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नगर निगम ने आखिरकार शहर की दर्जनभर चुनिंदा सड़कों से सिर्फ धूल साफ करने के सोमवार को 2 स्वीपिंग मशीनें उतार दी हैं। निगम ने एक माह पहले सर्वे कर यह पता लगाया था कि शहर की इन प्रमुख सड़कों पर 20 टन से ज्यादा धूल फैली हुई है। इसे उठाकर बाहर फेंकने के साथ-साथ रोजाना बढ़ रही और धूल को भी साफ करना जरूरी है। सीएम भूपेश बघेल के हाथों लोकार्पण के बाद मंगलवार यानी कल से यह मशीनें शहर की 85 किमी फोरलेन, टू-लेन या सिंगल लेन चौड़ी सड़कों की सफाई शुरू कर देंगी।
निगम के सर्वे के मुताबिक शहर में सड़कों पर फैले कंस्ट्रक्शन मटेरियल, पाइपलाइन बिछाने के लिए सड़कों की खुदाई और आउटर से गाड़ियों के पहियों के साथ बारीक धूल (पीएम 2.5) भीतर आ रही है। धूल के यह कण इतने महीन हैं कि सड़कें ही नहीं, इसके आसपास के मकानों तक घुस रहे हैं और प्रदूषण की बड़ी वजह बनने लगे हैं।
धूल से डील करने का निगम का तरीका भी त्रुटिपूर्ण रहा है। अभी निगम के कर्मचारी रोज इन सड़कों की सफाई करते हैं, लेकिन धूल को डिवाइडर के किनारे ही छोड़ रहे हैं। यह दिनभर में फिर शहर में फैल रही है। इसी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि शहर की सड़कों पर इस समय लगभग 20 टन धूल पड़ी हुई है।
शहर की करीब 85 किलोमीटर टू लेन, फोर लेन और उससे ज्यादा चौड़ी सड़कों पर झाड़ू मशीनों से लगायी जाएगी। चार साल में इसपर 46.57 करोड़ खर्च होंगे।
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