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आफताब फरिश्ता
बिलासपुर। नगर निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी प्रकरण पर कार्रवाई करने के बजाय जानबूझकर फाइल लंबित रखना अब भारी पड़ गया है। नाराज डिवीजन बेंच ने कमिश्नर को 24 मार्च को तलब किया है। इस दिन न्यायालयीन अवमानना के मामले में कोर्ट आरोप तय करेगी।
बिलासपुर निवासी वीणा सिंह ने वकील मीना शास्त्री व जेके शास्त्री के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर निगम प्रशासन द्वारा जानबूझकर उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह एमएड के साथ ही तीन विषयों में मास्टर डिग्रीधारी है। वर्ष 1999 में शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। तब से वह नगर निगम सीमा में कार्यरत है। वर्ष 2008 में शासन के नियमानुसार उनको पदोन्नति दी जानी थी। निगम प्रशासन ने उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए उनसे कनिष्ठ दो शिक्षाकर्मियों को पदोन्नति आदेश जारी कर दिया। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने जुलाई 2019 में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देते हुए पदोन्नति देने का आदेश निगम आयुक्त को जारी किया। कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया कि याचिकाकर्ता के दो जूनियर को जिस तिथि से पदोन्नति आदेश दिया है उसी तिथि से इनको भी प्रमोशन का लाभ दिया जाए। सिंगल बेंच के फैसले के आठ महीने बाद भी निगम आयुक्त ने इस पर कोई निर्णय लिया। याचिकाकर्ता ने अपने वकील के जरिए कोर्ट के आदेश की अवेहलना करने का आरोप लगाते हुए निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय के खिलाफ न्यायालयीन अवमानना की याचिका दायर की है। याचिका में कहा कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी निगम आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की। फाइल को पेंडिंग रखा। इसके चलते उसको मानसिक पीड़ा हुई है। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी के सिंगल बेंच में हुई। अवमानना याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा था।

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