राजस्थान में कोयला संकट, छत्तीसगढ़ से खनन के लिए अनुमति मिलना मुश्किल
रायपुर। विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राजस्थान सरकार को अपने राज्य मे कोयला संकट दिखाई दे रहा है। वहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर हसदेव अरण्य की खदानों को अपने हाथ में लेने की कोशिश शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर उन्होंने हसदेव की खदानों में उत्खनन शुरू करने की अनुमति देने की मांग की है। छत्तीसगढ़ सरकार इन खदानों के विरोध में पहले ही विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित कर चुकी है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने परसा इस्ट केते वासेन कोल ब्लॉक के दूसरे चरण को सौंपने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। छत्तीसगढ़ से राजस्थान के थर्मल विद्युत संयंत्रों को कोयला आपूर्ति की जाती है। राजस्थान सरकार का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में कोयला स्टॉक में कमी से सरकार चिंतित है। गहलोत ने बघेल को लिखा है कि पीईकेबी कोल ब्लॉक के द्वितीय चरण की 1136 हेक्टेयर वनभूमि पर खनन करने के लिए आवश्यक अनुमतियों को समस्त मंजूरी एवं अनुमोदन प्राप्त हो चुके हैं। आवंटित वन भूमि पर चरणबद्ध खनन करने वर्ष 2022-23 के लिए 134.84 हेक्टेयर पर पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग ने मई 2022 में स्वीकृति दी थी। इस दौरान कुछ गैर सरकारी संगठनों के आंदोलन से 91.21 हेक्टेयर भूमि पर खनन प्रारंभ नहीं हो सका। वर्तमान में पीईकेबी से प्रतिदिन 9-10 कोल रेक की आपूर्ति हो रही है जिससे उत्खनित कोल भंडारण समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। पत्र में जिक्र कहा गया है कि 91.21 हेक्टेयर भूमि सौंपे जाने के बाद खनन के लिए सतह की मिट्टी हटाने में दो महीने का समय लगेगा। खनन के लिए राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित 91.2 हेक्टेयर वन भूमि का तत्काल हस्तांतरण नहीं किया गया तो राज्य के स्वामित्व वाले बिजली उत्पादन स्टेशनों को कोयला के गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।