पुनिया के सामने दो नेताओं में गुत्थम-गुत्थी
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। कांग्रेस में जहां अध्यक्ष अपने तीन साल की उपलब्धियों गिना रहे है वहीं सीएम भूपेश बघेल लोगों भेंट मुलाकात कर उनकी समस्या का समाधान करने गांव-गांव में चौपाल लगा रहे है वहीं कांग्रेसियों की समस्या समाधान नहीं होने से क्षुब्ध होकर अपनों से ही भिडऩे लगे है। यरह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी वर्चस्व को लकर राजीव भवन में ऐसा दृश्य उपस्थित हो चुका है। ताजा मामला दो वरिष्ठ कहने वाले नेताओं का है जो प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की उपस्थिति में कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री अमरजीत चावला और महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला किसी पुराने मामले की भड़ास निकालने के लिए एक दूसरे पर पिल पड़े। वहां मौजूद प्रत्यक्ष दर्शियों का तो यहां तक कहना है कि दोनों में जमकर सिरफुटौव्वल के साथ गाली-गलौच भी जमकर हुई । पहले पहल लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है। लोग विवाद की तह तक जाने के लिए वहीं कुरदने लगे। प्रत्यक्षदर्शी सूत्रों की माने तो प्रदेश प्रभारी पीएल पुलिया एयरपोर्ट के बैगेज लाउंज में जैसे ही पहुंचे वहां मौजूद चंद्रशेखर शुक्ला और अमरजीत चावला के बीच विवाद शुरू हो गया। इस दौरान पीपीसी चीफ मोहन मरकाम और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। विवाद इतना बढ़ गया कि प्रभारी पीएल पुनिया को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुनिया ने दोनों नेताओं को शांत कराया। उसके बाद भी वहां का माहौल गरमा-गरमी वाला दिखाई दे रहा था। बाद में होटल में भी पुनिया और पीसीसी अध्यक्ष के सामने नेताओं के बीच इस मामले को लेकर चर्चा होती और मानमनौव्वल करते देखे गए । इस तरह के मामले पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस में कुछ ज्यादा ही सामने आ रहे है जिससे पार्टी की बदनामी तो हो रही है जनता में भी बहुत अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। जानकारों का कहना है यदि लगातार यहीं स्थिति रही तो आने वाले 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हो सकता विवाद और बढ़ जाए, क्योंकि विधानसभा चुनाव मात्र डेढ़ साल बचे है। ऐसे में सत्ताधारी दल का इस तरह के प्रदर्शन को पार्टी के लिए स्वास्थ्यवर्धक नहीं माना जा रहा है।
मरकाम के समर्थक का आज शपथ
मोहन मरकाम के खास समर्थक अमीन मेमन को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का चेयरमैन बनाया गया है जो आज शपथ ग्रहण कर रहे है। जिसमें भी काफी तादात में कांग्रेसी उपस्थित रहेंगे।
निगम मंडलों में नियुक्ति के समय से चल रहा विवाद
निगम मंडलों में नियुक्ति का दौर अब लगभग समाप्ति की ओर है। उस समय भी पुराने कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि कहीं न कहीं जगह मिल जाएगी लेकिन नए नवेलों को तो जगह मिल गई पुराने राह ताकते ही रहे गए जिससे कांग्रेस के पुराने नेताओं में असंतोष व्याप्त है जो कभी कभी बाहर आ जाता है। निगम मंडलों में जो जगह शेष है वहां अब तक नियुक्ति नहीं हुई है यह भी एक विवाद का कारण बना हुआ है ।
सत्ता और संगठन में आम कार्यकर्ताओं की उपेक्षा
कांग्रेस सरकार के साढ़े तीन साल पूरे होने के बाद भी आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को न तो संगठन का लाभ मिला और न ही सत्ता का लाभ मिला जिससे चलते कांग्रेसियों में नाराजगी भरा हुआ है। यदि यह नाराजगी जारी रही है आने वाले चुनाव में कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकती है। यह परेशानी बढ़े उससे पहले संगठन को इस पर डेमेज कंट्रोल कर लेना चाहिए।
-इस संबंध में चंद्रशेखर शुक्ला से चर्चा करने पर बताया कि यह सामान्य बात है बड़े नेताओं के स्वागत सत्कार को लेकर इस तरह के दृश्य उपस्थित हो जाते है। पहले स्वागत की बात है कोई विवाद नहीं है।
संगठन में सबकुछ ठीक नहीं, नेताओं-कार्यकर्ताओं में आक्रोश
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारिणी के साथ जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में हो रही देरी के चलते कांग्रेस में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। अंदर ही अंदर गुस्सा-खींच मौके बेमौके पर सामने आ ही जा रहे है। कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर छोटे नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस तरह का विरोधाभास देखा जा रहा है। सूत्रों की माने तो पीसीसी में उपर से नीचे तक फेरबदल होना है उसके बाद भी न जाने कहां फाइल अटक गई है। कांग्रेसियों के समझ में नहीं आने से एक दूसरे पर भड़ास निकालने के नया ढर्रा शुरू हो गया है। पीसीसी को 6 माह पहले ही जिम्मेदारी दी गई थी कि अपनी टीम गठित कर लो और आने वाले चुनाव के मद्दे नजर कामकाज बांट दो। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, महासचिव, प्रवक्ता जैसे पदों को नवगठित करना है। ऐसे में कांग्रेस राजीव भवन तक सिमट कर रह गई है। प्रदेश में जिस प्रकार से सीएम के दौरे हो रहे है उससे तो कांग्रेस को दुगुनी ऊर्जा मिलनी थी, लेकिन परिणाम इसके विपरीत आ रहे है। कांग्रेसी तो सीएम के कार्यक्रम में नहीं पहुंच रहे है, बल्कि पब्लिक खुद होकर सीएम के कार्यक्रम में स्वस्फर्त पहुंच रही है। इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस में कुछ गड़बड़ी है जिसके कारण मनमुटाव और मनभद सामने आ रहे है।