मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 12 वीं कड़ी में बच्चों से रू-ब-रू होते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के बच्चे अपनी सेहत, शिक्षा, हुनर, खेलकूद के कौशल के उच्च मानदंड हासिल कर, लगन और संस्कार से देश-दुनिया में अपनी अलग और विशिष्ट पहचान बनाएं। राज्य सरकार द्वारा बच्चों की अच्छी सेहत, उनकी बेहतर शिक्षा, हुनर विकसित करने, खेल कौशल को उत्कृष्ट बनाने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसके साथ ही साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सहेजने और उसके संवर्धन, संरक्षण के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आज आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रिय समाचार चैनलों पर प्रसारित लोकवाणी में 'बालक-बालिकाओं की पढ़ाई, खेलकूद, भविष्य' विषय पर बच्चों और प्रदेशवासियों के साथ अपने विचार साझा किए।
महासमुंद में लोकवाणी उत्साह के साथ सुना गया विशेषकर बच्चों में खासा उत्साह देखा गया। महासमुंद के रहने वाले अभिज्ञान साहू ने मुख्यमंत्री के साथ हुए चर्चा में बताया कि वह माता कर्मा के महत्व को इसलिए बहुत अच्छे से समझ पाया क्योंकि अब उस दिन अवकाश रहता है । मुख्यमंत्री द्वारा अवकाश देने के कारण अब यह पूरे परिवार के साथ भक्त माता कर्मा की जयंती आनंद के साथ मनाते हैं। उन्होंने इस नेक निर्णय के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया। अभिज्ञान साहू कक्षा सातवीं में पढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी वह ऑनलाइन पढ़ाई ही कर रहे हैं ।
प्रदेश के विभिन्न जिलों के बच्चों ने रेडियोवार्ता की 12वीं कड़ी के लिए पढ़ाई, खेलकूद से संबंधित अनेक प्रश्न रिकार्ड करवाए थे। चूंकि 14 नवम्बर को दीवाली के साथ बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू का जन्मदिवस 'बाल दिवस' भी है, इसलिए चाचा नेहरू से जुड़े बाल सुलभ रोचक प्रश्न भी बच्चों ने मुख्यमंत्री से पूछे, 'चाचा नेहरू फैंसी ड्रेस छोड़कर हमेशा खादी के कपड़े और टोपी क्यों पहनते थे ?', 'चाचा नेहरू को गुलाब के फूल बहुत ज्यादा पसंद क्यों थे ?' जिनका मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार जवाब दिया। साथ ही उन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के व्यक्त्वि, कृतित्व, उनके विचारों और व्यक्त्वि के रोचक पहलुओं से भी परिचित कराया।
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि बच्चों की सेहत और ये खुशी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। खिलखिलाता हुआ बचपन हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। हम चाहेंगे कि छत्तीसगढ़ के बच्चे अपनी सेहत, शिक्षा, हुनर, खेलकूद के कौशल, लगन, संस्कार के लिए अलग से पहचान बनाएं। आपको ध्यान होगा कि कोरोनाकाल में हम स्कूलों में बच्चों को सूखा राशन दे रहे थे और आंगनबाड़ियों में हमने गर्म खाना देना शुरू किया है। इस दिशा में हमारी योजनाएं और नवाचार लगातार जारी रहेंगे। एक बार फिर दीपावली और बाल दिवस की शुभकामनाएं।