
रायपुर। लीलागर नदी जांजगीर-चांपा और बिलासपुर के बीच बहती है। अब इसके उफान पर होने से दोनों जिला मुख्यालयों का संपर्क ग्रामीण इलाकों से कट गया है। ग्रामीण इलाकों में जलभराव के कारण लोग घर छोड़ने को मजबूर हैं। वे जान जोखिम में डालकर नदी नालों को पार कर रहे हैं। पामगढ़ क्षेत्र का खरखोद गांव भी टापू बना हुआ है। यहां बने संकरी पुलिए के ऊपर से पानी बह रहा है, फिर भी लोग जान जोखिम में डालकर बिलासपुर और शिवरीनारायण इलाके में आवागमन कर रहे हैं।
इस गांव तक पहुंचने के लिए दूसरा रास्ता भी है, लेकिन वो 20 किलोमीटर लंबा है। लोग दूरी और समय बचाने के लिए जान जोखिम में डाल रहे हैं। जांजगीर-चांपा जिले के खरखोद समेत कुछ जलमग्न वाले इलाकों से लोगों को मोटर बोट के जरिए निकाला गया है।
खरखोद गांव के उपसरपंच सुनील खूंटे ने बताया कि बाढ़ की वजह से गांव के हालात बदतर हो हो चुके हैं। सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ में बर्बाद हो चुकी है। लोगों के घरों में पानी घुस चुका है, बिजली भी नहीं है। ऊपर से सांप-बिच्छुओं और जहरीले कीड़ों का डर अलग सता रहा है। गांव के गौठान, चारागाह सभी डूब चुके हैं। किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इधर बाढ़ का पानी उतरने के बजाए लगातार बढ़ रहा है।