छत्तीसगढ़

भाजपा में बढ़े विघ्नसंंतोषी, असंतुष्ट नेताओं की भीड़

Nilmani Pal
6 Sep 2023 6:29 AM GMT
भाजपा में बढ़े विघ्नसंंतोषी, असंतुष्ट नेताओं की भीड़
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पैसे वालों और बाहुबलियों को टिकट देने का लग रहा खुलेआम आरोप

भाजपा में पैराशूट वाले नेताओं की चांदी, वरिष्ठों की जानबूझकर उपेक्षा

रायपुर (जसेरि)। भाजपा हाई कमान और स्थानीय नेतृत्व ने चुनाव से पहले 21 टिकट पर नामों की घोषणा कर मुसीबत मोल ले लिया है। भाजपा के लिए जी-जान से आजीवन काम करने वाले कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर पैसे वालों को टिकट देने का आरोप सीधे लग रहा है। भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों की दूसरी सूची फिलहाल हालात को देखते हुए रोक दी गई है। भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक और उसके बाद दूसरी सूची जारी होने से पहले सियासी घमासान तेज हे गई है।भाजपा के बहुत करीबी सूत्रों के कहना हा कि अब टिकट की घोषणा चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद जारी हो सकता है। या कांग्रेस की सूची जारी होने के ठीक बाद दूसरी सूची जारी हो सकती है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली में आयोजित जी-20 और लोकसभा के विशेष सत्र को लेकर व्यस्त है। जिसके चलते न तो पीएम समय दे रहे है और न ही संससदीय बोर्ड की बैठक होने की कोई उम्मीद नजर आ रही है। पहली सूची में 21 नामों की घोषणा करने के बाद भाजपा में असंतुष्टों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है। जो चुनाव में पार्टी के हित में नुकसानदायक साबित हो सकती है।

ताजा मामला गरियाबंद का है, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरलीधर सिन्हा ने राजिम से टिकट नहीं देने पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह के पार्टी के निर्णय फायदे की जगह नुकसान देही साबित होंगे। उन्होंने फेसबुक में लिखा है कि वे कुबेर पुत्र नहीं है, इसलिए पार्टी में कोई अहमियत नहीं है, बार-बार उपेक्षा के शिकार सिन्हा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए फेसबुक में लिखा है कि भाजपा ने रोहित साहू के टिकट देकर जिस तरह से अपमानित किया है वह बर्दास्त के बाहर है। रोहित साहू जकांछ के नेता है जो साल भर पहले भाजपा में शामिल हुए है। उनके पास कोई बहुत बड़ा पद नहीं था,लेकिन पैसे में दम होने के कारण टिकट लेने में कामयाब हो गए। भाजपा मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में आजकल दो तरह के नेताओं की भीड़ उमड़ रही है एक तो जो टिकट पा लिए और दूसरे जो टिकट सूची में नाम शामिल कराने के लिए नेताओं से मिलने के लिए एड़ी-चोटी से जोर लगा रहे है। 21 प्रत्याशियों के जो नाम घोषित हुए है उसे बदलने के लिए नेताओं से मिलकर अपनी पीड़ा सुनाकर पैराशूट वालों को टिकट देने के आरोप तक लगा रहे है। यदि 69 सीटों में इसी तरह वरिष्ठों और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई तो भाजपा एक बार फिर से संकट में आ जाएगी। इसलिए टिकट की घोषणा को अटका कर रखी है। कांग्रे्रस के नामों की घोषणा या चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद टिकट के नामों की घोषणा कर सकती है। लोकल बड़े नेताओं की पूछपरख नहीं होने से सीधे कुशाभाऊ ठाकरे परिसर की ओर रूख कर रहे है। ताकि केंद्रीय नेताओं को बताया जा सके कि छत्तीसगढ़ की तासिर अन्य प्रदेशों से अलग है, एक बार लोकसभा में सारे प्रत्याशियों को बदलने पर 9 सीटों जीत हो सकती है बार-बार नहीं । विधानसभा चुनाव तो विशुद्ध स्थानीय मुद्दे पर होता है,यदि वरिष्ठों को तवज्जो नहीं दिया गया तो मामला बिगड़ सकता है।

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