छत्तीसगढ़

होली पर समसामयिक व्यंग्य रचना

Nilmani Pal
7 March 2023 6:57 AM GMT
होली पर समसामयिक व्यंग्य रचना
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रायपुर। जनता से रिश्ता के पाठक ने होली पर्व पर समसामयिक व्यंग्य रचना ई मेल किया है.

बुरा न मानो...होली है।

फूलों से लदे टेसू से

मुलाकात हो गई उस दिन।

मैंने कहा-

बहुत मुस्कुरा रहे हो

रंगने के लिए इतरा रहे हो।

उसने कहा -

लोगों में

नॉन केमिकल और

आर्गेनिक का डिमांड है

मल्टीनेशनल प्रोडक्ट ,

अनेकानेक ब्रांड है ।

बुरा न मानो होली है

वे कहते।

एक दूजे को रंग जाते हैं

अबीर गुलाल लगाते है

और हम कहां??

रंगे हुए उन्हें देख हम

मन्द- मन्द मुस्काते हैं।

तुमने देख लिया ,

बस यही काफी है।

मेरी ओर से आपको

होली की शुभकामनाएं हैं।।

रोशन साहू ( मोखला )

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