जगदलपुर। सूचना के अधिकार अधिनियम में जानकारी प्रदान नही करना प्रिंसिपल को भारी पड़ गया। कॉलेज की प्रिंसिपल को 5 आरटीआई का जवाब नही देने पर आयोग ने पांचो मामलों में अलग अलग जुर्माना लगाया है। सभी मे 25-25 हजार के जुर्माने के हिसाब से सवा लाख रुपये का जुर्माना प्रिंसिपल पर किया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार मामला बस्तर के शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जगदलपुर का है। यहां शांतनु कर्मकार ने लैब टेक्नीशियन के पद पर संविदा कर्मी के रूप में सन 84 में नौकरी जॉइन की थी। वे सन 90 में नियमित कर्मचारी बन गए। सन 2000 में उन्हें फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के आरोप में सेवा से पृथक कर दिया गया और कॉलेज प्रशासन ने उन पर एफआईआर दर्ज करवा दी। जिसमे शांतनु कर्मकार को जमानत मिल गई।
वहां भी प्रिंसिपल ने दस्तावेजों के नष्ट होने,पुलिस के द्वारा जब्त कर लिए जाने व पूर्व प्रिंसिपल स्व. आरड़ी दास की मृत्यु के पश्चात दस्तावेज उनके द्वारा कहा संधारित किये गए हैं, इसकी जानकारी नही होने जैसी तथ्यहीन व घुमावदार बातें कहते हुए जानकारी प्रदान नही की। जबकि शांतनु कर्मकार के द्वारा पुलिस अधीक्षक के समक्ष भी आवेदन प्रस्तुत कर इस बाबत जानकारी मांगी थी,जिसमे उन्हें पता चला कि पुलिस ने ऐसी कोई जब्ती नही की है। प्रथम अपीलीय अधिकारी के निर्देशों के बाद भी जानकारी प्रदान नही करने पर शांतनु कर्मकार ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील की। साथ ही प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा भी पत्र लिखकर प्रकरण के संबंध में आयोग को जानकारी दी गई। प्रकरण की सुनवाई के बाद राज्य सूचना आयुक्त एके अग्रवाल के द्वारा सभी प्रकरणों में प्रतिदिन ढाई सौ रुपये जुर्माने के हिसाब से अधिकतम 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। अर्थात 5 अलग अलग प्रकरणों में 25-25 हजार का अलग अलग जुर्माना वी. विजयलक्ष्मी प्राचार्य शासकीय काकतीय महाविद्यालय जगदलपुर पर अधिरोपित राज्य सूचना आयोग के द्वारा किया गया है। कुल सवा लाख का जुर्माना उन पर लगाया गया है।