सीबीआई जांच की मांग, राजद्रोह मामले में जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश
रायपुर (जसेरि) छत्तीसगढ़ में राजद्रोह के आरोपों से घिरे सीनियर आईपीएस जीपी सिंह ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस रिट पिटिशन में उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। सिंह ने कहा कि उन्हें सरकार के कुछ अधिकारियों ने फंसाया है। इसके अलावा सिंह ने निचली अदालत में अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई है। दरअसल एसीबी के पूर्व चीफ जीपी सिंह के सरकारी बंगले समेत 15 ठिकानों पर एसीबी और ईओडब्ल्यू की छापेमारी में बेहिसाब आय से अधिक संपत्ति और कुछ दस्तावेज मिले थे जिसमें सरकार के खिलाफ बातें लिखी गई थीं।
याचिका प्रमुख रूप से जीपी सिंह पर गुरुवार आधी रात रायपुर के सिटी कोतवाली थाने में धारा 124 और धारा 153 के तहत दर्ज किए गए राजद्रोह के अपराध के खिलाफ आधारित है। याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी और कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है। वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि, वो बंगले में मौजूद थे। एक डायरी जिसे पुलिस सबूत बता रही है, उसके पन्नें भीगे हुए थे और पुलिस ने उसे सूखाने के बाद उसमें जो अस्पष्ट शब्द लिखे हैं और उसके आधार पर मामला दर्ज कर लिया है।
याचिका में प्रमुखता से जो बात रखी गई है वह है सरकार में दखल रखने वाले कुछ नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर जीपी सिंह को इस पूरे ट्रैप में फंसाया। याचिका में हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की मांग करते हुए सिंह ने कहा है कि यह पूरी कार्रवाई इसलिए हुई है कि उन्होंने कुछ अवैध कामों को करने से मना किया। उनके असहयोग करने के कारण कुछ अधिकारियों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए एसीबी, ईओडब्ल्यू का छापा पड़वाया। इसमें भी बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध गलत तरीके से दर्ज कर दिया गया। उन्हें पूरा यकीन है कि यदि उनकी जांच राज्य शासन की पुलिस या कोई एजेंसी करती है तो उनके साथ न्याय नहीं होगा इसलिए सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जो राज्य शासन के अधीन ना हो।
निचली अदालत में लगेगी अग्रिम जमानत याचिका : एक ओर जीपी सिंह हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे रायपुर की अदालत में अपनी अग्रिम याचिका की अर्जी भी लगा रहे हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जो धाराएं लगी हैं उनमें तो गिरफ्तारी का खतरा कम है, लेकिन राजद्रोह की धाराओं के तहत उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि जो धाराएं अभी तक लगाई गई हैं, उसमें एक भी धारा ऐसी नहीं है जिसकी सजा 7 साल से ऊपर की हो। अमूमन ऐसे मामलों में पुलिस गिरफ्तारी की हड़बड़ी नहीं दिखाती, लेकिन जीपी सिंह का मामला अलग है। सिंह को गिरफ्तारी का डर है, लिहाजा वे पहले ही अदालत पहुंच गए हैं।
छापे की तरह एफआईआर की बातें भी लीक : खबर है कि श्री सिंह को छापे से पहले कार्रवाई की जानकारी हो गई थी, विभाग से खबरें लीक हुई थी जिसके बाद श्री सिंह सतर्क हो गए थे। इसी तरह थाने में एफआईआर दर्ज होने की बात भी लीक कर दी गई जिसके बाद ही एडीजी सिंह रायपुर से गुप्त तरीके से गायब हो गए। पुलिस उसके बिलासपुर में होने का अनुमान ही लगाती रही लेकिन उन्हें ट्रेस नहीं कर पाए। श्री सिंह के बिलासपुर में होने की पुष्टि तब हुई जब उनके तरफ से कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई।
कार्रवाई दस्तावेजों के आधार पर हुई: भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निलंबित आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद स्पष्ट किय कि कार्रवाई छापे में मिले दस्तावेजों के आधार पर हुई है। एसीबी ने जीपी सिंह के घर सहित अन्य स्थानों पर छापा मारा था। एसीबी को जो जानकारी मिली, उसके आधार पर कार्रवाई की गई। जीपी सिंह पर दस्तावेजों के आधार पर धाराएं लगाई गई हैं। शिकायत के आधार पर ही उन पर केस दर्ज किया गया है। ज्ञात हो कि निलंबित आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ देर रात 154-ए और 124-ए की धाराओं में मामला दर्ज किया है। माना जा रहा है कि अब जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो को रेड के दौरान एडीजी के सरकारी बंगले और उनके करीबियों के यहां से कुछ डोजियर, टूलकिट दस्तावेज और पेन ड्राइव मिले थे। इसकी जांच में सरकार के खिलाफ षड्यंत्र मानते हुए कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज किया है।