छत्तीसगढ़ की धान खरीदी केंद्रों में खप रहा दूसरे राज्यों का घटिया धान
पूर्ववर्ती सरकार के छुटभैया नेता चला रहे घटिया धान सरकार को बेचने का सिंडिकेट
सरकार मंडियों का मौतिक सत्यापन कर वास्तविक किसानों के ही धान की खरीदी करे
किसानों के धान के साथ धान माफिया उनके नाम से फर्जी
ऋण पुस्तिका से मंडी में बेच रहे घटिया धान
प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल मानक उत्पादन मानकर फर्जी खरीदी जारी
रायपुर (जसेरि)। धान घोटाला अधिकांश छूट भैया कांग्रेसी नेताओं के दिशा निर्देशों के अनुसार अधिकारीगण विगत पाँच सालों से कर रहे है। आश्चर्यजनक किन्तु सत्य वर्तमान में भाजपा की सरकार है लेकिन भ्रष्ट अधिकारी अभी भी कांग्रेसी नेताओं के गुलाम है। मंडी समिति के सभी सदस्य और तौलाई में काम करने वाले ये सभी कार्यकर्ता कोई न कोई कांग्रेसी नेता का ही पिछलग्गू है अधिकारियों ने इसलिए इनको उपयोग में लाया के लोकल नेता को किसी प्रकार का भ्रष्टाचार उजागर न करें इसी क्रम में मंडी से लेकर मार्केट तक़ लाया जा रहा है। गोडाउन से लेकर ट्रांसपोंटिंग तक सीधे तौर पर छुटभैये नेताओं का क़ब्ज़ा है । सरकार यदि सभी धान खऱीदी केंद्रों पर जाकर सीधे जाँच करे तो वहां के हालात की सच्चाई उजागर हों जाएगी । लगातार किसानों का धान सुखत के नाम पर धान तौलाई के दौरान काटे को सेट कर रखा है जिससे 50 किलो धान तौलने पर तौलाई के समय वजन 40 किलो ही बताता है इस प्रकार 10 किलो की डंडी मारी जाती है। भ्रष्ट अधिकारियों ने ये नियम विगत कांग्रेस सरकार के समय से सूखत का वजन काटने के लिए बना रखा है जो आज तक चल रहा है । मंडी बोर्ड औऱ मार्केटिंग फेडरेशन, नागरिक आपूर्ति निगम के सभी विभागों में अधिकारियों को 5 छह साल से जमे हो गये और इधर उधर नहीं करने के कारण भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले बुलंद है । औऱ भ्रष्टाचार का रास्ता खुला हुआ है और साफ है। कांग्रेस के छुटभैया नेताओं के संरक्षण के चलते वर्षों से मंडी औऱ धान खरीदी केंद्रों में तैनात अधिकारी और कर्मचारी बेखौफ होकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे है। धान घोटाला कांग्रेस के नेताओं की देन है और कांग्रेस के नेता वर्तमान में धान खऱीदी केंद्रों में पूर्ण तरीक़े से सक्रिय है । धान घोटाले में महासमुंद सरायपाली बसना अन्य छत्तीसगढ़ के बॉर्डर से खुलेआम अन्य प्रदेशों से धान आना एक आम बात हो गई है कि सरकार अगर चाहें तो एक भौतिक सत्यापन धान केंद्रों में किया जा सकता है।
आसपास के राज्यों का घटिया धान छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा : छत्तीसगढ़ के तमाम मंडियों औऱ धान खरीदी केद्रों में कांग्रेस छुटभैया नेताओं का सिंडिकेट पूरी तरह हावी है। दूसरे राज्यों के घटिया धान को छत्तीसगढ़ के किसानों के नाम पर मंडियों में खपाने का सिलसिला बदस्तूर जारी होने के पीछे मंडियों में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से छुटभैया नेताओं की सांठगांठ मूल करण है।
मंडियों में छुटभैया नेताओं की चल रही है रंगदारी : मंडियों में किसानों के धान खरीदने के बजाय अधिकारियों से मिलीभगत कर मंडी में बाहरी राज्यों की धान खपाने में रंगदारी करते है। दूसरे राज्यों के धान को किसानों के कोठार में रात में ट्रक खड़े करते है फिर पास के मंडी में पहले नंबर पर तौलाई के लिए नंबर लगाने की पर्ची कटवा कर धान को खपाने के लिए दबाव डालते है। मंडी कर्मचारियों के धान तौलाई में न नुकूर करने पर मारपीट औऱ गाली-गलौच पर उतारू हो जाते है। धान माफियाओं की मंडियों में फूल रंगदारी चल रही है। भ्रष्टाचार का एक सिस्टम अधिकारियों ने निर्मित कर रखा है।