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सरगुजा। आपसी रंजिश में मीटर रीडिंग बढ़ाकर बिल भेजने और कनेक्शन काटने के मामले में स्थायी लोक अदालत सरगुजा ने CSPDCL के अधिकारियों को 9 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। अधिकारियों ने बिल भुगतान के 13 साल बाद फिर से अतिरिक्त 23 हजार 973 यूनिट का डेढ़ लाख बिजली बिल भेज दिया था। एक किश्त जमा करने के बाद भी बिजली कनेक्शन काट दिया था। जानकारी के मुताबिक, गोधनपुर निवासी जितेंद्र यादव (35) के घर पर 21 मार्च 2001 को बिजली कनेक्शन लगाया था। 21 मार्च 2001 से 31 दिसंबर 2013 तक उसके घर के मीटर की कुल रीडिंग 14 हजार 375 यूनिट हुआ था। जिसका संपूर्ण बिल भुगतान जितेंद्र यादव द्वारा दिसंबर 2013 तक कर दिया गया था।
इस बीच पांच मार्च 2014 को उनके पास बिजली का बिल आया तो उसमें 13 साल बाद कुल रीडिंग 14 हजार 375 से बढ़ाकर 38,557 यूनिट कर दिया गया। 13 साल बाद पूर्व के भुगतान किए गए बिल में विद्युत विभाग की ओर से 23,973 यूनिट की बेतहाशा वृद्धि कर दी गई। इसमें अतिरिक्त रीडिंग का 1 लाख 52 हजार 818 रुपए बिल भेज दिया गया। जितेंद्र यादव ने रीडिंग सुधार के लिए 20 मार्च 2014 को आवेदन दिया तो पुनरक्षित बिल 25 मार्च को घटाकर 1 लाख 14 हजार 730 रुपए कर दिया गया। युवक द्वारा पुनरक्षित बिल में से 37 हजार 913 रुपए का भुगतान भी किया गया था। इसके बाद 11 अगस्त 2015 को युवक के घर का कनेक्शन काट दिया गया था। युवक ने सहायक अभियंता विद्युत वितरण कम्पनी मर्यादित को आवेदन देकर मीटर हटाने का आग्रह किया था।
आवेदक जितेंद्र यादव के द्वारा पुनः नए कनेक्शन के लिए आवेदन दिया गया तो उसके घर में कनेक्शन नहीं दिया जा रहा था। ऐसे में युवक द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम में आवेदन दिया गया और उपभोक्ता फोरम से भी 1 लाख 597 रुपए सरचार्ज न लगाते हुए मासिक किश्त की सुविधा के साथ भुगतान करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने मानसिक क्षतिपूर्ति 5 हजार रुपए व वाद व्यय 1500 रुपए बिल से घटाने को कहा था, लेकिन निर्णय के बाद भी विभाग की ओर से कोई सुविधा युवक को नहीं दी गई।
युवक द्वारा मार्च 2019, जुलाई 2021 और नवंबर 2022 को दोबारा कंपनी को आवेदन कर न्यायालय का आदेश पालन करने का आग्रह किया गया, लेकिन जब उन्होंने न्यायालय का आदेश नहीं माना तो युवक द्वारा स्थायी लोक अदालत में आवेदन दिया था। मामले में कोर्ट की ओर से कंपनी को नोटिस जारी कर सुनवाई की जा रही थी। इस दौरान विद्युत विभाग की ओर से भी पक्ष रखा गया। सुनवाई के बाद आज स्थायी लोक अदालत जन उपयोगी सेवाएं अध्यक्ष उर्मिला गुप्ता ने सीएसपीडीसीएल के सहायक अभियंता गांधीनगर व मुख्य अभियंता के खिलाफ अपना फैसला दिया है। पीठासीन अध्यक्ष गुप्ता ने आवेदक को मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 9 लाख रुपए 30 दिन के अंदर प्रदान करने का आदेश दिया है। निर्धारित समय के बाद 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी प्रदान करना होगा। फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है कि बढ़े हुए बिल के लिए आवेदक उत्तरदायी नहीं है। निर्णय के दो दिनों के अंदर आवेदक के घर का कनेक्शन बहाल किया जाए।
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Shantanu Roy
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