सीएम की नाराजगी, पीसीसी अध्यक्ष के काम करने के तरीके पर सवाल
- संगठन में पद पाने शुरू हुआ दांव पेंच, वरिष्ठ नेता-विधायक कर रहे लाबिंग
- नियुक्तियों को मरकाम की मनमानी मान रहे वरिष्ठ कांग्रेसियों ने भूपेश बघेल से हस्तक्षेप की मांग की
- वरिष्ठ कांग्रेसियों ने हाई कमान तक बात पहुंचाई
- मोहन मरकाम कांग्रेस संगठन को अपना जेबी संगठन बना कर चला रहे
- 2008-09 के आए नए कांग्रेसियों को ज्यादा पद बांटने का आरोप, पुरानों की उपेक्षा
- उच्च वर्ग के 3 नेता लगातार आलाकमान पास लॉबिंग कर रहे हैं कि किसी न किसी तरह से उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए
- जानकार राजनीतिक सूत्रों ने प्रदेश में 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की जानकरी भी जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि के साथ साझा की है
- एक अल्पसंख्यक वर्ग के नेता की भूमिका भी संदिग्ध
जनता से रिश्ता ब्यूरो /रायपुर/नई दिल्ली
कांग्रेस संगठन में अभी हाल में हुई नियुक्तियों को कांग्रेसी पचा नहीं पा रहे हैं। नियुक्ति के बाद वरिष्ठ कांग्रेसियो में भारी नाराजगी है, वरिष्ठ कांग्रेसी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि अभी जिन पदों पर नियुक्ति हुई है अधिकतर भूमाफिया, दलाल व चाटुकार किस्म के छुटभैये नेता ही अधिक हैं।उक्त नेता ने यह भी बताया कि इन सब नियुक्तियों में एक अल्पसंख्यक वर्ग का नेता दलाल की भूमिका निभा रहा है, जो मुख्यमंत्री का करीबी बताकर पद हासिल कर लिया है। उसके मुख्य भूमिका और पैसों के लेनदेन के कारण अभी हाल में हुई नियुक्तियों में वर्षो से कांग्रेस की मजबूती के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कांग्रेसियों की अनदेखी की गई है जिसे वे निश्चित रूप से पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की मनमानी मान रहे हैं। नियुक्तियों के बाद उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह बवाल सिर्फ रायपुर तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में धीरे-धीरे धधकते हुए फैल रहा है। यह आंधी आगे चलकर सुनामी बन जाएगा जो कांग्रेस के उन बड़े-बड़े वटवृक्ष के लिए नुकसान देह साबित होगा जो अपने नीचे किसी को पनपने नहीं दे रहे है। गौर करने वाली बात यह भी है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री का पूर्व में दिए गए बयान का कोई औचित्य नहीं रह गया है, उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में पद रिश्तेदारों या चाटुकारों को नहीं दी जाएगी। लेकिन अभी ऐसा ही हो रहा है, रिश्तेदारों और चाटुकारों को ही पद दिया जा है। जिसका सर्वत्र विरोध हो रहा है, ऐसे लोगों को पदाधिकारी बना दिया गया है जो कभी कांग्रेस में रहे ही नहीं और कांग्रेस की संस्कृति से कोसों दूर हैं। पैराशूट लैंडिंग वालों की कांग्रेस में जमकर सिक्का चल रहा है।
पूरे प्रदेश में हो रहा विरोध
वरिष्ठ कांग्रेसियों ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि संगठन में पद को भारी रकम लेकर बेचा गया है। पिछली बार जब ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति हुई थी तब भी जमकर विरोध हुआ था भाटापारा में तो कांग्रेस के बजाय दूसरे दल के सक्रिय कार्यकर्ता को अध्यक्ष बनाया गया था, ऐसा भाटापारा के एक वरिष्ठ कांग्रेसी का कहना था। राजनांदगाव जिले में भी नवनियुक्त पदाधिकारी का जमकर विरोध हो रहा है। कमोबेश यही स्थिति रायपुर के गुरु घासीदास वार्ड में भी हुआ था, यहां भी ऐसे को ब्लॉक अध्यक्ष बनाया गया है जो ना तो कभी कांग्रेस भवन में कदम रखी है ना ही कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में दिखीं है। इसके बावजूद अध्यक्ष पद पर उनको बिठाया गया था । छत्तीसगढ़ के अधिकतर कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी वाले अंदाज में कहा कि ऐसे लोगों को पद दिए जाते रहे और जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ न्याय नहीं हुआ तो थोक में इस्तीफा देने में भी देरी नहीं करेंगे। हालांकि अभी खुलकर कोई सामने नहीं आया है सिर्फ दबी जुबान में बोल रहे हैं और उचित समय का इंतजार कर रहे हैं। नाराज नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव में सहयोग नहीं करने का अभी से मन बना लिया है।
भूपेश बघेल की मेहनत पर पानी तो नहीं फेर रहे मरकाम
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता मोहन मरकाम पर सीधे तौर पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। जिसका खामियाजा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। एक प्रकार से देखा जाए तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मेहनत पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम पानी फेरने में लगे हैं। हो सकता है ये किसी दूरगामी परिणाम के अंदेशा में ऐसा कर रहे हो। एक पुराने कांग्रेसी ने बताया कि जानबूझकर पुराने कांग्रेसियो को नाराज किया जा रहा है ताकि पुराने कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ हो जाए और ये अपने एजेंडे में कामयाबी हासिल कर लें। नेताओं ने आगे कहा कि अध्यक्ष महोदय को मनमानी आगामी चुनाव में मंहगी भी पड़ सकती है। अगर अपने चाटुकारो और दलालों को ही पद देना था तो उन्ही के भरोसे चुनाव लडऩे की तैयारी भी कर लें।
भूमाफियाओं का संगठन में दबदबा
प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भू-माफिया और बाहर से आ गए कांग्रेसियों को प्रदेश पदाधिकारी बनाए जाने को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। इसके चलते प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के विरोध में आवाज उठने लगी है। वरिष्ठ कांग्रेसजनों का स्पष्ट कहना है कि हम लोग बरसों से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं इसके बावजूद कांग्रेस की सत्ता आते ही पुराने और निष्ठावान कांग्रेसियों की प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम अनदेखी कर रहे हैं। पीसीसी अध्यक्ष दलाल किस्म के छुटभैया नेताओं की चमचागिरी के कारण ऐसे लोगों की नियुक्ति कर रहे हैं जो लोग सामाजिक और राजनीतिक तौर पर कहीं से भी कांग्रेसी नहीं थे और जो कांग्रेस के संघर्ष के दिनों में भारतीय जनता पार्टी के मोहरे बन कर कार्य करते थे ऐसे लोगों को संगठन में तवज्जो दी जा रही है। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम की कार्यशैली को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी दिखने लगी है। जमीन से जुड़े कांग्रेसी अपनी उपेक्षा से व्यथित हैं। पीसीसी अध्यक्ष के क्षेत्र के कार्यकर्ता ही अब उनके विरोध में खड़े हो रहे हैं।
जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी
जिन नेताओ को निगम मंडलो में जगह नहीं मिली थी वे संगठन में जगह मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे, जिस प्रकार से चाटुकारो ,दलालो और भूमाफियाओ की अभी नियुक्ति हुई है उसमे भी ये छले गए है जिससे वे काफी नाराज बताये जा रहे है और कुछ तो चुनाव में साथ नहीं देने का भी मन बना लिए हैं। इसमें पूर्व विधायक से लेकर कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कार्यकर्ता सम्बन्ध के हिसाब से पद बांटने का आरोप लगाते रहे है, पार्टी के समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है। कई ऐसे लोगों को पद दिया गया जिन्हें कांग्रेसी ही नहीं पहचानते हैं। निगम-मंडलों कई ऐसे नाम औैर चेहरे भी हैं जो सत्ता औैर संगठन दोनों ही जगह हैं इसे लेकर कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त नाराजगी है। सूची जारी होने से पहले ऐसा कहा जाता था कि निगम मंडलों में ऐसे लोगों को कम महत्व दिया जाएगा, जो 15 साल सत्ता के संघर्ष से बाहर रहे हैं। जब निगम मंडलो में नियुक्ति हुई तो अधिकतर नाम उन्ही लोगो का था। कर्मठ और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को महत्व नहीं मिलने से वे काफी मायूस और आक्रोशित भी हैं। कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी की 15 सालों बाद सत्ता में लौटने से अब उन्हें भी मेहनत का इनाम मिलेगा लेकिन तमाम निगम-मंडलों में फ्रंट लाइन नेता और पदाधिकारी रहे लोगों को ही नियुक्त कर दिया गया इससे कार्यकर्ता ठगा सा महसूस कर रहे थे फिर उन्हें लगा कि शायद संगठन के पदाधिकारियों की निगम-मंडलों में नियुक्ति से खाली होने पदों पर उन्हें अवसर दिया जाएगा लेकिन यहां भी उनकी अनदेखी की जा रही है।
दलाल-चाटूकारों को बांट रहे पद
निगम-मंडलों में नियुक्ति के दौरान कई ऐसे नेताओं को पद बांटे गए जिनका कांग्रेस से हाल-फिलहाल का ही संबंध है, दलाल व चाटूकार किस्म के दूसरे दलों व संगठनों से आकर बड़े नेताओं के आगे पीछे घुमने वालों को उपकृत किया गया जबकि निष्ठावान, जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को भाव नहीं मिला। कई महीने निगम-मंडल और संगठन में दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाले जिन नेताओं को संगठन से मुक्त कर नए लोगों को जिम्मेदारी दी गई उसे लेकर भी कार्यकर्ताओं में असंतोष है। जिन जिलों में जिलाध्यक्ष बदले गए वहां विरोध के स्वर उभर रहे हैं। वहीं अन्य नियुक्तियों को लेकर भी कार्यकर्ता अपनी नाराजगी लगातार जाहिर कर रहे हैं।
एक व्यक्ति एक पद फार्मूला पर अमल नहीं
एक व्यक्ति एक पद की बात कहकर महीनों तक इस पर अमल नहीं किया गया। हालाकि कुछ चेहरों को जो सत्ता से जुड़ गए हैं उनको संगठन से बाहर कर दिया गया है लेकिन कई ऐसे नेता भी हैं जो सत्ता और संगठन में अभी भी बने हुए है। देखा जाये तो अमल शुरू हुआ भी तो आधे-अधूरे तरीके से अपने करीबियों को उपकृत करने के लिए निगम-मंडल में नियुक्त किए गए कुछ पदाधिकारियों की संगठन से छुट्टी कर दी गई। जिन्हें संगठन से हटाया गया है उनके अतिरिक्त भी कई वरिष्ठ नेता अभी संगठन और सत्ता दोनों में भागीदार बने हुए हैं। इस वजह से भी पुराने कांग्रेसी जो अभी पद विहीन हैं, काफी नाराज बताये जा रहे हैं।
मरकाम की कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री नाराज
अमूमन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जहां पर पार्टी की सरकार होती है वहां मुख्यमंत्री से अनुमति लेते के उपरांत ही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाती है और उनसे चर्चा के बाद मिटिंग का एजेंडा तय किया जाता है तथा प्रदेश के सभी पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र की संपूर्ण जानकरी के साथ बैठक में आमंत्रित किया जाता है। यही परंपरा सदियों से कांग्रेस की परिपाटी रही है, लेकिन यहां उलटा ही चल रहा है। जिसके चलते पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम की कार्यप्रणाली पर निष्ठावान और जमीन से जुड़े कार्यकर्ता सवाल उठाने लगे हैं। कार्यकर्ताओ ने यह भी कहा कि निगम मंडलो में हुई नियुक्ति में भी पैसे का बोलबाला रहा। पैसा लेकर ऐसे लोगो को पद दिया गया जो कभी कांग्रेसी ही नहीं रहे। एक कार्यकत्र्ता ने बताया कि इन सब की जानकारी और शिकायत आलाकमान को भेजी गई है। देखा गया है कि दूसरे दलों और संगठनों से आए और पार्टी के बड़े नेताओं की जी हुजूरी करने वाले चाटूकार और दलाल किस्म के छुटभैय्ये नेताओं को संगठन में जिम्मेदारी दी जा रही है। वरिष्ठ कांग्रेसियो का मानना है कि मोहन मरकाम खुद ही 2007-08 में पहली बार राजनीति में प्रवेश किए और विधायक चुने गए। इसके पहले वे कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य भी नहीं रहे तो उन्हें पुराने और निष्ठावान कांग्रेसियो के बारे में जानकारी कैसे होगी।
पांच विधायक प्रदेश अध्यक्ष बनने का सपना संजोये बैठे हैं
पिछले दिनों दिल्ली गए विधायकों में कुछ विधायक भी बहती गंगा में हाथ धोने आतुर दिख रहे हैं , उनके समर्थकों का मानना है कि सत्ता में अगर जगह नहीं मिली तो कम से कम संगठन में ही बने रहकर मलाई खाई जा सकती है। क्योकि सत्ता और संगठन दोनों से दूर हुए तो आवभगत के लाले पड़ जायेंगे जिसके लिए वे भी मुखर होने लगे हैं। इसलिए कई कई विधायक भी संगठन में पदाधिकारी बनने दबाव बनाने लगे हैं। खबर है कि दो दिन पहले थोक में दिल्ली गए विधायकों में से पांच विधायकों ने केन्द्रीय नेताओं के सामने पीसीसी अध्यक्ष के लिए दावा ठोंका हैं। इतना ही लगभग आधा दर्जन विधायक ऐसे भी हैं जो संगठन में बड़े फेरबदल के साथ कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की मांग करते हुए अपनी-अपनी दावेदारी पेश की है। इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में अंदर ही अंदर जबर्दस्त विरोध पनप रहा है जो अब धीरे-धीरे सतह पर आने लगा है।