ऐंठ ही लेते है। लॉकडाउन में लोग अधिकतर ऑनलाइन शॉपिंग किया करते है। जिसकी वजह से ऑनलाइन पेमेंट भी किया जाता है। उसके बाद ठगी करने वाले शातिर लोग इसका फायदा उठाकर लोगों से ठगी करते है। आज के बदलते दौर में साइबर अपराध के बढ़ते मामले चिंताजनक है। शहर का दायरा और आर्गनाइजेशन बढऩे से अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। धीरे-धीरे साइबर ठगी के केस भी बढ़ रहे है। साइबर ठगी ऐसा विषय है जिससे व्यक्ति को पता नहीं होता कि वह ठगा जा रहा है। यह भी पता नहीं होता कि कौन ठगी कर रहा है। पुलिस के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती है कि केवल ठग का मोबाइल नंबर पता होता है। साइबर अपराध की प्रवृत्ति सरल से कठिन होती जा रही है।
शहर में साइबर अपराध बढे : जिले में साइबर क्राइम का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। विभिन्न थानों में आए दिन इससे संबंधित मामले दर्ज कराए जाते रहे हैं। संसाधन के अभाव में किसी मामले का पर्दाफाश करने में पुलिस को सफलता नहीं मिल पा रही है। हालांकि, जिला पुलिस ने साइबर क्राइम मॉनिटरिग के लिए साइबर सेल का गठन भी किया है, लेकिन अनुसंधान को अपेक्षिक गति नहीं मिल पा रही है। पकड़े जाने का भय नहीं रहने से साइबर अपराधी बेखौफ घटना को अंजाम दे रहे हैं।मौजूदा समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, आनलाइन शापिंग, गेमिंग डाटा स्टोरेज, आनलाइन जॉब और यहां तक कि कोरोना काल में आनलाइन स्टडीज का प्रचलन बढ़ा है। साइबर अपराधों के साथ-साथ आनलाइन गुंडागर्दी भी काफी बढ़ चुकी है।
साइबर क्राइम पुलिस के लिए चुनौती
साइबर अपराध का बढ़ता ग्राफ पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। शातिर अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को झांसे में लेकर ठगी का शिकार बना रहे हैं। इन शातिरों को गिरफ्त में लेने के लिए पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों को विवेचना का स्तर बढ़ाना होगा। रायपुर में साइबर अपराध बढ़ते जा रहे है। लोग ठगियों के झांसे में आकर अपना सब कुछ लूटा रहे है। बैंक खातों से पैसे की अवैध निकासी के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं।
ऐसे बनाते हैं शिकार
दरअसल इन दिनों साइबर अपराधियों ने बड़ी-बड़ी नामी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट और एप का क्लोन बना लिए हैं। ये वेबसाइट आपको ऑरीजनल वेबसाइट के जैसी ही लगेंगी। वेबसाइट के प्रोडक्ट्स पर भारी ऑफर और डिस्काउंट देकर फंसाया जाता है। लेकिन जब इन वेबसाइट्स या एप्स पर पेमेंट कर दिया जाता है तो उसके कुछ देर बाद ये लिंक गायब हो जाता है। इस तरह साइबर अपराधी बड़े ही शातिराना अंदाज में लोगों को चूना लगा रहे हैं। साइबर सेल ऐसी घटनाओं की जांच कर रहा है लेकिन ऑनलाइन लिंक डिलीट होने की वजह से इस तरह के क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रही है।
ऑर्डर कैंसल करने पर भी हो रही है ठगी
इसके अलावा सोशल मीडिया पर शॉपिंग लिंक देकर भी लोगों के साथ ठगी की जा रही है। इसमें पहले ऑर्डर कम दाम में बुक किया जाता है। इसके बाद उसे ठग कैंसल कर देते हैं। फिर रिफंड के नाम पर ठगी की जाती है। लोगों से 1 हजार रुपये में पैंट-शर्ट ऑर्डर किया जाता है। बाद में कोरोना काल में डिलिवरी बॉय नहीं होने की बात कहकर आर्डर कैंसल कर दिया जाता है। इसके बाद रिफंड देने के नाम पर ठगबाज लोग 1 लाख ठग तक ठग लिया जाता है।
ऑनलाइन पेमेंट का झांसा देकर कर रहे ठगी
राजधानी में फोन-पे के यूजर्स को रिवॉर्ड और कैशबैक देने का झांसा देकर सायबर क्रिमिनल फोन कर रहे हैं। वॉलेट (फोन-पे एप) में लिंक भेजकर खाते में सेंध लगा रहे हैं। दो दिनों में शहर के 30 से ज्यादा लोगों को ठगों के फोन आ चुके हैं। कुछ लोग ठगी का शिकार भी हुए हैं। हालांकि कहीं केस दर्ज नहीं हुआ है। लगातार शिकायत पर रायपुर सायबर सेल ने अलर्ट जारी किया है। एसएसपी अजय यादव ने लोगों से अपील की है कि किसी भी ई-वॉलेट कंपनी के फोन आए तो उसकी पड़ताल कर लें। पुख्ता होने पर ही उनसे खाते की जानकारी शेयर करें। ई-वॉलेट में आए लिंक को न खोलें और ओटीपी भी न बताएं। क्योंकि रिवॉर्ड के नाम पर ठगी की जा रही है। ठग खाते में सीधे सेंध लगा रहे हैं। एसएसपी अजय यादव ने बताया कि उनके पर ज्यादातर फोन-पे के यूजर्स ने फोन किया है। रिवॉर्ड व कैशबैक के नाम पर ठग फोन कर रहे हैं। उनके वॉलेट पर लिंक भेजा जा रहा है। उसे क्लिक करके प्रोसेस करने को कहा जा रहा है। प्रोसेस करने पर ठग खाते में सेंध लगाते हैं। क्योंकि अधिकांश लोग फोन-पे, पेटीएम, गुगल-पे जैसे वॉलेट का उपयोग कर रहे हैं। इन वॉलेट का उपयोग करने पर कुछ रिवॉर्ड या कैशबैक मिलता है। इसी का फायदा अब ठग उठा रहे हैं। कंपनी के नाम से फोन करके रिवॉर्ड देने का झांसा दे रहे हैं। सायबर एक्सपर्ट ने बताया क फोन करके या मैसेज भेजकर लोगों से ठगी की जा रही है। ठग वॉलेट में लिंक भेजने का दावा करते हैं। उसमें कैशबैक, आकर्षक पुरस्कार या रिवॉर्ड देने का झांसा दिया जाता है। ठग लिंक को क्लिक करने या अनलॉक करने के लिए कहते हैं। जैसे क्लिक करते हैं तो कुछ जानकारी मांगी जाती है। उसके बाद फोन पर ओटीपी आता है। उसके बाद खाते से पैसा निकल जाता है। सोशल मीडिया में भी ठग फर्जी लिंक भेजकर ठगी कर रहे हैं। कंपनी के नाम से हूबहू लिंक पोस्ट कर रहे हैं।
कैशबैक का झांसा, एक रुपए जमा करते ही एक लाख पार
ई-वॉलेट में कैशबैक देने का झांसा देकर ठगी की घटनाएं बढ़ते जा रही है। ठग खाते में लिंक भेज रहे है, जिसे खोलते ही खाते की जानकारी ठगों के पास पहुंच जाती है। ठग खाते में सेंध लगाते है। राजधानी के दो लोगों से कैशबैक देने का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी की गई है। साइबर सेल की टीम दोनों मामलों की जांच में जुट गई है। पुलिस ने बताया कि मठपारा के दीपक सर्वे मलेरिया विभाग में सुपरवाइजर है। उनके पास 29 जून को फोन आया कि उनके खाते में एक रुपए जमा किया गया है। उन्हें कैशबैक मिला है। उन्होंने लिंक को खोलकर देखा, उसके बाद खाते से 1 लाख निकाल लिया गया है। उन्होंने तुरंत बैंक में अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पैसा नहीं मिल पाया है। वहीं सेजबहार निवासी सुनील त्रिपाठी केपीएस स्कूल में पीआरओ है। उनके पास 23 जून को फोन आया है कि ई-वॉलेट से वे लगातार बिल का भुगतान कर रहे हैं। इसलिए उन्हें एक हजार का कैशबैक मिला है। उनके वॉलेट में एक लिंक भेजा गया है। उसे खोलते ही खाते में पैसा आ जाएगा। सुनील ने लिंक को क्लिक किया। उसके बाद खाते से अलग-अलग किश्त में एक लाख रुपए कट गया। फोन पर ट्रांजेक्शन का मैसेज आया तो उन्होंने बैंक के अधिकारियों से संपर्क किया। पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने ट्रांजेक्शन रोकने के लिए मेल किया, तब तक ठग ने पैसा निकाल लिया था। इसलिए उन्हें पैसा नहीं मिल पाया है।