भाजपा में मूल छत्तीसढिय़ों को आगे लाने सुगबुगाहट...
अतुल्य चौबे
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस छत्तीसगढिय़ावाद को हवा दे रही है इसका असर भाजपा पर भी दिखाई देने लगा है। प्रदेश भाजपा में जहां मूल छत्तीसगढिय़ा नेता हमेशा द्वितीय पंक्ति में नजर आते हैं उनमें अब अपनी उपेक्षा और अनदेखी का भाव उपजने लगा है। प्रदेश भाजपा में ठाकुर, बनिया और अन्य उच्च जाति के नेता फ्रंट लाइन में रहते हैं। जब कोई केन्द्रीय मंत्री या संगठन के पदाधिकारी रायपुर आते हैं तो उनकी अगुवानी में यही नेता नजर आते हैं। संगठन में भी उन्ही नेताओं का वर्चस्व दिखता है जो रहते तो छत्तीसगढ़ में हैं लेकिन उनकी जड़ें अन्य राज्यों से जुड़ी हुई हैं। ऐेसे में अब मूल छत्तीसगढिय़ा नेता जिनमें आदिवासी और ओबीसी वर्ग से आने वाले द्वितीय व निचले पंक्ति के नेताओं-कार्यकर्ताओं का स्वाभिमान जाग रहा है। चर्चा है कि ऐसे ही कुछ नेताओं ने अपनी व्यथा केन्द्रीय पदाधिकारियों तक पहुंचाई है। अगर इस खबर में सच्चाई हुई तो प्रदेश भाजपा के अग्र पंक्ति के नेताओं और पदाधिकारियों के लिए यह बात मुश्किलों वालों साबित हो सकती है। प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढिय़ा वाद को जिस तरह हवा दी है आने वाले विधानसभा चुनाव में यह भाजपा के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकती है।
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाने को लेकर सह प्रभारी नितिन नवीन ने कहा था की सिर्फ छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति लगाने से कुछ नहीं होता। हम छत्तीसगढिय़ा वाद नहीं भारतीयता की बात करते हैं। नितिन नवीन के इस बयान के बाद प्रदेश में बवाल हो गया है। मुख्यमंत्री समेत तमाम कांग्रेस नेताओं ने इसे छत्तीसगढ़ का अपमान बताया था। नितिन नवीन का बयान उस समय आया है जब छत्तीसगढ़ अपना 22 वाँ स्थापना दिवस मना रहा था और प्रदेश की राजधानी में राज्योत्सव चल रहा था। इससे पहले भी कुछ भाजपा नेताओं ने ही पार्टी पर छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढिय़ों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। चंद्रपुर के पूर्व विधायक भाजपा नेता स्व. युद्धवीर सिंह जूदेव ने भी कहा था पार्टी गैर छत्तीसगढिय़ा और कुछ सेठों के हाथों में है। यहां छत्तीसगढिय़ा लोगों की अनदेखी होती है। इस बयान के बाद पार्टी रक्षात्मक हो गई थी और युद्धवीर की नाराजगी दूर करने में लग गई थी।
नितिन नवीन के बयान को भाजपा का आत्मघाती कदम माना जा रहा है। वैसे भी पार्टी पर छत्तीसगढ़ और यहां के लोगों के प्रति अनदेखी के आरोप लगाते रहे हैं वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढिय़ा, छत्तीसगढ़, यहां के पर्व त्योहार और यहां की संस्कृति को लेकर हमेशा कमिटेड दिखते हैं। उन्होंने बोरे बासी का खाना को प्रमोट कर दिया, हरेली, गेड़ी आदि को हमेशा प्रमोट करते दिखा जाते हैं ऐसे में भाजपा के पास इसका कोई काट नहीं है वहीं अब इस तरह के बयान भी प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हैं।
भाजपा में अग्र पंक्ति के सारे नेता उच्च वर्ग के और जड़ से दीगर प्रांतों से जुड़े हुए हैं। भले ही उनकी कई पीढिय़ां छत्तीसगढ़ में निवास करते आ रही है लेकिन आज भी मूल तौर पर छत्तीसगढिया नहीं माना जाता है। यही कारण है कि कांग्रेसी मुख्यमंत्री के छत्तीसगढियावाद का पैंतरा काम करते नजर आ रहा है। हालाकि इसकी काट के लिए हाल हि में भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष को ओबीसी वर्ग से नियुक्त कर इस मुद्दे को कमजोर करने की जुगाड़ कर ली है। लेकिन इसके बाद भी आदिवासी और ओबीसी वर्ग के नेता अब अग्र पंक्ति पर आकर कांग्रेस के इस चुनौती का सामना करना चाहते हैं यही कारण है कि इस वर्ग से आने वाले नेता अब चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी चाहते हैं ताकि कांग्रेस को उसकी छत्तीसढिय़ावाद के पैंतरे पर मात दिया जा सके।