ब्रांडेड व बड़े नाम के नकली व जहरीले उत्पादों से आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
सामान ब्रांडेड है या फर्जी, इस तरकीब से मिनटों में करें पहचान
आज कल मार्केट में बड़े ब्रांडों के नाम पर धड़ल्ले से नकली इलेक्ट्रॉनिक व अन्य प्रोडक्ट्स बिक रहे हैं। ऐसे में कई लोग प्रोडक्ट लेने में धोखा खा जाते हैं। ऐसे में इन तरीकों से आप नकली और असली प्रोडक्ट को आसानी से पहचान सकतेे हैं।
किसी भी बड़ी कंपनी की पहचान उसका लोगो होता है। ऐसे में अगर आप कोई कंपनी का प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो उस कंपनी के लोगो को ध्यान से देखें। क्योंकि, कोई भी कंपनी अपने लोगो को इस तरह बनाती है जिसे कॉपी करना आसान नहीं होता है। अगर आप कंपनी के लोगो के हर बारीकियों पर ध्यान से देखेंगे तो आपको उस प्रोडक्ट के असलियत के बारे में पता चल जाएगा।
आप किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उस प्रोडक्ट के पैकेजिंग पर जरूर ध्यान दें। क्योंकि, बड़ी कंपनियों अपने पैकेजिंग पर खासा ध्यान रखती हैं। ऐसे में अगर आप किसी प्रोडक्ट को खरीद रहे हैं तो उसके बॉक्स पर ध्यान देें की कहीं उस प्रोडक्ट का बॉक्स पहले से खुला हुआ है या नहीं।
किसी भी प्रोडक्ट के साथ मिलने वाला चार्जर कंपनी का ओरिजनल चार्जर होता है। ऐसे में अगर आप कोई प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो उसके साथ मिल रहे चार्जर पर जरूर ध्यान दें। इसके लिए आप प्रोडक्ट खरीदने से पहले उसके वेेबसाइट पर जाकर चार्जर के बार में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर लें जैसे चार्जर के साइट से लेकर उसके फीचर्स के बारे मेें अच्छे से पढ़ लें। इससे आप प्रोडक्ट खरीदते समय कभी धोखे में नहीं आएंगे।
अगर आप किसी बड़ी कंपनी का प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो आपको बता दें ऐसी कंपनियां अपनी क्वालिटी से समझौता नहीं करती हैं। इसके लिए आप खरीदारी करते समय प्रोडक्ट की क्वालिटी को अच्छे से देखें। ऐसे करने से आप नकली प्रोडक्ट खरीदने से बच सकेंगे और धोखा नहीं खाएंगे।
कोई भी बड़ी कंपनी अपने प्रोडक्ट के साथ मैन्युअल गाइड जरूर देती है। इस मैन्युअल गाइड के जरिए आप प्रोडक्ट के बारे में अच्छे से जान सकते हैं। इसलिए जब भी आप कोई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो उसके मैन्युअल गाइड को ध्यान से पढ़े कि कही उस पर लिखे गए वाक्य और शब्द में कोई गलती तो नहीं है। ऐसा करने पर आप कभी भी धोखे में नहीं रहेंगे।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी सहित समूचे छत्तीसगढ़ में ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं। न सिर्फ नकली प्रोडक्ट बिक रहे बल्कि इन नकली उत्पादों का निर्माण व पैकेजिंग भी छत्तीसगढ़ विभिन्न शहरों में ही हो रहा है। राज्य के खाद्य एवं औषधि व उपभोक्ता संरक्षण विभाग की उदासीनता से खाद्य पदार्थों से लेकर ब्रांडेड कंपनियों के इलेक्ट्रानिक्स, फैब्रिक्स, कास्मेटिक वस्तुओं के नकली उत्पाद राज्य में आसानी बेचे व बनाए जा रहे हैं। राज्य के रायपुर, तिल्दा, भाटापारा, चकरभाठा, भिलाई-दुर्ग, रायगढ़, चांपा, धमतरी, बिलासपुर में नकली उत्पाद बनाने के कुटीर उद्योग चल रहे हैं। कई फैक्ट्रियां भी हैें जहां ब्रांडेड कंपनियों के हूबहू प्रोडक्ट तैयार और पैकेजिंग किए जाते हैं। संबंधित विभाग यदाकदा कार्रवाई कर गोदामों में दबिश देती है तब कहीं नकली उत्पाद जब्त होते हैं लेकिन व्यापारिक संगठनों और राजनीतिक दलों के छुटभैये नेताओं के दबाव में मामले दबा दिए जाते हैं। जिससे नकली उत्पाद बनाने और बेचने वालों के हौसले बुलंद हैं।
कॉस्मेटिक सामानों की प्रदेश में जांच की व्यवस्था नहीं
प्रदेश में क्रीम, पाउडर, स्क्रबर, क्लींजर, फेशियल पैक, आई ब्रो, लिपस्टिक और नेल पॉलिश जैसे सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पादों की यहां जांच ही नहीं हो पाती है। जांच नहीं तो सैंपलिग भी नहीं होती। राज्य के लैब में जांच की सुविधा मौजूद नहीं होने के कारण ही सौन्दर्य प्रसाधन उत्पादों के नमूने तक नहीं लिए जाते हैं। राज्य स्तरीय लैब के लिए केवल नहाने के साबुन और टूथपेस्ट का नमूना ही लिया जाता है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की राज्य स्तरीय प्रयोगशाला इस स्तर की नहीं है कि सभी अमानक सौंदर्य प्रसाधन सामग्री की जांच कर सके। इस वजह से विभाग सौन्दर्य प्रसाधन के तमाम उत्पादों में से केवल साबुन और टूथपेस्ट की ही जांच करता है।
सरकारी प्रयोगशाला में सिर्फ एक ही ड्रग एनालिस्ट है। वही दवाओं के सैंपल की जांच करते हैं। इस वजह से कॉस्मेटिक की जांच नहीं हो पाती। इसी वजह से में नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं। न केवल राजधानी बल्कि पूरे राज्य में बिकने वाली प्रसाधन सामग्री की जांच के लिए रायपुर में औषधि प्रशासन विभाग की प्रयोगशाला राज्य स्थापना के दो साल बाद बनाई गई है। लेकिन जांच करने वाली मशीनें अब तक चालू नहीं हो सकी हैं। प्रयोगशाला में एक साल के अंदर सौन्दर्य सामग्री के केवल एक दर्जन उत्पादों की जांच की गई है। जिनमें साबुन और टूथपेस्ट जैसे प्रोडक्ट शामिल है। जिनकी जांच रिपोर्ट में कुछ भी नहीं मिला है। बैसे भी जांच उन उत्पादों की हुई ही नहीं है जिनमें नकली और मिलावट का खेल है। विभाग की जांच केवल औपचारिकता बन कर रह गई है।
नकली उत्पादों से जीडीपी को 1 लाख करोड़ से ज्यादा की चपत
नकली उत्पादों की खरीद-फरोख्त से बीते साल अर्थव्यवस्था को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। 2019-20 में जालसाजी या नकली उत्पाद बनाने-बेचने की घटनाओं में भी 30 फीसदी इजाफा हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी में नियमित और संगठित आपूर्ति सेवाओं पर असर की वजह से नकली उत्पादों को पांव पसारने का ज्यादा मौका मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल फरवरी से अप्रैल तक नकली उत्पाद बनाने-बेचने के 150 मामले सामने आए जिसमें अधिकतर जाली पीपीई किट, सैनिटाइजर्स और मास्क से जुड़े थे। महामारी की वजह से इन उत्पादों की मांग अचानक बहुत बढ़ गई थी और संगठित आपूर्ति शृंखला इसकी भरपाई नहीं कर पा रही थी।
दुनिया का 3.3 फीसदी व्यापार नकली
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के अनुसार, दुनिया में नकली उत्पादों का कारोबार कुल व्यापार का 3.3 फीसदी है। सबसे ज्यादा प्रभावित 10 क्षेत्रों में मुद्रा, एफएमसीजी, शराब, फार्मा, दस्तावेज, कृषि, इन्फ्रा, ऑटोमोटिव, तंबाकू, लाइफस्टाइल और कपड़ा है। इसमेें भी मुद्रा, शराब और खाने-पीने की चीजें टॉप-3 में हैं। 2019- में एफएमसीजी क्षेत्र में नकली उत्पादों के मामले 63 फीसदी बढ़े।
यूपी-बिहार के बाद छत्तीसगढ़ नकली उत्पादों का गढ़
नकली उत्पादों की सबसे ज्यादा बिक्री उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, पंजाब, झारखंड, दिल्ली, गुजरात और उत्तराखंड में होती है। इसमें यूपी शीर्ष पर है जिसके बाद बिहार और राजस्थान, छत्तीसगढ़ का नंबर आता है। पिछले दो वर्षों में नकली उत्पादों की की बिक्री या निर्माण की कुल घटनाओं में 45 फीसदी इन तीन राज्यों से जुड़ी रहीं। रिपोर्ट बताती है कि नकली उत्पादों ने सिर्फ लग्जरी श्रेणी में ही सेंध नहीं मारी है, बल्कि रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के बीच भी गहरी पैठ बना ली है। जीरा, सरसों तेल, घी, हेयर ऑयल, साबुन, दवाओं आदि के नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
नकली व प्रतिबंधित दवाएं भी धड़ल्ले से बिक रही
राजधानी में प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विभिन्न अस्पतालों के आसपास ऐसी दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही है। हालांकि, रसीद मांगने पर दवाएं नहीं दी जाएंगी। वहीं, यह सब जानते हुए भी प्रशासन चुप्पी साधे है। इसका ही नतीजा है कि दो दिन पहले राजधानी में मेरठ का युवक दवाएं खपाने पहुंच गया था। वहीं, शक्तिवर्धक दवाओं के नाम पर जिम सेंटर भी दवा का कारोबार कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 344 दवाओं को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। इसमें फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली दवाओं की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। पेडर्म, ग्लूकोनार्म, ल्यूपिडीक्लाक्स, टैक्सीन जैसी दवाएं इसमें शामिल हैं। इसी तरह कुछ ऐसी दवाएं हैं, जिनकी बिक्री तो हो सकती है, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह इन्हें नहीं खरीदा जा सकता है। हालांकि, इसके बावजूद ये दवाएं बाजार में धड़ल्ले से चल रही हैं।दवा कारोबारी के सूत्रों की मानें तो प्रतिबंधित दवाओं में सबसे ज्यादा कारोबार दर्द निवारक और शक्तिवर्धक दवाओं का है। इनके तीन हजार से ज्यादा उत्पाद बाजार में है। चूंकि शक्तिवर्धक दवाएं ज्यादातर लोग चोरी-छिपे खरीदते हैं। ऐसे में इनकी रसीद भी नहीं मांगते, जिससे इनका कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी कैप्सूल के साथ तेल, जैल बाजार में चल रहे हैं। इसमें ज्यादातर फिक्स डोज कंबिनेशन (एफडीसी) की दवाएं हैं। कुछ ऐसी भी दवाएं हैं, जो डोपिंग की श्रेणी में हैं। इन्हें भी चोरी-छिपे बाजार में उतारा गया है।
' जनता से रिश्ता' में खबर प्रकाशित होने के बाद जागी मीडिया
ब्रांडेड कंपनियों की मिलती जुलती नाम से या हूबहू कापी करके वस्तुएं खपाकर जन स्वस्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की जनता से रिश्ता लगातार खबरें प्रकाशित कर प्रशासन के संज्ञान लाया और आज कार्रवाई सबके सामने है। जनता से रिश्ता के बाद अब सभी मीडिया घराना ब्रांडेड कंपनियों के नाम से नकली वस्तुओं के उत्पादन और बिक्री करने वालों के खिलाफ पुलिस अब छत्तीसगढ़ तमाम डुप्लीकेट कंपनियों की कुंडली खंगालने का काम शुरू कर दिया है। देश की नामचीन और बड़ी कंपनियों के नाम पर नकली उत्पाद का राजधानी रायपुर गढ़ बन चुका है। यहां पर सक्रिय सिंडिकेट बड़ी कंपनियों के उत्पादों के हू-ब-हू नकली उत्पाद तैयार कर प्रदेश भर के बड़े बाजारों से लेकर गांव-कस्बों में इसे सस्ते दाम पर खपाया जा रहा है। दुकानदार जहां मोटे कमीशन के लालच में ये सामान बेच रहे हैं, वहीं नकली से अनजान ग्राहक भी कम कीमत पर सामान पाकर खुश हैं। दरअसल रायपुर में हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी के क्रीम व चायपत्ती का जखीरा मिलने के बाद यह साबित हो गया है कि छत्तीसगढ़ में नकली खाद्य सामग्री, कास्मेटिक से लेकर सारा सामान आसानी से खपाया जा रहा है। गोलबाजार के बंजारी चौक स्थित जेएन ट्रेडर्स कंपनी में छापामारी के बाद दुकान के संचालक पिता-पुत्र को पुलिस ने हिरासत में लिया था, लेकिन राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपित पिता को न बनाकर केवल बेटे मनीष जयसिंघानी के खिलाफ अपराध दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी की और जेल भेजा।
करोड़ों का कारोबार : रायपुर समेत प्रदेश भर में ब्रॉडेड कंपनी के नाम पर नकली सामान खपाने का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। अकेले रायपुर में हर महीने करोड़ों के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, कास्मेटिक, खाद्य सामग्री, कपड़े समेत अन्य सामान खपाया जा रहा है। दरअसल नामी कंपनियों के ट्रेडमार्क, स्टीकर का इस्तेमाल कर कारोबारी नकली सामान बेचने का गोरखधंधा रायपुर से लेकर पूरे प्रदेश में चला रहे हैं। पुलिस का दावा है कि सूबे में हर महीने 30 करोड़ के नकली उत्पाद बेचा जा रहा है।
एलईडी टीवी की जब्ती : डेढ़ साल पहले रविभवन के हिंगलाज मोबाइल दुकान में पुलिस ने छापा मारकर 262 नग नकली पावर बैंक जब्त कर दुकान संचालक समेत तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया था, जबकि इससे पहले क्राउन कंपनी का नकली स्टीकर लगाकर एलईडी टीवी समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बेचने के मामले में प्रियदर्शिनी नगर निवासी जगदीश किंगरानी की गिरफ्तारी की गई थी। उसकी दुकान से 14 नग नकली एलईडी टीवी जब्त की गई। इससे पहले भी कई कंपनियों का नकली सामान रायपुर में पकड़ा जा चुका है।
लोकल और बाहर नकली सामान : रायपुर में सबसे अधिक मुंबई और दिल्ली के बाजार से नकली इलेक्ट्रानिक्स सामान, ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली घड़ी खरीदकर कारोबारी यहां पर ट्रेन से लेकर आते हैं। यही वजह है कि लंबे समय से चल रहे नकली सामान की बिक्री हर साल बढ़ रही है। इस कारोबार से जहां नामचीन कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं इनके उत्पादों की बिक्री में भारी गिरावट आई है।
आनलाइन साइट भी दे रही धोखा : नकली सामान बेचने के गोरखधंधे में अब आनलाइन शापिंग साइट भी शामिल हो गई है। जानकार खरीदारों का कहना है कि स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, नापतौल, अमेजॉन समेत अन्य साइट पर आर्डर देने पर उन्हें नकली उत्पाद प्राप्त हुए हैं। वहीं कारोबारियों का दावा है कि ऑनलाइन खरीदारी में सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक्स, कास्मेटिक, स्पोर्ट्स का सामान, कपड़ आदि नकली सप्लाई किए जा रहे हैं।