छत्तीसगढ़

मुख्य सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा उपार्जित मक्के के निराकरण पर की चर्चा

Admin2
1 July 2021 11:49 AM GMT
मुख्य सचिव ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा उपार्जित मक्के के निराकरण पर की चर्चा
x

रायपुर। आज मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के द्वारा गत् वर्षों में जिले में उपार्जित किये गये मक्के के उचित निराकरण पर चर्चा की। इस वीडियो कान्फ्रेंस में जिला कार्यालय से कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा, सहायक पंजीयक केएल उईके सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। इस बैठक में मुख्य सचिव द्वारा ग्रीष्म कालीन धान के रकबे को कम करते हुए मक्के की फसल रबी के मौसम में उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए रणनीति निर्माण पर चर्चा की। रणनीति निर्माण के लिए मुख्य सचिव ने जिले के कृषि विभाग, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, छत्तीसगढ़ सहकारी बैंक एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों को मिलकर कार्य करते हुए किसानों के मध्य जाकर कृषकों से चर्चा कर बैठकों के माध्यम से उनकी समस्याओं को जानने के निर्देश दिए।

ज्ञात हो कि जिले में मक्के के विक्रय हेतु खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कुल 9603 किसानों ने ऑनलाईन पंजीयन कराया था। जिसमें से मात्र 59 किसानों ने संबंधित लैम्प्स में जाकर मक्का विक्रय किया था। जिसे देखते हुए मुख्य सचिव ने पंजीकृत किसानों एवं मक्का बेचने वाले किसानों के मध्य आने वाले अंतर को घटाकर अधिक से अधिक मक्का उपार्जन को प्रेरित करने के लिए जिले में उपार्जन हेतु उपयुक्त व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने पर जोर दिया साथ ही आगामी वर्ष में अधिक से अधिक किसानों में मक्का उपार्जन के संबंध में कृषकों में जागरूकता लाने हेतु अभियान चलाने को कहा।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 में पंजीकृत किसानों से 26 लाख 85 हजार लागत से 145.15 मे. टन मक्का उपार्जित किया गया था। जिसमें से अमानक मक्के की वापसी उपरान्त केवल 119.37 मे. टन मक्का शेष बचा था। जिसका निराकरण राज्य शासन द्वारा ई-टेंडर के माध्यम से किया जा रहा है। 2020-21 के पूर्व उपार्जित समस्त मक्के का निराकरण पूर्व में ही राज्य शासन द्वारा कर लिया गया है। राज्य शासन का मुख्य लक्ष्य मक्के की फसल को प्रोत्साहित कर धान के ग्रीष्म कालीन उत्पादन के रकबे को घटाना है। जिससे कृषकों को ग्रीष्मकाल में भी उचित लाभ प्राप्त हो सके। जिले में शुष्क पथरीली भूमि एवं सिंचाई की व्यवस्था न होने से धान की ग्रीष्म कालीन फसलें अधिक उत्पादक नहीं होती है, परन्तु यहां मक्के के उत्पादन के लिए अनुकूल दशाएं प्राप्त है। जिससे ग्रीष्मकाल में भी कृषक अच्छी आमदनी कर सकते हैं। इस बैठक में कोण्डागांव सहित कांकेर, गरियाबंद जिलों के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।

Next Story