छत्तीसगढ़

विदेश के लोगों को छग में बसाने की हो रही साजिश

Nilmani Pal
22 Feb 2022 6:03 AM GMT
विदेश के लोगों को छग में बसाने की हो रही साजिश
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प्रबंध संपादक - पप्पू फरिश्ता

नागरिकता संशोधन का गलत फायदा उठाने की हो रही कोशिश

रायपुर (जसेरि)। केन्द्र सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के माध्यम से भारत में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को स्थाई नागरिकता देने का प्रावधान किया है। इस प्रावधान के तहत छत्तीसगढ़ में भी सालों से रह रहे सिंधी समुदाय के लोगों को स्थाई नागरिकता दी जा रही है। लेकिन इस सुविधा का कुछ लोग गलत फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां रह रहे लोग अब अपने विदेशों में रह रहे लोगों को भी छत्तीसगढ़ बुलाने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने भी उद्योगों और अन्य गतिविधियों के लिए देश सहित विदेशी कंपनी, संस्थाओं और उद्योगपतियों को राज्य में उद्योग कारोबार संचालित करने के लिए रियायती जमीन व अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान किया है। राज्य के औद्योगिक, शैक्षणिक व आर्थिक विकास के लिए सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाएं और रियायते काबिले-तारीफ हैं

इस खबर के फैलने से स्थानीय व अन्य वर्ग के कारोबारियों में संशय और डर का माहौल बनने लगा है। ये कारोबारी आशंका जता रहे हैं कि यह मामला आगे चलकर बहुत गंभीर रूप ले सकता है और पूरे व्यवसाय में एक ही समुदाय का कब्जा हो सकता है जिससे छत्तीसगढ़ में जातीय समीकरण के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो सकती है। शासन और प्रशासन को इसे संज्ञान में लेना चाहिए और ऐसे चेहरों को भी पहचानना होगा, जो सिंध (पाकिस्तान) के लोगों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित अन्य स्थानों पर बसाने के लिए लाइजनिंग कर रहे हैं। ऐसे तत्वों से सतर्क रहने की आवश्यकता है, नहीं तो छत्तीसगढ़ में ही एक मिनी सिंध बन जायेगा, जो छत्तीसगढिय़ों के हित और भविष्य के लिये खतरनाक साबित होगा।

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 क्या है?

इस विधेयक में बांग्लादेश, अफग़ानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है। इसके लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में कुछ संशोधन किए जाएंगे ताकि लोगों को नागरिकता देने के लिए उनकी क़ानूनी मदद की जा सके। मौजूदा क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल है और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान है।

रणनीति के तहत गिरोह सक्रिय

पूर्व छग चेंबर के पदाधिकारी व सदर बाजार व्यापारी संघ के एक सदस्य का कहना है कि एक रणनीति के तहत विदेश में रहने वाले समुदाय विशेष के लोगों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थायी नागरिकता व कारोबार की अनुमति दिलाने के लिए गिरोह काम कर रहा है और उन्हें शासन की योजना के तहत बताया जा रहा है कि आपको रहने के लिए जमीन, व्यवसाय करने के लिए व्यवसायिक जमीन और खेती की जमीन आसानी से मिल जाएगी, लोग बल्क में आ रहे हैं ऐसी खबरें आ रही है. अगर इस खबर में सच्चाई है तो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के अन्य प्रमुख स्थानों पर थोक व्यवसाय के लिए और खुदरा व्यवसाय के लिए लोग योजनाबद्ध तरीके से काम करने लगेंगे। एक षड्यंत्र के तहत एक समुदाय विशेष के 80 से 90त्न लोग समूचे कारोबार पर कब्जा जमा लेंगे। ऐसी भी खबर है कि सत्ताधारी दल के कुछ प्रमुख लोगों के माध्यम से मुख्यमंत्री तक एप्रोच भी लगाया जा रहा है। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ही 3500 दुकानों के लिए आवेदन जमा हो चुके हैं।

इस मामले में छग किराना संघ के एक पूर्व पदाधिकारी ने अपना विरोध प्रकट किया। उसका कहना है कि कुछ लोग इसका गलत तरीके से फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे माहौल बिगडऩे का डर है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को सतर्क रहकर किसी को भी नागरिकता अथवा छत्तीसगढ़ में कारोबार की अनुमति देने से पहले तमाम पहलुओं पर गौर कर ही निर्णय लेना चाहिए।

भ्रातिंया और गफलत न फैले इसलिए जनता से रिश्ता इस मामले में प्रतिक्रिया देने वाले ब्यापारियों का नाम प्रकाशित नहीं कर रहा है।

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