छत्तीसगढ़

'नरबलि' अंधी श्रद्धा या शिक्षा पर श्राप: पूजा स्थल पर सिर काटकर चढ़ाने के पाप की सजा फांसी

Rounak Dey
18 Oct 2022 8:53 AM GMT
नरबलि अंधी श्रद्धा या शिक्षा पर श्राप: पूजा स्थल पर सिर काटकर चढ़ाने के पाप की सजा फांसी
x

'नरबलि' सी डरावनी कुप्रथा का यह किस्सा है, छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले का. इस मामले में पुलिस की तफ्तीश के आधार पर घटना के अगले ही साल आरोपी कातिल तांत्रिक दिलीप को रायगढ़ जिला कोर्ट ने मुजरिम करार देकर "फांसी" की सजा दी थी. फांसी की सजा सुनाए जाने वाले दिन अभियोजन पक्ष के वकील अनिल कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया से आधिकारिक रूप में तमाम बातें तब शेयर की थीं. जिनके मुताबिक, 11 साल के मासूम प्रवीण की बलि चढ़ाने वाले तांत्रिक, दिलीप राठिया की उन दिनों उम्र करीब 32 साल रही होगी. उसने उस जघन्य हत्याकांड को अंजाम 6 फरवरी सन् 2012 की रात में दिया था. बच्चे प्रवीण को दिलीप राठिया धोखे से अपने साथ बुलाकर ले गया था. उसके बाद एक पूजा स्थल के करीब ही बच्चे प्रवीण का सिर गड़ा हुआ मिल गया.

नरबलि के दोषी को फांसी की सजा

बाद में जब पुलिस ने परिवार वालों के बयान पर संदिग्ध के रूप में दिलीप राठिया को गिरफ्तार किया. तो उसने बच्चे की "नरबलि" देने का जुर्म कबूल लिया. उसी की निशानदेही पर पुलिस ने एक धार्मिक स्थल से 11 साल के प्रवीण का सिर बरामद किया था, जबकि धड़ दूसरी जगह पर मिला था. बाद में प्रवीण के अपहरण और कत्ल का मुकदमा कोर्ट में चला. इस मामले का मुकदमा कोर्ट में भी तेज गति से चलाया गया था. जिसका परिणाम यह रहा कि, अप्रैल 2013 में यानि घटना के करीब एक सवा साल के अंदर ही कातिल तांत्रिक को, उसके द्वारा अंजाम दी गई मासूम के कत्ल की घटना में, रायगढ़ के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार साहू की कोर्ट ने कातिल को फांसी की सजा सुनाई थी.

अकाल मौत का खौफ

सुना जाता है कि जिस दिन "नरबलि" के मुजरिम दिलीप राठिया को कोर्ट से फांसी की सजा मुकर्रर कर दी गई. उस दिन उससे मीडिया ने तमाम सवाल किए थे. जिनके जवाब में वो चुप्पी साधे रहा. हां, अकाल मौत का खौफ कितना डरावना होता है. फांसी की सजा सुनाए जाने वाले दिन दिलीप राठिया का चेहरा कोर्ट रूम में देखकर, इसका अंदाजा कोई भी साफ साफ लगा सकता था.

नरबलि के मामलों की जांच बेहद जटिल

नरबलि के मामलों में सजा का अनुपात बेहद कम रहने के बारे में टीवी9 भारतवर्ष ने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी और दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर एल एन राव (डीसीपी लक्ष्मी नारायण राव) से बात की. पूर्व डीसीपी और देश के चंद नामी एनकाउंटर स्पेशलिस्टों में शुमार एल एन राव ने कहा कि नरबलि के मामलों की जांच बेहद पेचीदा मतलब जटिल होती है. नरबलि एक बेहद मजबूत षडयंत्र के साथ अंजाम दी गई कत्ल की घटना होती है.

Rounak Dey

Rounak Dey

    Next Story