छत्तीसगढ़

भ्रष्ट अधिकारियों को भूपेश सरकार में मिला संरक्षण, नए सरकार में भी सेटिंग का धौंस

Nilmani Pal
29 May 2024 4:45 AM GMT
भ्रष्ट अधिकारियों को भूपेश सरकार में मिला संरक्षण, नए सरकार में भी सेटिंग का धौंस
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1000 हजार करोड़ का तालपुरी, अभिलाषा परिसर और हिमालयन हाईट्स घोटाला

1000 करोड़ के तालपुरी घोटाले में शामिल चार अधिकारी ही सर्वेसर्वा

विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी आज तक नहीं हुई कार्रवाई

अपने प्रभाव से जांच रिपोर्ट दबाए, सरकार और विभाग भी कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे

भ्रष्टाचार के प्रमाण मिलने के बाद भी लगातार प्रमोट हुए, आयुक्त को भी कर रहे गुमराह

हाउसिंग बोर्ड की संपत्ति को डिसमेंटल के कगार पर लाने वाले अधिकारी ही सर्वेसर्वा

ठेकेदार को लाभ पहुंचा कर कमाया मुनाफा

जांच को प्रभावित करने कई बार हाऊसिंग बोर्ड के रिकार्ड शाखा में लगा चुके है आग

हाऊसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों का गिरोह निजी फायदे के लिए शासन को लगा रहा चूना

1000 हजार करोड़ तालपुरी प्रोजेक्ट में भौतिक सत्यापन क्यों नहीं

प्रोजेक्ट के हिसाब से मकानों की संख्या कम है यह अत्यंत गंभीर और जांच की विषय भी है

हाऊसिंग बोर्ड के इस बड़े घोटाले में भूपेश सरकार ने तीनों भ्रष्ट अधिकारियों को न सिर्फ पदोन्नति दी अपितु अच्छे से अच्छे जगह पर पदस्थापना कर लूट की खुली छूट दे दी और जेल जाने से बचाए रखा जनता का हजारों करोड़ रुपया फिर से इन भ्रष्ट अधिकारियों के जेब में गया। अब तीनों अधिकारी हाऊसिंग बोर्ड के मुख्यालय में बैठ कर मौज कर रहे है, और सरकार के व्दारा जांच के प्रभावित करने के नए -नए तरीके अपना रहे है, जैसे कि ईओडब्ल्यू की जांच के दस्तावेज मुख्यालय में कमिश्नर तक पहुंचने से पहले दबा दिए जा रहे है वैसे ही लोकायुक्त छत्तीसगढ़ तीनों भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायत की जांच और बयान अंतिम चरणों में है, छत्तीसगढ़ लोकायुक्त में भी गृह निर्माण मंडल ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि हजारों करोड़ के घोटाले से संबंधित सभी परियोजना -तालपुरी भिलाई, अभिलाषा परिसर बिलासपुर, हिमालयन हाईट्स डूमरतराई जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं के सभी दस्तावेज विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। लोकायुक्त में दिए गए दस्तावेज और ईओडब्ल्यू व्दारा दिए गए नोटिस को जनता से रिश्ता प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है। विभागीय जांच में दोषी पाए गए तीनों भ्रष्ट अधिकारी हाउसिंग बोर्ड में अभी भी भ्रम फैला रहे है कि कका भूपेश सरकार में हमारा कुछ भी नहीं बिगड़ा और हम जांच को रोके रहे, अपने हिसाब से चलाते रहे तीनों अधिकारी मिलकर अफवाह फैला रहे हैं कि वर्तमान सरकार में हमारी सेटिंग और तगड़ी है और हम किसी भी कीमत में तालपुरी घोटाला, हिमालयन हाईट्स, अभिलाषा परिसर घोटाले की जांच नहीं होने देंगे। रहा सवाल फाइलों का जो हमने रफा-दफा कर चुके है। इसी बात की पुष्टि भी गृहनिर्माण मंडल ने छग लोकायुक्त को लिखित में प्रेषित किया है।

भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी इंटरनेशनल कालोनी के निर्माण कार्य में चार अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का मामला उजागर हुआ था इस मामले में करीब 115 करोड़ की गड़बड़ी का पता चला है। छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की विभागीय स्तर पर हुई जांच में भी चारों अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ रकम वसूली की कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। कॉलोनी में करीब 1800 मकान ईडब्ल्यूएस और 1800 सामान्य एलआईजी, एमआईजी व एचआईजी आवासों का निर्माण किया गया। ईडब्ल्यूएस आवासों को पारिजात व अन्य आवासों को गुलमोहर, लोटस, रोज, लिली, टिली, बीजी, डहलिया, आर्किड जूही, मोंगरा टाइप बनाया गया। इस पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए गए। कॉलोनी का निर्माण करने कलकत्ता के मेकेरोज बर्न लिमिटेड को भवन निर्माण करने का ठेका दिया था, लेकिन ठेकेदार काम पूरा किए बिना गायब हो गया।

हाऊसिंग बोर्ड के चार अधिकारियों बीबी सिंह, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता, हर्ष कुमार जोशी, एमडी पनारिया और एचके वर्मा ने इसका लाभ उठाया। ठेकेदार अगर कार्य अपूर्ण स्थिति में छोड़ता है तो अन्य एंजेसी-ठेकेदार से कार्य पूर्ण कराया जाता है। कार्य पर होने वाले अतिरिक्त व्यय की वसूली संबंधित ठेकेदार से की जाती है और शेष कार्य के लिये निविदा आमंत्रित किया जाता है। अंतर की राशि की कटौती इनके बिलों से करके ही शेष धनराशि का भुगतान किया जाता है। जिम्मेदार अधिकारियों ने शेष कार्य पूर्ण कराने बिना पंचनामा किये निविदा निकाले बिना ही अपने चेहते ठेकेदार से कार्य पूर्ण कराया। प्रथम ठेकेदार से 18 प्रतिशत ब्याज दर से राशि की वसूली करने की बजाय उसे 11 प्रतिशत ब्याज दर से राशि वसूल किया गया। यानी सीधे सीधे ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया।

इसका खुलासा तब हुआ जब भवन बुक कराने वाले लोगों से 15 करोड़ का सर्विस टैक्स वसूल कर ठेकेदार को दे दिया गया। उच्च कार्यालय से सर्विस टैक्स वसूलने के लिए मना किया गया था। चारों अधिकारियों ने प्रथम ठेकेदार और द्वितीय ठेकेदार दोनों को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाया। इस प्रकार शासन को भी आर्थिक क्षति पहुंचाई गई। सर्विस टैक्स वसूले जाने के बाद इस मामले की शिकायत राजधानी में की गई। इसकी जांच कर ली गई है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि चारों अधिकारियों से 15 करोड़ रुपए वसूल किया जाना चाहिए। चारों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा भी की गई है। जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए शर्तों में भी बदलाव किया गया है। इसके सबूत मिटाने के लिए कार्यालय से दस्तावेज भी गायब कर दिये गए।


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