सीएमएचओ की अपील: किसी भी आपात स्थिति में तुरंत डॉक्टर से करें संपर्क
रायगढ़। जिले में बीते कुछ दिनों में हुई बारिश के कारण कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। हालांकि अब बाढ़ का पानी गांवों से उतर चुका है। प्रभावितों को सारंगढ़-पुसौर-सरिया के 7 राहत शिविर में रखा गया था। पुसौर में फिलहाल 4 मरीज ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में हैं, पर बाढ़ के कारण उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्यगत समस्याओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार लोगों से एहतियात बरतने की अपील कर रही हैं।
कलेक्टर के निर्देश पर सीएमएचओ डॉ.एस.एन.केशरी ने संबंधित खंड चिकित्सा अधिकारियों, डॉक्टर्स समेत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को बाढ़ के बाद बीमारियों को लेकर बचाव के लिए समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। सीएमएचओ ने बताया कि बाढ़ का पानी कम होने के बाद डायरिया, डेंगू और टायफाइड जैसी बीमारियों का प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए यह बीमारियां गंभीर रूप न लें, इसके लिए जरूरी दवाओं को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाया जा चुका है। चूना और ब्लीचिंग छिड़काव हो रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि आज सुबह पुसौर विकासखंड में 55 वर्षीय व्यक्ति को उल्टी, दस्त की समस्या हुई जिस पर उसके परिजनों ने वहीं के एक निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया। फिर उन्हें रायगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने ले जाया जा रहा था कि उसी दौरान उनकी मौत हो गई।
पुसौर के विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.बी.के.चंद्रवंशी ने बताया उक्त व्यक्ति के मौत की जाँच की जा रही है। क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं मितानिनों के सहयोग से सभी घरों में क्लोरिन के टेबलेट बांट दिये गये हैं। लोगों को साफ पानी पीने की सख्त हिदायद दी गई है जिससे वे डायरिया और उल्टी से बच सके। जिन्हें उल्टी, दस्त की समस्या हैं वह ओआरएस घोल का सेवन करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। हमारी टीम दिनरात लगी हुई है।
बीमारियों से कैसे करें बचाव
पुसौर के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.बी.के.चंद्रवंशी कहते हैं बाढ़ के दौरान गंदे पानी में बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जिस कारण लोगों को कई प्रकार के त्वचा रोग भी हो जाते हैं। बाढ़ के बाद लोगों को एहतियात बरतने की आवश्यकता है। शुद्ध पानी से कई बीमारियों से निजात मिल सकता है। लोगों को पानी उबालकर पीना चाहिए। साथ ही शरीर में आवश्यक खनिज आपूर्ति के लिए नारियल पानी या स्वच्छ पानी का उपयोग भी कर सकते हैं। बाढ़ के कई इलाकों में लोग पीने के पानी के लिए भूजल पर निर्भर होते हैं, इसलिए जीवाणु संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए पानी में क्लोरीन भी मिला सकते हैं।