छत्तीसगढ़

जहर उगल रहीं चिमनियां, फैक्ट्रियों के धुएं से सांसत में जान...

Nilmani Pal
5 Oct 2023 5:49 AM GMT
जहर उगल रहीं चिमनियां, फैक्ट्रियों के धुएं से सांसत में जान...
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एनजीटी चिंतित, लेकिन पर्यावरण विभाग और नगर निगम निष्क्रिय

रायपुर। देश में बढ़ते प्रदूषण को लेकर भले ही एनजीटी चिंतित है लेकिन पर्यावरण विभाग और नगर निगम पूरी तरह निष्क्रिय हैं। लेकिन नगर निगम शहर से निकलने वाले कूड़े को रोड के पास बीचों बीच जमा कर उसमें रात के अंधेरे में आग के हवाले कर देती है, जिससे कूड़े से निकलने वाले धुएं से वहां आसपास के रहने वाले लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लोगों की मानें तो उनके घरों में इस प्रदूषण युक्त धुंए के जाने से उनका दम तक घुटने लगता है, लेकिन जिला प्रशासन इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भले ही देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर 2 सप्ताह के लिए स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए हो, लेकिन रायपुर नगर निगम इससे सीखने का नाम नहीं ले रही है। नगर निगम के हिटलर शाही रवैया से लगभग लाखों आबादी की जिंदगी खतरे में पड़ गई है।

लोगों को प्रदूषण से हो रही खासी समस्या

नगर निगम के द्वारा बनाए गए अवैध डंपिंग यार्ड में नगरनिगम कर्मी कूड़ा जमा करके रात के अंधेरे में आग लगाकर जला देते हैं, जिससे निकलने वाले जहरीले धुएं के चलते वहां आसपास रहने वाले लोगों को प्रदूषण से खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन जिम्मेदार है कि कुंभकरण की नींद में सोए हुए हैं।

शहर साफ करके गांव में डाली जा रही है गन्दगी

नगर निगम को साफ सुथरा किया जा रहा है। लेकिन साफ करके कड़ा करकट रोड पर फेंका जा रहा है। इस बात से लोग काफी नाराज है।

पर्यावरण संरक्षण मंडल के दांत ही नहीं

पर्यावरण संरक्षण मंडल बना सफेद हाथी। काम के नाम पर हाथी के दांत की तरह प्रदर्शन हो रहा है यानी खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत अलग। पिछले कुछ सालों में वायु प्रदूषण लोगों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। आधुनिकीकरण की अंधी दौड़ में तेजी से बढ़ते पेट्रोल-डीजल चलित वाहनों की संख्या, निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल के अति सूक्ष्म कण, कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं, ठोस कचरे और फैक्ट्रियां एवं अन्य कई कारणों से वैश्विक आबोहवा बिगड़ती जा रही है। जिसकी वजह से लोगों का सांस लेना भी दूभर होता जा रहा है।

वायु प्रदूषण के मामले में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार है। यहां तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण प्रदूषण का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है। नतीजा यह है कि यहां आधी आबादी कई बीमारियों की चपेट में है।

राजधानी के आसपास में ज्यादातर फैक्ट्री और पावर प्लांट स्थापित है। जिस वजह से पूरा इलाका ही प्रदूषण का दंश झेल रहा है, लेकिन इसके अलावा भी यहां शहर के बीचों बीच फैक्टरियां, कारखाने है। इन कंपनी की चिमनियों से उगलता धुआं इलाके के घरों में घुसकर दीमक की तरह लोगों की जिंदगी को धीरे-धीरे खोखला कर स्लो-पॉयजन का काम कर रहा है।

इस जहरीले धुएं से अपनी जान बचाने के लिए इन फ्लैटों के लोगों को अपनी खिड़कियां हमेशा बंद रखनी पड़ती हैं। धुएं से निकलने वाले जानलेवा काले कण खाने-पीने के बर्तनों और घरों में रखे सामानों पर भी जम जाते हैं। पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण विभाग की निगाह भी संभवत: इन कंपनियों से निकलने वाले जहरीली धुएं पर नहीं पड़ रही है।

आबोहवा प्रदूषित

मौसम के बदले रूख और बढ़ी आद्रता के बीच जिले की हवा खराब होती जा रही है। फैक्टरी और विद्युत उत्पादक कंपनियां प्रदूषण का प्रमुख कारण माना जा रहा है। एप पर जारी रिकॉर्ड के मुताबिक, 1 नवंबर को वायु गुणवत्ता इंडेक्स 300 के करीब दर्ज किया गया है। इसे सबसे खराब स्थिति माना जा रहा है।

कई बार लगा चुके हैं फटकार

विभागीय मंत्री ने अफसरों, उद्योग संचालकों को प्रदूषण की समस्या को लेेकर कई बार फटकार लगा चुके हैं लेकिन स्थिति जस की तस है। लोगों को अभी तक प्रदूषण की समस्या से निजात नहीं मिली है जिसके चलते गंभीर रूप से बीमार होते जा रहे हैं।

देका जा रहा है कि छग में राजधानी सहित कई शहरों के नजदीक औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण कारखानों की चिमनी से निकलने वाले जहरीले धुंए से परेशान है। इस पर उन्होंने संज्ञान लिया था और बैठक बुलाकर अधिकारियों को फटकारते हुए सही तरह से कार्य करने और प्रदूषण नियंत्रण की मशीन लगाने के निर्देश दिए थे। उसके बाद से यहां प्रदूषण का स्तर ठीक था। पिछले कुछ महीने से फिर से स्थिति पहले से अधिक खराब हो गई थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी मांगी की कितनी फैक्ट्रियों ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए मशीन लगाई हुई है और उनकी स्थिति क्या है।

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