मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान : जुड़वा बहन पायल और पिंकी के सेहत मे आया सुधार
बेमेतरा। गांधी जयंती 02 अक्टूबर 2019 से प्रांरभ मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान संचालित होने से अनेक बच्चों के सेहत मे सुधार आया है, इस योजना के अंतर्गत आंगनबाडी केन्द्र मे माह फरवरी से 6 माह से 3 वर्षो बच्चो को अतिरिक्त आहर के रूप मे खिचडी दिया जा रहा है। योजनांतर्गत बेमेतरा जिले के बेरला विकासखण्ड के ग्राम भिभौरी मे आं.बा. कार्यकर्ता द्वारा पायल व पिंकी को पोेषण आहार प्रदाय करने के साथ-साथ नियमित रूप से घर में भी सतत् गृहभेंट किया जा रहा है जिसमें पाया गया कि बच्चे के पालको द्वारा खान-पान के तरीके मे सुधार होने से आहार में वृद्धि पायी गई। आं.बा. कार्यकर्ता द्वारा बच्चे के परिवार को विभिन्न प्रकार के पौष्टिक व्यंजन, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामाग्री से बनाकर कर खिलाया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक द्वारा गृहभेंट कर बच्चे के खानपान की निगरानी की गई एवं आंगनबाड़ी केन्द्र में नियमित रूप से वजन लिया गया। जिससे 17 सितम्बर 2021 की स्थिति मे पायल का वजन 10.900 कि.ग्रा. व पिंकी का वजन 10.400 कि.ग्रा. है। इस प्रकार दोनो ही बच्चे सामान्य श्रेणी मे व स्वस्थ है।
एकीकृत बाल विकास परियोजना बेरला सेक्टर भिंभौरी 02 अंतर्गत ग्राम भिंभौरी मे श्रीमती रामेश्वरी यादव पति राजेन्द्र यादव के यहां 06 अगस्त 2019 को दो जुडवा बच्चे क्रमशः पायल यादव व पिंकी यादव का जन्म हुआ। जन्म के समय पायल का वजन 900 ग्राम व पिंकी यादव का वजन 700 ग्राम जो कि अतिगंभीर कुपोषित के श्रेणी मे थे। बच्चों के माता श्रीमती रामेश्वरी यादव व पिता श्री राजेन्द्र यादव बहुत चिंतित थे। जन्म के पश्चात् दोनो बच्चों को लगभग 01 माह तक अस्पताल में ही रखा गया था। उसके बाद जैसे ही वे अपने घर वापस आये उसके तुरंत बाद सेक्टर पर्यवेक्षक श्रीमती रश्मि वर्मा व आं. बा. कार्यकर्ता श्रीमती उमा सोनी द्वारा गृहभेंट कर परिवार के समक्ष बच्चे का वजन लिया गया तथा साथ ही नवजात शिशु की मॉ को कमजोर व अल्पवजन होने की जानकारी दी गई। आं. बा. कार्यकर्ता द्वारा कुपोषण, 6 माह तक सतत् स्तनपान व स्वच्छता के विषय मे जानकारी दी गई। बच्चो के पिता प्राईवेट फैक्ट्री व माता मजदूरी का कार्य करते है। अतः परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है, और उसकी माता अपने कार्य मे जाने के कारण पायल व पिंकी को स्तनपान व उपरी आहार का ध्यान नही रख पाती थी। बच्चो के घर में उचित देखभाल नहीं होने के कारण उनके वजन मे सुधार नही हो पा रहा था। अतः आं. बा. कार्यकर्ता द्वारा लगातार गृहभेट के दौरान पालको को कुपोषण उपरी आहार स्वच्छता एवं साफ-सफाई के बारे मे परामर्श दिया गया। आं. बा. कार्यकर्ता द्वारा शिशुवती माता को छः माह तक सतत स्तनपान के बाद सातवे माह मे आंगनबाडी केन्द्र मे अन्नप्राशन कराया गया व आं. बा. केन्द्र मे मिलने वाली पूरक पोषण आहार के पैकेट प्रदाय कर उसकी उपयोगिता व सेवन करने के तरीके के बारे मे प्रदर्शन कर परामर्श दिया गया, एवं परिवार को पोषण एवं स्वच्छता के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रदान की गई। 02 बार बाल संदर्भ शिविर में स्वाथ्य जांच करा कर डॉक्टर के द्वारा आवश्यक परामर्श दिया गया जिससे पायल व पिंकी के स्वस्थ मे सुधार हुआ ।