छत्तीसगढ़
बच्चों ने घर ले जाकर हल किया अर्धवार्षिक परीक्षा का पेपर
Shantanu Roy
11 Jan 2023 2:44 PM GMT
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छग
लखनपुर। सरकारी स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाए जाने को लेकर सरकार के द्वारा प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों रुपए खर्च की जा रही है लेकिन विभाग के आला अधिकारियों की अनदेखी के चलते स्कूली शिक्षा का ढांचा चरमरा था दिख रहा है। इसका कारण है स्कूलों में शिक्षकों की कमी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुमगरा कला माध्यमिक शाला एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है। एकल शिक्षक साला में होने से स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा गई है। सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गुमगरा कला के शासकीय माध्यमिक शाला में विगत कई वर्षों से एक शिक्षक के भरोसे स्कूल का संचालन हो रहा है। जिससे बच्चों के पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। और उनका भविष्य अंधकार में है। यही नहीं शासकीय माध्यमिक शाला में हाल ही में हुए अर्धवार्षिक की परीक्षा में स्कूल के बच्चों द्वार प्रश्न पत्र को घर ले जाकर हल करने का मामला भी सामने आया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक गुमगरा कला माध्यमिक शाला में कुल 71 बच्चे अध्ययनरत हैं। विद्यालय में एक शिक्षक होने से सभी विषयों की बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। और कोर्स भी कंप्लीट नहीं हो पाया। जिसे पूरे तरीके से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। अर्धवार्षिक परीक्षा के शुरू होते हैं बच्चों के द्वारा जैसे तैसे अर्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्नों को हल किया गया। विज्ञान विषय की पढ़ाई नहीं होने की स्थिति में 9 जनवरी को परीक्षा के दिन बच्चों के कहने पर शिक्षिका ने कक्षा सातवीं के बच्चे को प्रश्नपत्र को घर ले जाकर हल करके स्कूल में लाकर जमा करने को कहा। प्रश्न पत्र को हल कर बच्चों के द्वारा स्कूल मिलाकर उत्तर पुस्तिका जमा किया गया। तो वही माध्यमिक शाला में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि विगत कई वर्षों से शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल में पदस्थ शिक्षिका के द्वारा शिक्षकों की कमी को लेकर संकुल समन्वयक खंड शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया गया है परंतु अब तक शिक्षकों की नियुक्ति विद्यालय में नहीं की गई हैं। पदस्थ शिक्षक सहित बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
और कहीं ना कहीं बच्चों का भविष्य अंधकार में है। अगर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होती है तो आने वाले समय में अभिभावकों के द्वारा आंदोलन करने की बात भी कही गई है। अब देखने वाली बात होगी कि विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति होती या नही। या फिर एक ही शिक्षक के भरोसे विद्यालय का संचालन होगा। इस संबंध में शिक्षिका श्रीमती भावना वर्मा ने मीडिया कर्मियों से जानकारी देते हुए बताया कि विगत 1 वर्ष से वह विद्यालय में अकेली शिक्षिका है। 3 शिक्षक अटैच थे। परंतु शासन के द्वारा स्कूलों में अटैच नियम समाप्त करने उपरांत तीनों शिक्षक वापस अपने-अपने विद्यालय में चले गए। एक शिक्षक होने पर ऑफिस कार्य सहित बच्चों को पढ़ाई कराना है, जिससे अनेकों प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसकी जानकारी शिक्षिका भावना वर्णन है खंड शिक्षा अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया है। वहीं संकुल समन्वयक विनोद कुमार गुप्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विद्यालय में दो रेगुलर शिक्षक है। विरेंद्र कुमार कुजूर लटोरी हॉस्टल अधीक्षक है। राज्य सरकार के आदेश के बाद भी शिक्षक को रिलीव नहीं किया गया है। रामचंद्र राजवाड़े परसोडी कला के शिक्षक को गुमगरा कला माध्यमिक शाला में बच्चों को पढ़ाने के लिए अटैच किया गया। प्रधान पाठक आर भावना वर्मा के द्वारा फोन के माध्यम से प्रश्न पत्र और कापी देने की सूचना दी गई थी। जिस पर संकुल समन्वयक ने प्रधान पाठक भावना वर्मा को को डांट लगाते हुए पेपर अच्छे ढंग से संचालन की बात कहीं गई। आपको काफी नहीं देना चाहिए था। जो कि गलत हैं। विद्यालय में अटैच शिक्षक रामचंद्र राजवाड़े की जानकारी खंड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को दी गई है। इस संबंध में शिक्षक रामचंद्र राजवाडे ने बताया कि इस विद्यालय में पहले मैं आकेला शिक्षक अटैच था। पिछले वर्ष शिक्षिका भावना वर्मा स्कूल में आईं। अटैच नियम समाप्त होने के उपरांत मैं अपने विद्यालय पर परसोड़ी कला चला गया। 10 जनवरी दिन मंगलवार को संकुल कार्यालय में मीटिंग के कार्य से आया हुआ था बच्चों को बाहर खेलते देखा तो उन्हें पढ़ाने लगा।
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