छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान: 2019-20 में 383, तो 2020-21 में 605 बच्चे हुए कुपोषण मुक्त

Nilmani Pal
24 Oct 2021 2:05 AM GMT
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान: 2019-20 में 383, तो 2020-21 में 605 बच्चे हुए कुपोषण मुक्त
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धमतरी। मानव समाज के लिए कुपोषण बहुत बड़ा अभिशाप है। कुपोषित बच्चा न सिर्फ शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। सामान्य बच्चों की तुलना में उसकी बौद्धिक एवं अन्य प्रकार की क्षमता क्षीण हो जाती है। प्रदेश के संवेदनशील मुखिया श्री भूपेश बघेल ने ऐसे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान लेकर आया, जिससे समाज की भावी पीढ़ी को एक ऐसी मजबूत नींव मिल सके जो किसी भी मामले में समान क्षमता और बौद्धिक स्तर कायम कर सके। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत 02 अक्टूबर 2019 को हुई, जिसके क्रियान्वयन के बाद जिले में वर्ष 2019-20 में 383 तथा 2020-21 में अब तक 605 कुपोषित बच्चे कुपोषण के दायरे से बाहर आ चुके हैं। वहीं 877 गर्भवती महिलाओं को वर्ष 2019-20 में और 2020-21 में अब तक 884 गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त पौष्टिक आहार विभाग द्वारा प्रदाय किया जा चुका है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि कलेक्टर के मार्गदर्शन में वित्तीय वर्ष 2019-20 में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत छह माह से तीन वर्ष तक के 678 बच्चे, 3 से 6 साल तक के 4044 बच्चे को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके विरूद्ध क्रमशः छह माह से तीन साल तक के 577 बच्चांे और तीन से छह साल तक के 3041 बच्चों को लाभान्वित किया गया। इसी तरह वर्ष 2019-20 में 1182 गर्भवती महिलाओं और 1042 धात्री माताओं के लक्ष्य के विरूद्ध क्रमशः 877 गर्भवती महिलाओं और 951 माताओं को अतिरिक्त पौष्टिक आहार प्रदान किया गया। इस वर्ष 383 बच्चों को कुपोषण से बाहर लाया गया। उन्होंने बताया कि इसी तरह वर्ष 2020-21 में छह माह से तीन वर्ष तक के 1335 के लक्ष्य के विरूद्ध 955 बच्चे, तीन से छह साल तक के 3887 के लक्ष्य के विरूद्ध 3509 बच्चों को योजना के तहत लाभान्वित किया गया। इसके अलावा 1207 गर्भवती महिलाओं के लक्ष्य के विरूद्ध 884 तथा 1052 धात्री माताओं के लक्ष्य के विरूद्ध 839 को अतिरिक्त पौष्टिक आहार दिया जाकर लाभान्वित किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 के प्रतिकूल दौर में भी लक्ष्य का अनुसरण करते हुए बच्चों व महिलाओं के घर राशन का वितरण किया गया। इस वर्ष एनीमिया से पीड़ित 141 महिलाएं भी एनीमियामुक्त हुईं। उन्होंने बताया कि छह माह से तीन वर्ष के कुपोषित बच्चों को गरम भोजन, सूखा राशन, शिशुवती महिलाओं को गरम भोजन तथा तीन से छह वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को उबला हुआ एक अण्डा या पांच ग्राम सोयाबीन की बड़ी दी जाती है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्म भोजन के रूप में चावल, दाल, रोटी, सब्जी, अण्डा एवं पोषक लड्डू प्रदान किया जाता है। इस प्रकार मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं और इसके सकारात्मक परिणाम लगातार परिलक्षित हो जाते हैं।

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