![Collector ने नए कानून की बच्चों को दी जानकारी Collector ने नए कानून की बच्चों को दी जानकारी](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/06/29/3830506-untitled-9-copy.webp)
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Manendragarh. मनेंद्रगढ़। कलेक्टर राहुल वेंकट और पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह ने 28 जून को स्वामी आत्मानंद इंग्लिश स्कूल के सभागार में जनप्रतिनिधियों और मीडिया को नए भारतीय न्याय संहिता 2023 की जानकारी दी। कलेक्टर डी. राहुल वेंकट ने बताया कि 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 पूरे देश में लागू होंगे। उन्होंने कहा कि ये कानून पुराने ब्रिटिश कालीन कानूनों की जगह लेंगे, जो कि अब प्रासंगिक नहीं हैं। नए कानूनों से प्रकरणों के समाधान की समय-सीमा तय होगी, जिससे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव होगी। उन्होंने जोर दिया कि इन कानूनों के माध्यम से पीड़ित पक्ष को शीघ्र न्याय मिलेगा, और ई-साक्ष्य, जीरो-एफआईआर, और ई-एफआईआर जैसी सुविधाओं से नागरिकों को राहत मिलेगी। वही पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह ने बताया कि नए कानून भारतीय संसद द्वारा अनुमोदित हैं और इन्हें तकनीकी विकास के अनुरूप बनाया गया है। इन कानूनों में अपराधियों के लिए नई सजा का प्रावधान है, जिसमें बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध पर कड़ी सजा का उल्लेख किया गया है।
एफआईआर की प्रक्रिया अब डिजिटल होगी और जीरो-एफआईआर की सुविधा से नागरिक किसी भी थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस आईपीसी के अंतर्गत पहले बच्चियों से संबंधित था, जिसे अब बालक एवं बालिकाओं के लिए किया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नये कानून के अंतर्गत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी समय का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि अर्थदण्ड में परिवर्तन करते हुए वृद्धि की गई है, जो कि प्रासंगिक एवं सामयिक है। इसके साथ ही अपराधियों के लिए सामाजिक सेवा की बात की गई है। हमारे जो इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड कानून 1860 का कानून था। जो हमारी आजादी के 150 से 200 पुरानी कानून थे और हम लोग आज भी इसी कानून में काम कर रहे थे। अब समय भी बदल गया है और समय बदलने के साथ-साथ आज आजादी के 75 साल में अब टेक्नोलॉजी का भी विकास हुआ है, जिसके कारण इस कानूनों में भी बदलाव जरूरी था। हमारे भारत देश में जनता ही जर्नादन है जनता ही शासन है । इस कानून को बनाने के लिए हमारे पुराने पब्लिक होल्डर, पुलिस, जनता, बिजनेश सेक्टर ऑफिसर के साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों ने इस नवीन भारतीय न्याय संहिता को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस कानून के अलग-अलग धाराओं में सजा के लिए परिवर्तन किया गया है। कानूनों में एकरूपता लाने के लिए इस नया कानून को लाया गया है। उन्होंने बताया कि अब 7 वर्ष से ज्यादा सजा की अवधि के उपरान्त अपराधों में न्याय दल गठित किया जाएगा एवं साक्ष्य एकत्रित करने के बाद विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नए कानून में समय सीमा का निर्धारण किया गया है और पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ ही विभिन्न प्रावधान लागू किए गए है। विशेषकर आपराधिक मामलों में तलाशी एवं जब्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से किया जायेगा । इन नए तीनों कानूनों के संबंध में आम नागरिकों को भी जानकारी होना चाहिए। नए कानून में आरोपियों के लिए नए प्रावधान किए गए हैं। यह सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। अगर पीड़ित पक्ष को न्याय समय पर मिले और पुलिस समय पर विवेचना करें, इसके लिए समय सीमा निर्धारित की गई है।
आम नागरिक के लिए यह एक बहुत ही अच्छा कानून बनाया गया है, ताकि उन्हें सुविधा मिल सकें। पुलिस, विवेचक, प्रार्थी, गवाह, पीड़ित सबके लिए यह एक अच्छा परिवर्तन है। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिक रिपोर्ट भी समय सीमा के अन्दर देना होगा। जिससे पीड़ित पक्ष और आरोपी पक्ष दोनों को फायदा होगा। पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन सिंह ने आगे बताया की यह कानून को सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फॉर्म में होंगे। सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से सभी नागरिक अलग-अलग स्थान में रहते है। ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से सभी आम जनता को फायदा मिलेगा।
पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन सिंह ने कहा कि ई-एफआईआर के लिए फोन, ई-मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते है । अब इसके लिए भी जवाबदेही तय कर दिया जाएगा । प्रार्थी को संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद ही जांच होगी। झूठी शिकायत से बचने के लिए चौदह दिवस के भीतर पुलिस अधिकारी जांच करेंगे तथा गंभीर मुद्दा होने पर एफआईआर दर्ज किया जायेगा तथा विधिवत प्रकरण की विवेचना की जाएगी। अब डिजिटल फॉर्म में शिकायतों को लेने से धीरे-धीरे विश्वसनीयता बढ़ेगी। उन्होंने जीरो-एफआईआर के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पहले प्रार्थी को संबंधित थाने में ही एफआईआर दर्ज करनी होती थी, लेकिन अब जीरो एफआईआर के अंतर्गत प्रार्थी को बड़ी सुविधा प्रदान की गई है और किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। जांच करने के लिए एसडीओपी एवं सीएसपी लिखित में जांच करने के निर्देश देंगे। 14 दिवस में इसका निराकरण करना होगा। ज्यादातर अपराधों में समय पर चालान पेश होते हैं। उन्होंने बताया कि 90 दिवस से ज्यादा होने पर विवेचक को इसके संबंध में कारण बताना होगा और विवेचक की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
उन्होंने बताया कि इस आईपीसी के अंतर्गत पहले बच्चियों से संबंधित था, जिसे अब बालक एवं बालिकाओं के लिए किया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नये कानून के अंतर्गत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी समय का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि अर्थदंड में परिवर्तन करते हुए वृद्धि की गई है, जो कि प्रासंगिक एवं सामयिक है। इसके साथ ही अपराधियों के लिए सामाजिक सेवा की बात की गई है। उन्होंने बताया कि जघन्य अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए नया अपराध पंजीबद्ध किया जा सकता है, इस कानून में पहले से उनके दो चालान न्यायालय में पंजीबद्ध होंगे । उन्होंने बताया कि इस नए कानून में राजद्रोह को हटा दिया गया है, इसके स्थान पर देशद्रोह का नाम दिया गया है। उन्होंने बताया कि फॉरेंसिंक टीम एवं साक्ष्य से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। बच्चों से अपराधिक गतिविधि कराने पर दुगुनी सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों पर अधिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। देश के बाहर भाग जाने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए भी कड़ी प्रावधान किए गए हैं।
वही थाना प्रभारी चिरमिरी अमित कौशिक ने बताया कि नए कानून में 358 धाराएं शामिल की गई हैं, जो 1860 के पुराने भारतीय दण्ड संहिता की 511 धाराओं का स्थान लेंगी। इस नवीन भारतीय न्याय संहिता 2023 में 358 धाराएं और 20 अध्याय शामिल किया गया है, वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं और 39 अध्याय जोड़ा गया है, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कानून में 170 धाराएं और 12 अध्याय जोड़ा गया है। इसके अलावा ई-एफआईआर, जीरो-एफआईआर, डिजिटल प्रक्रियाएं एवं बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कड़ी सजा का प्रावधान दिया गया है। इस कार्यक्रम में अपर कलेक्टर अनिल सिंह सिदार, एसडीएम लिंगराज सिदार, डीआईओ ए.के. मिश्र, आयुक्त नगर निगम चिरमिरी आर. पी. आचला, नायब तहसीलदार महेन्द्र कुमार, तहसीलदार कोटाडोल नीरज कांत तिवारी, तहसीलदार एस. एस. मिश्रा, सब स्पेक्टर प्रेम प्रकाश दुबे, खाद्य अधिकारी जतिन देवांगन, एएसआई बलराम चौधरी, एडोकेट जितेन्द्र प्रताप सिंह, डीएमओ दयानंद तिग्गा, जिला आबकारी अधिकारी शशिकला पैकरा सहित स्कूल के प्राचार्य एवं पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
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Shantanu Roy
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