जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में वकीलों की बाढ़ आ गई है, तहसील और कलेक्टोरेट में बिना डिग्रीधारी जिनके पास वकालत की सनद नहीं वो भी सीनियर वकीलों के साथ मिलकर असिस्टेंड बनकर काम करने की सूचना मिली है। पहले कलेक्टर गार्डन में फर्जी जमानत लेने वालों भीड़ लगी रहती थी, वहां दलाल फर्जी पट्टे और जमीन के खसरा बी वन लेकर जमानत लेने का काम करते थे। लेकिन पिछले दो साल सख्ती के चलते फर्जी जमानतदार नौ दो ग्यारह हो गए हैं। अब चौकाने वाली खबर यह है कि रायपुर में तहसील और कलेक्टोरेट में बिना सनद वाले लोग वकालत कर अपराधियों को छुड़ाने का गिरोह चला रहे है। जिसकी सत्यता जिला बार एसोसिएशन को करनी चाहिए जिससे उनके अधिकार क्षेत्र में फर्जी वकील अतिक्रमण नहीं कर सके। रायपुर में भी बिलासपुर की तरह जांच कमेटी बननी चाहिए जो सत्यता को सामने लाए।
वहीं बिलासपुर में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ बार काउंसिल को भंग कर दिया है। इसके साथ ही तीन सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया गया है, जो अगले छह महीने में फ र्जी और सही वकीलों की पहचान करने के साथ चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करेगी। दरअसल, छत्तीसगढ़ बार काउंसिल को वकीलों की पहचान कर चुनाव कराने का नियत समय खत्म होने पर दो बार एक्सटेंशन दिया था। लेकिन इस अवधि में भी छत्तीसगढ़ बार काउंसिल के प्रक्रिया पूर्ण नहीं कर पाने को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने गंभीरता से लेते हुए काउंसिल को ही भंग कर दिया है। इसके साथ तीन सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया है, इसमें छत्तीसगढ़ के एडवोकेट जनरल, अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और प्रतीक शर्मा शामिल हैं। यह विशेष समिति राज्य बार काउंसिल में पंजीबद्ध वकीलों का बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफि केट एंड प्लेस ऑफ प्रेक्टिस (वेरिफि केशन) रूल्स 2015 के तहत वेरिफि केशन करने के साथ-साथ छह महीने के भीतर चुनाव की प्रक्रिया को पूर्ण करेगी।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया है कि वकीलों के वेरिफि केशन के बिना चुनाव नहीं होंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ छत्तीसगढ़ बार काउंसिल के हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग में बताया गया कि 2016 तक राज्य बार काउंसिल में पंजीकृत सदस्यों की संख्या 26096 थी, वहीं 25 जनवरी 2021 तक यह संख्या बढ़कर 29228 पहुंच गई। वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान 12204 अधिवक्ताओं ने ही फार्म जमा किए, इनमें से महज 9741 लोगों ने एलएलबी के मार्कशीट अटैच किए, इनमें से महज 1691 अधिवक्ताओं के मार्कशीट यूनिवर्सिटी से वेरिफ ाई हो पाएं हैं। जानकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ में फ र्जी वकीलों की तादात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इनमें एक तरफ ऐसे वकील हैं, जिनके पास पर्याप्त शैक्षणिक योग्यता नहीं हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे वकील हैं, जिनके पास डिग्री तो है, लेकिन वकालत के पेशे में सक्रिय नहीं हैं। केवल मतदान के लिए ही काउंसिल की सदस्यता लिए हुए हैं। माना जा रहा है कि ऐसे तमाम अधिवक्ताओं की पहचान कर काउंसिल की सूची से हटाया जाएगा, जिससे साफ-सुथरा चुनाव हो सके।
लायसेंस की प्रक्रिया
एलएलबी पास करने के बाद लाइसेंस के लिए आल इंडिया स्तर पर परीक्षा होती है जिसमें पास होना पड़ता है, तब जाकर वकालत का लायसेंस वकीलों को मिलता है। ये परीक्षा साल में दो से तीन बार होती है। एक बार में अगर परीक्षा पास नहीं कर पाए तो और भी चांस मिलता है। साथ ही नोटरी के लिए कम से काम 7 साल प्रेक्टिस करना अनिवार्य होता है। प्राय: देखा गया है कि राजनीतिक रसूख रखने वाले दिग्गज अधिवक्ता अपने रसूख के दम पर भी नोटरी बना सकते है।
अधिवक्ताओं को स्टायफंड की भी सिफारिश
देखा गया है कि शुरू में जो नए अधिवक्ता वकालत करने आते है उनको केस बहुत ही काम मिलता है, लगातार चार से पांच साल रही तो वकालत छोड़ अन्य काम धंधे में लगना पड़ता है। जबकि अधिवक्ता अधिनियम 1960 के मुताबिक लायसेंस मिलने के बाद वकील दूसरा धंधा नहीं करने हेतु बाध्य है। लेकिन वर्तमान हालत को देखते हुए बात करें तो नए वकीलों के लिए यह किसी त्रासदी से काम नहीं है / इन्ही त्रासदी को देखते हुए छत्तीसगढ़ बार कौंसिल ने नए वकीलों को स्टायफंड देने के लिए बार कौंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखा था जिसे स्वीकार करते हुए लगभग 45 लाख रूपये भेजा भी गया था। ताकि अधिवक्ताओं को स्टायफंड के रूप में एक निश्चित राशि हर माह दिया जा सके और पेशे से जुड़े रहें।
किया जा सकता है निलंबित
अगर अधिवक्ता आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहता है या ऐसी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता पाई जाती है तो उक्त वकील का लायसेंस कुछ निश्चित अवधि के लिए सस्पेंड भी किया जा सकता है। इस विषय में यह बताना लाजिमी होगा कि कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ बार कौंसिल के चैयरमेन ने हाई कोर्ट के एक अधिवक्ता को तीन माह के लिए निलंबित कर दिया था। बार कौंसिल के इस फैसले से सस्पेंडेड वकील उपरोक्त अवधि तक वकालत नहीं कर सकता। राजधानी में भी बिना डिग्री धारी वकीलों की हो पहचान, जिला बार कांउसिल सदस्यता देने के साथ सनद की भी सत्यतता की जांच करे