कलेक्टर का आदेश, लू से नागरिकों को बचाने का प्रयास करें अधिकारी
नारायणपुर। राजस्व एवं विभाग मंत्रालय द्वारा जारी एडवाईजरी अनुसार अनुसार जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान में औसत रूप से वृद्धि होने के कारण विगत कुछ वर्षो से छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हिस्सों में अप्रैल से जून माह के दौरान भीषण गर्मी पड़ने एवं लू चलने इत्यादि की बढ़ती हुई प्रवृत्ति देखी गयी है। इस वर्ष भी माह अप्रैल से तापमान बढ़ने एवं भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। कलेक्टर श्री ऋतुराज रघुवंशी ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित किया है कि सार्वजनिक स्थलों पर पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाये एवं स्वास्थ्य विभाग को लू से बचाव हेतु जागरूक करें। साथ ही जीवनरक्षक दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
सिर में भारीपन आौर दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख न लगना और बेहोश होना आदि लू लगने के लक्षण है।
लू से बचाव हेतु क्या करें:-
तू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज, मुख्यता नमक की कमी हो जाना होता है। इसके बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। अनिवार्य न हो तो घर से बाहर न जाये, धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह बांध ले, पानी अधिक मात्रा में पीये, अधिक समय तक धूप में न रहे, गर्मी के.दौरान नरम मुलायम सूती के कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा और कपड़े को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओआर.एस घोल पीयें, चक्कर आने, मिलती आने पर छायादार स्थान पर आराम करें तथा शीतल पेयजल नीबू पानी अथवा फल का रस, लस्सी मठा आदि का सेवन अपने स्वास्थ्य की स्थिति अनुसार करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 10 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श लिया जाये। उल्टी, सरदर्द तेज बुखार की दशा में निकट से अस्पताल स्वास्थ्य केन्द्र में जरूरी सलाह ली जाये।
लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार -
बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगााये, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलायें जैसे कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटा देवें, शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें। पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही नजदीकी चिकित्सक या अस्पताल में ईलाज के लिये ले जायें, ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. की पैकेट हेतु संपर्क करें।
लू से बचाव हेतु दिये गये निर्देशः-
जिले के सभी शासकीय चिकित्सालय में लू के प्रबंधन हेतु निर्देश जारी किये गये है, जिनमें प्रत्येक अस्पतालों में कम से कम दो बिस्तर मरीजों के लिये आरक्षित किया जाये। वार्ड में शीतलता हेतु कूलर अथवा अन्य उपाय किये जायें। बाहय रोगी कक्ष में बैठने के उचित प्रबंध के साथ ठंडे पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये, प्रत्येक मरीज को लू से बचाव की जानकारी अनिवार्य रूप से दी जाये, कि प्यारा अनुसार पानी अवश्य पीये, छोटे बच्चों को कपड़े से ढंककर छाया वाले स्थान पर रखें, बाहय रोगी विभाग में आने वाले सभी मरीजों को लू के लक्षण की जांच अवश्य करे, प्राथमिक उपचार कथा में ओ.आर. एस. कॉर्नर बनाया जाये, बाह्य रोगी के ऐसे मरीज जिन्हें उपचार पश्चात वापसी हेतु अधिक दूरी जाना है, को आवश्यकता अनुसार ठहरने की व्यवस्था किया जाये, पर्याप्त मात्रा में इन्ट्रा वेनस फ्लूड, ओ.आर.एस पैकेट बुखार के दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाये।