छत्तीसगढ़

सालों से जमे अधिकारी के देख-रेख में हो रहा भ्रष्टाचार

Nilmani Pal
7 Jan 2022 6:24 AM GMT
सालों से जमे अधिकारी के देख-रेख में हो रहा भ्रष्टाचार
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  1. 25 वर्षों से विभाग में जमे हुए अधिकारियों ने सिस्टम की आड़ ले कर कांग्रेस सरकार को बदनाम करने की रची साजिश!
  2. गरियाबंद जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर सड़क घोटाला
  3. बस्तर संभाग में भी सड़क घोटाले के सबूत नष्ट करने का प्रयास

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वर्षो से जमे अधिकारियों की कारगुजारियां

अधिकारी प्रदीप वर्मा के खिलाफ शिकायतों पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई

रायपुर। गरियाबंद जिला एक समय में हीरा के लिए चर्चित हुआ था और आज भी चर्चित है तो प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजन के अधिकारियो के काळा कारनामो के कारण। विगत 25 सालों से गरियाबंद में जमे अधिकारी के कारनामे से हर कोई वाकिफ है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता या उच्च अधिकारियो को भेंट पूजा के कारण कोई उनका कुछ बिगड़ नहीं पा रहा है। छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क योजना के नाम पर गामीण अंचलों का पैसा अधिकारियों और ठेकेदारों ने अपनी तिजोरी में बेखौफ होकर बंद कर रहे हैं। विभाग के मंत्री को पूरे छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री सड़क योजनाओं का भौतिक सत्यापन और टेंडर के सभी लेन-देन का ऑडिट उच्चस्तरीय टीम से कराना चाहिए लेकिन जाँच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के गांवों में बनाई गई सड़कों में मापदंडों व नियम कायदों दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमा रहे हैं। चूँकि शहरी क्षेत्र की सडकों को प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना की परिधि से बाहर रखा गया है। और केवल गावं की ही सड़क इस परिधि में है जिसका फायदा अधिकारी उठा रहे है। सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने की है साथ ही विधायक भी इस सम्बन्ध में बोल चुके हैं कि सड़क बनाने में घटिया मटेरियल का उपयोग हुआ है जो सड़क की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है। ठेकेदारों ने अधिकारियो से मिली भगत करके सड़क के निर्माण में मापदंडो को ठेंगा दिखते हुए कार्य किय है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कमीशन की लालच ने अधिकारियो के आंख-कान बंद कर दिया है और ठेकेदार घटिया निर्माण कर निर्माण लागत का बड़ा हिस्सा डकार रहे हैं। निर्माण एजेंसी की शर्तो के मुताबिक ठेकेदार पर कम से कम पांच वर्षो तह बनाई गई सड़कों की मरम्मत की जिम्मेदारी भी होती है लेकिन एक बार ठेकेदार सड़क बनाकर हटा फिर दोबारा उस ओर देखता तक नहीं है।गरियाबंद जिले में बड़ी अनियमितता गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में काफी अनियमितता होने की शिकायत आ रही है। गांववालों ने शिकायत भी की है लेकिन उनकी शिकायत पर कौन तवज्जो देता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गरियाबंद जिले में प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना का मुख्य अधिकारी जो विगत 25 सालों से गरियाबंद में पदस्थ होने की जानकारी है। सरकार आयी गयी लेकिन अधिकारी अपने जगह से टस से मस नहीं हुए।

चार छह महीने को छोड़ दें तो बाकि सर्विस के पूरे समय वे यहीं जमे होने की जानकारी है। जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि को यह भी जानकारी मिली है कि उक्त अधिकारी की ठेकेदारों से तगड़ी सेटिंग है। जीएसबी और डब्ल्यूएमएम में मापदंडो की अवहेलना गोहरापदर से बनवापारा, गोहरापदर से सीनापाली और सीनापाली से मुझबहाल सड़कों की ही तरह काडेकेला से छालडोंगरी और अमलीपदर से खरीपथरा सड़क भी रखरखाव-मरम्मत के अभाव में निर्माण के चंद महीनों बाद ही खराब हो गई हैं और धंसकने लगी है। जगह-जगह डामर की परत भी उखड़ गई है। इन सड़कों में जीएसबी और डब्ल्यूएमएम में हजारों घन मीटर क्रशर मेटल का उपयोग होना था लेकिन उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि हजारों घन मीटर क्रशर मेटल के उपयोग के नाम पर चोरी की गई और करोड़ों रुपयों का सीधा-सीधा घोटाला किया गया। क्वालिटी कंट्रोल को जांचने वाले अधिकारी ने भी बिना देखे क्वालिटी कंट्रोल का मानक प्रमाण पत्र दे दिए जो घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार को इंगित करता है। गांव वाले आम जनता ठेकेदार की दादागिरी और छुटभैय्ये नेताओं की दबंगई से डर कर विभाग से शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि विभाग के अधिकारी मनमाने ढंग से शिकायतों का निपटारा बिना कार्रवाई किए स्थानीय स्तर पर ही कर देते हैं। अधिकारियों की नई दुकान यानी बिल्ली को दूध की रखवाली प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़को की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए व्यवस्था भी है। जिसके अनुसार सड़क बनाने वाले परियोजना अधिकारी जो जिला स्तर का होता है उसकी जिम्मेदारी होती है साथ ही उनके सहायता के लिए विभाग के ही सेवानिवृत अधिकारियो को शामिल किया जाता है लेकिन देखने में आता है कि ये अधिकारी भी ठेकेदारों से मिलकर लाखो रूपये वारे न्यारे कर देते है। प्राय: प्रत्येक सड़क का राज्य गुणवत्ता समीक्षक एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक द्वारा कम से कम तीन बार निरीक्षण करना अनिवार्य है । सिर्फ ऐसी सड़के जिनकी गुणवत्ता उच्च स्तर की हो, को ही मान्य किया जाता है। लेकिन देखने में आ रहा है कि ठेकेदारों पर इन अधिकारियो का लगाम नहीं है। जनता से रिश्ता के संवाददाता ने मौके पर जाकर इस बात की तस्दीक भी ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ किया है। सबने कहा कि सड़के जो बनी है वह उच्च गुणवत्ता युक्त नहीं है।

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