आंगनबाड़ी में लगी चौपाल, टीबी रोग के प्रति किया गया जागरूक
ऐसे ही एक कार्यक्रम में आई विमला देवांगन कहती है: ''टीबी रोग के प्रति पूर्व में जो हमारी धारणा थी, वह यहां आकर दूर हुई, विशेष रुप जैसे टीबी संक्रमित रोगी के मरने के बाद ही खत्म होता है । लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र में लगी चौपाल में आकर यह जानकारी मिली कि टीबी का इलाज नियमित रूप से करने पर इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है, व्यक्ति पहले की तरह स्वस्थ जीवन जी सकता है ।'' टीबी चैंपियन चमेली देवांगन ने चौपाल में आकर टीबी रोग के लक्षण एवं कारणों के बारे में बताया। उन्होंने केंद्र पर मौजूद लोगों को बताया व्यक्ति को दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी का होना या खांसी के साथ बलगम आना कभी−कभी थूक में खून आना या वजन का कम होना, भूख न लगना और सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत होना क्षय रोग के लक्षण होते है। ऐसा होने पर तुरंत नजदीक के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए । शासन द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी का निशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाता है।
``समय पर पहचान हो जाने से टीबी का इलाज काफी आसान हो जाता है । अगर आपके आस पास किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार के लक्षण दिखते है तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में लेकर जाए या मितानिन से संपर्क करें ताकि समय पर संक्रमित के इलाज की सुनिश्चित व्यवस्था की जा सके,'' चमेली देवांगन ने बताया ।
विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक तिल्दा ममता सुनानी के अनुसार विकासखंड में अप्रैल 2022 से चौपाल लगाकर टीबी रोग के प्रति जागरूक किया जा रहा है । लोगों के बीच जाकर स्वास्थ्य विभाग और टीबी चैंपियंस के द्वारा चौपाल लगाई जाती है जिसमें टीबी के बारे में बताया जाता है।
अप्रैल से अब तक 13 चौपाल लगाई गई है । प्रत्येक चौपाल में 10 से 15 लोग रहते हैं । इन चौपाल के माध्यम से 17 लोग ऐसे लोग थे जिन्होंने टीबी चैंपियन या मितानिन के सहयोग से अपनी जांच करवाई, उसमें एक संक्रमित पाया गया था जिसका नियमित रूप से इलाज चल रहा। भारत से क्षय रोग को 2025 तक पूर्ण रूप से समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य को 2023 तक टीबी मुक्त बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत जिले में युद्ध स्तर पर टीबी नियंत्रण की दिशा में कार्य किये जा रहे है।