छत्तीसगढ़ बना भ्रष्ट अधिकारियों का चारागाह
घर बैठे निरीक्षण कर लेते है यात्रा भत्ता : औषधि निरीक्षकों द्वारा फर्म का निरीक्षण घर बैठे-बैठे किया जाता है। औषधि निरीक्षक मालिक से इंस्पेक्शन बुक मंगा कर आफिस / घर पर मोटर सायकल से यात्रा दिखाकर भत्ता लेते हैं। क्या शासन को ऐसे घुसखोर औषधि निरीक्षकों को यात्रा भत्ता दिया जाना न्यायसंगत होगा। साथ ही सहायक औषधि नियंत्रक जिनको प्रशासनिक अनुभव नहीं होता उनको मुख्यालय में स्थापना प्रभारी अधिकारी बनाया गया है ।
रायपुर (जसेरि)। खाद्य और औषधि विभाग भ्रष्ट अधिकारियों का चारागाह बना हुआ है। जहां अधिकारियों की मिली भगत से नकली दवा उत्पादक और विक्रेता चांदी काट रहे है। शिकायतों को रद्दी की टोकरी में पटक दिया जाता है। प्रदेश में नकली वाताहारी वटी की सप्लाई की जड़ तक पहुंचने के लिए ड्रग डिपार्टमेंट में केस दर्ज नहीं कराएगा बल्कि अपनी जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस की मदद लेगा। इंदौर से सप्लाई होने की जानकारी के बाद जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। वहां के औषधि विबाग से इसमें कोई मदद नहीं मिल रही है। इ,स मामले में दूसरे राज्यों के कुछ स्टाकिस्टों के बारे में सुराग मिला है। रायपुर में कुछ दिनों पहले खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम नेे दस करोड़ के नकली वटी की सप्लाई इंदौर से किए जाने की बात सामने आई है। मगर खाद्य एवं औषधि विभाग आगे ही नहीं बड़ पा रहा?
होलसेलर तक पहुंची टीम : प्रदेश में लगातार नशीली दवा और सीरप के मामले में पुलिस के हाथ बड़ी सफलता मिली है। खपने वाली दवा गुजरात के मेहसाणा से संबंधित है, और वहां के होलसेलर को पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस अधिकारियों को कहना है कि टीम पिछले एक सप्ताह से गुजरात में डेरा डाले हुए है। जल्दी ही पुलिस बड़ा खुलासा कर सकती है। पुलिस को नकली दवा का लिंक अक्टूबर में आजाद चौक में 3 लाख के टेबलेट के साथ तस्कर को पकड़ा था।
आयुष ने मांगी रिपोर्ट : नकली वाताहारी के मामले में आयुष ने जानकारी मांगी है। वहीं खाद्य एवं औषधि विभाग के संचालक पी दयानंद ने बताया कि इसके लिए डीसीए को पत्र प्रेषित किया है। अधिकारियों को कहना है कि पत्र फ्रेषित किए जाने की जानकारी तो मिली है, लकिन उन तक लेटर नहीं पहुंचा है। मामला आयुर्वेदिक दवाओं से जुड़ा है इसलिए आयुष को संज्ञान लेकर अपने स्तर पर परखना की आवश्यकता है। इस मामले में खाद्य एवं औषधि विभाग के सहायक नियंत्रक बसंत कुमरा कौशिक ने बताया कि नकली वाताहरी वटी के मामले में जांच की जाएगी।
खबर यह भी आ रही है 20 करोड़ों का लेनदेन का नकली दवाइयों को हटाया गया चोरी की घटना काल्पनिक घटना है ऐसा जानकारों का और दवाई विक्रेताओं का कहना है कि नाम नहीं छापने की शर्त पर उन्होंने यह बताया कि पूरे बाजार में चर्चा है छत्तीसगढ़ में नकली दवा सबसे ज्यादा बिकती है और यहां की पुलिस यहां के अधिकारी सभी लोग पैसे का लेनदेन खुलेआम करते हैं चोरी गई दवा की जगह पु_ा जब्ती कर गरीब देवार बस्ती की महिलाओं को आरोपी बनाकर पेश कर दिया गया। राज्य के विपक्ष के नेताओं और कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी अभी तक नकली दवाओं के मामले में कोई आवाज नहीं उठाई है।
आश्चर्य का विषय है कि छत्तीसगढ़ की जनता नकली दवाइयों की मार झेल रही है. महंगाई की मार झेल रही है और दवाइयों की ब्लैक मार्केटिंग की मार झेल रही है। कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार में स्वास्थ विभाग का पूरा अमला लिप्त है इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों का खामोश रहना और मामले में लीपापोती की कोशिश होना शासन-प्रशासन की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। नकली दवा की जब्ती और जांच में ही लीपापोती अकेला मामला नहीं है।