छत्तीसगढ़

सीएम भूपेश बघेल ने जीता 'छत्तीसगढ़ का दिल'

Admin2
10 Oct 2020 6:59 AM GMT
सीएम भूपेश बघेल ने जीता छत्तीसगढ़ का दिल
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राज्य सरकार के फैसलों से जागी नई उम्मीदें


अतुल्य चौबे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के फैसलों ने प्रदेशवासियों में नई आशा और उत्साह भर दिया है। किसानों, आदिवासियों, गरीबों, मजदूरों सहित अन्य वर्गों के हित में लिए जा रहे निर्णयों से जहां छत्तीसगढ़ की ग्रामीण कृषि आधारित अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, वहीं राज्य के उद्योग और व्यवसाय भी फलने-फूलने लगे हैं। मुख्यमंत्री के संवेदनशील प्रयासों से समृद्ध और खुशहाल छत्तीसगढ़ गढऩे का सपना साकार होने की उम्मीद जगी है। लगभग 22 महीने के कार्यकाल में ही भूपेश सरकार ने जिस तरह के निर्णय लिए उससे किसान, मजदूर व गरीब वर्ग को सीधा लाभ मिला है, जिससे सरकार के कामकाज व व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। किसान कर्जमाफी, किसान न्याय योजना, नरवा-गरवा अऊ घुरवा, गोघन न्याय योजना, खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना व तेंदूपत्ता संग्राहकों को त्वरित भुगतान जैसे फैसलों और योजनाओं से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशीलता और विकासपरक सोच की झलक मिलती है। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों को सहेजते हुए मुख्यमंत्री ने जमीनी हकीकतों पर केन्द्रित विकास का छत्तीसगढ़ी माडल विकसित किया, जिसके केन्द्र में किसान, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और जरूरतमंद लोग हैं। उन्होंने गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ माडल से अंचल की चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के विकास को गांवों के विकास का माध्यम बनााया है। भूपेश सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण ही कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान, जब देश के दीगर हिस्सों में आर्थिक गतिविधियां ठप थी, तब छत्तीसगढ़ आर्थिक मंदी से बचा रहा। छत्तीसगढ़ का दिल गांवों में बसता है। लिहाजा यह कहना अनुचित नहीं होगा कि भूपेश सरकार के फैसलों ने गांवों में बसे छत्तीसगढ़ का दिल जीत लिया है। गांवों में सरकार के फैसलों से नई उम्मीदें जागी है।

राज्य सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 25 सौ रुपए क्विंटल पर धान की खरीदी, कर्जमाफी और सिंचाई कर की माफी से खेती से विमुख हो रहे लोगों ने फिर से खेती की ओर रूख किया। 'राजीव गांधी किसान न्याय योजना' के तहत राज्य सरकार किसानों को आदान सहायता राशि के रूप में चार किश्तों में 5750 करोड़ की राशि दे रही है। इसकी 15-15 सौ करोड़ की दो किश्ते दी जा चुकी हैं। तीसरी किस्त राज्य स्थापना दिवस के दिन एक नवंंबर को देने की तैयारी है। धान उपजाने वाले किसानों को धान की अच्छी कीमत हमेशा मिलती रहे किसान समर्थन मूल्य पर ही आश्रित न रहें, इसके लिए उन्होंने धान से एथनाल बनाने पर काम शुरू करने की पहल की है। इसके लिए निजी कम्पनियों से एमओयू भी किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सुराजी गांव योजना लागू की। देश में पहली बार गोबर की खरीदी के लिए गोधन न्याय योजना शुरू की। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से पशुपालकों को आर्थिक संबल मिला है। गांवों में गौठान और रोकाछेका की व्यवस्था से फसलों की सुरक्षा और गौवंश का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा। गौठानों में खरीदे जाने वाले गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर इसकी बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम की जाएगी, इससे प्रदेश जैविक खेती की ओर बढ़ेगा और ग्रामीणों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा। गांव के लोगों को रोजगार से जोडऩे के लिए गौठानों में युवाओं की आर्थिक गतिविधि के लिए एक एकड़ जमीन की व्यवस्था की गई है। नरवा कार्यक्रम में 13 सौ नालों के पुनर्जीवन के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। इन योजनाओं के पूरा होने पर सतही जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा, इससे भूजल का स्तर बढ़ेगा वहीं पर्यावरण सुधरेगा। गांवों में बाड़ी कार्यक्रम और घुरवा के जरिए जैविक खाद और जैविक सब्जी और फल का उत्पादन हो सकेगा। उन्होंने किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने पांच वर्षों में प्रदेश में वर्तमान सिंचाई क्षमता दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।

मुख्यमंत्री ने पिछले डेढ़ वर्षो में वनांचल के लोगों पर भी पूरा ध्यान दिया है। बस्तर संभाग में वर्षों से लंबित बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना का काम आगे बढ़ा है। इस योजना के बनने से लगभग तीन लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा मिलेगी। (शेष अंति पृष्ठ पर)

समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघुवनोपज की संख्या 7 से बढ़ाकर 31 कर दी गई है। तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर प्रति मानक बोरा 2500 रूपए से बढाकर 4000 रूपए की गई है, जो देश में सर्वाधिक है। तेन्दूपत्ता श्रमिकों को वर्ष 2018 में तेन्दूपत्ता लाभांश के रूप में 232 करोड़ रूपए की राशि उनके खातों में डाली गई है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए शहीद महेन्द्र कर्मा सामाजिक सहायता योजना भी शुरू की गई है। इस योजना में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को प्रीमियम राशि नहीं देनी होगी। लगभग साढ़े 12 लाख संग्राहक परिवारों को लाभ मिलेगा। राज्य सरकार कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ प्रदेश के पिछड़े इलाकों में उद्योगों की स्थापना की रणनीति पर आगे बढ़ रही है।

राज्य सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा, छोटे भूखंडों के पंजीयन और भूमि की खरीदी बिक्री की गाइड लाइन में 30 प्रतिशत की छूट जैसे निर्णय लिए जाने से शहरों की अर्थव्यवस्था में गति आयी है। शहरों में रिक्त भूमि का व्यावसायिक इस्तेमाल, मेडिकल कालेजों की स्थापना जैसे अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, हाट बाजार क्लिनिक योजना, शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना जैसे बड़े कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। 'डॉ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना से रियायती दरों पर पैथोलॉजी तथा अन्य जांच सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। स्कूली बच्चों की पढ़ाई के लिए 'पढ़ई तुंहर दुआर और घर पहुंच नागरिक सेवाएं देने के लिए Óमुख्यमंत्री मितान योजनाÓ शुरू की गई है। विद्युत के पारेषण-वितरण तंत्र की मजबूती के लिए ''मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना भी प्रारंभ की गई है। इसी प्रकार 'महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, मरवाही में महंत बिसाहू दास जी के नाम से उद्यानिकी महाविद्यालय सहित 4 नए उद्यानिकी कॉलेज तथा एक खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण कॉलेज, दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को बढ़ावा देने 3 विशिष्ट पॉलीटेक्निक कॉलेज भी खोले जाएंगे। राज्य सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। राम वन गमन पथ विकसित करने के लिए 137 करोड़ रूपए का कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया है, जिस पर काम शुरू हो गया है।

समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघुवनोपज की संख्या 7 से बढ़ाकर 31 कर दी गई है। तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर प्रति मानक बोरा 2500 रूपए से बढाकर 4000 रूपए की गई है, जो देश में सर्वाधिक है। तेन्दूपत्ता श्रमिकों को वर्ष 2018 में तेन्दूपत्ता लाभांश के रूप में 232 करोड़ रूपए की राशि उनके खातों में डाली गई है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए शहीद महेन्द्र कर्मा सामाजिक सहायता योजना भी शुरू की गई है। इस योजना में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को प्रीमियम राशि नहीं देनी होगी। लगभग साढ़े 12 लाख संग्राहक परिवारों को लाभ मिलेगा। राज्य सरकार कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ प्रदेश के पिछड़े इलाकों में उद्योगों की स्थापना की रणनीति पर आगे बढ़ रही है।

राज्य सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा, छोटे भूखंडों के पंजीयन और भूमि की खरीदी बिक्री की गाइड लाइन में 30 प्रतिशत की छूट जैसे निर्णय लिए जाने से शहरों की अर्थव्यवस्था में गति आयी है। शहरों में रिक्त भूमि का व्यावसायिक इस्तेमाल, मेडिकल कालेजों की स्थापना जैसे अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, हाट बाजार क्लिनिक योजना, शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना जैसे बड़े कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। 'डॉ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना से रियायती दरों पर पैथोलॉजी तथा अन्य जांच सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। स्कूली बच्चों की पढ़ाई के लिए 'पढ़ई तुंहर दुआर और घर पहुंच नागरिक सेवाएं देने के लिए Óमुख्यमंत्री मितान योजनाÓ शुरू की गई है। विद्युत के पारेषण-वितरण तंत्र की मजबूती के लिए ''मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना भी प्रारंभ की गई है। इसी प्रकार 'महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, मरवाही में महंत बिसाहू दास जी के नाम से उद्यानिकी महाविद्यालय सहित 4 नए उद्यानिकी कॉलेज तथा एक खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण कॉलेज, दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को बढ़ावा देने 3 विशिष्ट पॉलीटेक्निक कॉलेज भी खोले जाएंगे। राज्य सरकार प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। राम वन गमन पथ विकसित करने के लिए 137 करोड़ रूपए का कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया है, जिस पर काम शुरू हो गया है।

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