अस्पताल प्रशासन ने कहा- आक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौत
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के बाल्य एवं शिशु रोग विभाग द्वारा संचालित जिला अस्पताल पंडरी के नियोनेटल इंटेंसिवकेयर यूनिट (एनआईसीयू) में मंगलवार को कथित रूप से सात नवजात बच्चों की मौत की जांच शुरू हो गई है। बुधवार दोपहर को रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार ने अस्पताल पहुंचकर मामले की जानकारी ली, साथ ही उन्होंने नवजात शिशु वार्ड में मौजूद डॉक्टरों व कर्मचारियों से बात की। मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर को जांच का जिम्मा सौंपा है। कलेक्टर ने दस्तावेज भी तलब किए हैं। कल देर रात तक लापता अस्पताल प्रबंधन ने बुधवार को सफाई दी है।
ऑक्सीजन की कमी के चलते सात बच्चों की मृत्यु से डॉक्टरों ने किया इनकार : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंढरी स्थित जिला अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत का आरोप परिजनों ने लगाया है। परिजनों का कहना है कि मंगलवार को अस्पताल में सात बच्चों की मौत हुई। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों से इनकार किया है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 24 घंटों में केवल दो बच्चों की मौत हुई।
अंबेडकर अस्पताल में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बन जाने के कारण यहां का स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग का संचालन फिलहाल पंढरी जिला अस्पताल में हो रहा है। यहां पर नवजातों के लिए एनआईसीयू बनाया गया है। एनआईसीयू में माना बस्ती के घनश्याम ने सात माह का बच्चा कुछ दिनों से भर्ती था। मंगलवार को घनश्याम और उनकी पत्नी अपने मासूम से मिलने की जिद कर रहे थे, लेकिन डॉक्टरों ने एनआईसीयू में संक्रमण का खतरा बताकर उन्हें अंदर जाने नहीं दिया। शाम के करीब सात बजे मासूम की मौत की जानकारी मिलते ही परिजनों ने अस्पताल में हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद और भी बच्चों के परिजन अनहोनी के डर से एनआईसीयू में जाने की जिद करने लगे। अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका तो परिजनों ने जमकर हंगामा किया। यह हंगामा करीब 3 घंटे तक चलता रहा। इसके बाद घटनास्थल पर पहुंची पंढरी पुलिस ने मामले को शांत कराया।
बच्चा वार्ड के इंचार्ज ओंकार कंडवाल ने बताया कि मंगलवार सुबह 8 बजे से बुधवार सुबह 8 बजे तक कुल 2 बच्चों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि देर शाम एक बच्चे की अचानक तबीयत खराब होने से उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया था। परिजनों का आरोप है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई है। डॉ खंडवाल ने ऑक्सीजन की कमी से साफ इनकार किया है। उनका कहना है कि अगर ऐसा होता तो अन्य बच्चे भी आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। उन्हें भी कुछ हो सकता था। सात बच्चों की मौत की खबर को भी उन्होंने भ्रामक बताया है।
डॉक्टरों के अनुसार वर्तमान में राजधानी रायपुर के परीक्षित जिला अस्पताल में कुल 37 बच्चों का इलाज चल रहा है। 25 बच्चे क्रिटिकल जोन में रखे गए हैं। पंढरी स्थित जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में रोजाना एक से दो बच्चों की मौत होती है। उन्होंने इसे सामान्य घटना बताया है।
अवैध प्लाटिंग करने वाले 10 और लोगों पर हुई एफआईआर
रायपुर। राजधानी के आउटर में 50 अवैध प्लाटिंग की पुष्टि हो चुकी है। नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम ने इन अवैध प्लाटिंग से संबंधित दस्तावेज और प्लाटिंग करने वालों की जानकारी जुटा ली है। बुधवार को निगम ने 10 लोगों के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पिछले दो दिनों में निगम के अफसरों ने 27 लोगों के खिलाफ पुलिस थाने में अपराध दर्ज कराया है। 23 अन्य लोगों पर एफआईआर कराने के लिए तैयारियां की जा रही है। इस हफ्ते के भीतर सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। शहर में अवैध प्लाटिंग का खेल सालों से चल रहा है। इससे पहले मंगलवार को भी एक साथ 17 लोगों पर एफआईआर कराया गया। फिलहाल सिर्फ अपराध पंजीबद्ध किया गया है। इसमें किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने बताया कि निगम ने खमतराई में 8 और कबीरनगर में 2 केस दर्ज कराया है। ये अवैध प्लाटिंग गोंदवारा और सोनडोंगरी इलाके में की गई है। पुलिस के अनुसार रायपुर एसडीएम ने अवैध प्लानिंग की रिपोर्ट निगम को दी है। उसके बाद निगम लगातार केस दर्ज करा रही है। 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर कराई जानी है, उनके केस तैयार कर लिए गए हैं। ये निगम के सभी 10 जोन के हैं। पुलिस के अनुसार एफआईआर नगर पालिक निगम एक्ट 1956 की धारा 292 के तहत किया जा रहा है। इसमें तीन साल की सजा और दस हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।