छत्तीसगढ़

सत्ता से अदावत, सांगठनिक चुनाव में देरी

Nilmani Pal
24 Jun 2022 5:40 AM GMT
सत्ता से अदावत, सांगठनिक चुनाव में देरी
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  1. कांग्रेस में संगठन चुनाव की पहली प्रक्रिया ही अब तक शुरू नहीं
  2. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने जनता से रिश्ता को स्पष्ट रुप से बताया कि वर्तमान संगठन खेमा ऊंची उड़ान भरने के ताक में है किसी को भी कुछ भी नहीं समझ आ रहा है। पुराने वरिष्ठ कांग्रेसी व संघर्ष के दिनों के कार्यकर्ता एवं नेताओं को दरकिनारे कर हमेशा यह जताने का प्रयास किया जा रहा है कि मोहन मरकाम के नेतृत्य में ही संगठन चुनाव होंगे और हमारे ही संघर्ष से वर्तमान सरकार बनी है इस कारण अधिकांश पुराने और निष्ठावान और संघर्ष शील नेता और कार्यकर्ता अपनी इज्जत बचाते घर बैठना ही इस वक्त उचित समझ रहे हैं।
  3. संगठन खेमा हवा में, अपने से बढ़ कर कोई नहीं नीति पर चल रहे
  4. गफलत कर संगठन चुनाव की बीआरओ नियुक्तियों को चुपचाप कराने के फिराक में था
  5. मुख्यमंत्री खेमा जागरुकता दिखाकर संगठन खेमें की मनमानी रोकने में कामयाब
  6. 307 ब्लाक में से 200 से ज्यादा ब्लाकों के चुनाव अधिकारी मुख्यमंत्री खेमे के
  7. बीआरओ की सूची सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित नहीं कर क्या छुपाना चाहता है संगठन खेमा

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कांग्रेस के प्रदेश संगठन के चुनाव में देरी और प्रक्रियाओं को पूरा नहीं करने को लेकर बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल रहा है। प्रदेश में 31 मई तक ब्लाक, 15 जुलाई तक जिला और सितंबर तक प्रदेश कमेटी के चुनाव संपन्न कराने का कार्यक्रम है लेकिन जून महीना निकलने को है ब्लाक कमेटी के चुनाव की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी है। प्रदेश संगठन के ढिलाई के चलते बीआरओ की नियुक्ति में काफी देर हुई, और नियुक्ति हुई भी तो आज तक उसकी विधिवत घोषणा भी नहीं की गई है। चर्चा है कि प्रदेश कमेटी ने सत्ता की सहमति के बगैर ही अपनी मनमर्जी से ही बीआरओ की सूची बनाकर दिल्ली प्रेषित कर दी थी, जिसकी भनक लगते ही सत्ता के समर्थक नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और जोर आजमाइश कर आखिर कार 200 ऐसे लोगों को बीआरओ नियुक्त करवाने में सफलता पाई जिनकी निष्ठा सीधे सीएम के प्रति है। बताया जा रहा है कि अपनी मर्जी से ही बीआरओ की नियुक्ति नहीं करवा पाने के चलते ही हफ्ता-दस दिन गुजरने के बाद भी इन नियुक्तियों की पीसीसी ने विधिवत घोषणा नहीं की है। नाम नहीं छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा-कि जो नेता मुख्यमंत्री से अदावत रखते हैं और मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्य करते हैं, ऐसे सभी नेताओं को चिन्हित किया गया है और उनकी संगठन में भागीदारी और क्रियाकलाप पर गंभीरता से नजर रखी जा रही है। इस तरीके की कोई भी हरकत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।

तय समय में नहीं हो सके बीसीसी के चुनाव

कांग्रेस संगठन चुनाव के लिए बीआरओ की नियुक्ति कर दी गई है लेकिन इसकी विधिवत घोषणा नहीं की गई है। नियुक्त बीआरओ को सूचना दी गई है कि वे जल्दी ही ब्लाक मुख्यालयों में जाकर चुनाव की प्रक्रिया पूरा करें। चुनाव प्रक्रिया में काफी विलंब होने के बाद अब इन्हें सभी 307 संगठनात्मक ब्लाकों में जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करने कहा गया है। चर्चा है कि सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं होने के चलते बीआरओ की नियुक्ति में ही काफी विलंब हुआ, जिससे निर्धारित अवधि में ब्लाकों में चुनाव संपन्न नहीं हो पाया। अब तक ब्लाकों में चुनाव संपन्न होने के साथ जिलों में भी चुनाव की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच जानी चाहिए थी। संगठनात्मक चुनाव में देरी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ लोग जहां से इसे सत्ता और संगठन में तालमेल नहीं होना बता रहे हैं तो कुछ लोग राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के चलते चुनाव प्रक्रिया में विलंब होना बता रहे हैं।

चुनाव में अब सिर्फ औपचारिकता

लेट लतीफी के चलते अब संगठन चुनाव में सिर्फ औपचारिकता पूरा करने की स्थिति बन रही है। जुलाई के पहले पखवाड़े तक जिला कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव संपन्न कराए जाने हैं। ऐसे में अब ब्लाक कांग्रेस कमेटी का चुनाव सिर्फ औपचारिकता ही रहेगा। संगठन चुनाव के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बीसीसी का चुनाव 31 मई तक संपन्न हो जाना था। इन चुनावों को लेकर अभी तक बीआरओ की प्रारंभिक बैंठकें भी शुरू नहीं हो सकी हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार संगठन अब ब्लाक कांग्रेस कमेटी के चुनाव को लेकर महज कागजी औपचारिकता पूरा करने पर जोर दे रहा है। यह औपचारिकता पूरा करने के बाद जिला कांग्रेस कमेटी का चुनाव 15 जुलाई तक पूरा करने की तैयारी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सितंबर महीने तक पूरा करने का कार्यक्रम तय है।

पीसीसी का कार्यप्रणाली पर सवाल

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर सांगठनिक चुनावों में देरी के लिए पीसीसी अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष संगठन में अपने लोगों को बिठाना चाहते हैं इसीलिए वे बीआरओ की नियुक्ति में सत्ता को विश्वास में लेना जरूरी नहीं समझे और अपने लोगों की सूची बनाकर हाईकमान को प्रेषित कर दिया। लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। मुख्यमंत्री पूर्व में भी संगठन से संबंधित फैसलों की जानकारी नहीं देने को लेकर अपनी नारजगी जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल पीसीसी अध्यक्ष संगठन में अपने लोगों को बिठाकर सीएम बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को अमलीजामा पहनाना चाहते हैं। लेकिन सीएम ऐसे मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने देंगे और सत्ता के साथ संगठन पर भी अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखेंगे।

बीआरओ नियुक्ति और चुनाव में देरी को लेकर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस के पूर्व प्रभारी महामंत्री चन्द्रशेखर शुक्ला ने कुछ भी बता पाने में असमर्थता जताते हुए कहा कि इस संबंध में पीसीसी अध्यक्ष या फिर महामंत्री संगठन या प्रशासन ही कुछ बता पाएंगे। हमने इनकी प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया लेकिन इनसे संपर्क नहीं हो सका.

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