रायपुर: दीप प्रज्ज्वलित कर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभछत्तीसगढ़ की संस्कृति और सभ्यता की चर्चा पुरातन काल से होती आ रही है। बीते कुछ समय तक इस संस्कृति को लगभग भुला दिया गया था। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से ही श्री भूपेश बघेल ने यहां की संस्कृति और पुरातन सभ्यता को विश्व पटल पर लाने की योजना पर काम शुरू किया। स्थानीय त्यौहारों के अवसर पर अवकाश, बोरे-बासी को वैश्विक पहचान दिलाना, स्थानीय त्यौहारों के प्रति लोगों को जागरुक करना मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल का परिणाम है। इसी कड़ी छत्तीसगढ़ की संस्कृति से लोगों को जोड़ने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की गई है जिसकी संकल्पना खुद मुख्यमंत्री श्री बघेल ने की है।
दीप प्रज्ज्वलित कर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभमुख्यमंत्री की सादगी,संजीदगी और स्थानीय संस्कृति के प्रति लगाव का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभारंभ के अवसर पर मुख्यमंत्री खुद रेफरी की सीटी लेकर महिला कबड्डी खिलाड़ियों के बीच पहुंच गए और मैच में निर्णायक की भूमिका निभाने लगे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने लंगड़ी, भौंरा, बाटी (कंचा) और पिट्ठुल जैसे खेलों मे खिलाड़ी के रूप में खुद भी हाथ आजमाया और अन्य खिलाड़ियों के साथ खुद को एक खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया और खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन किया।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक पूरे राज्य में शुरू हो गया है। त्यौहारों के इस खुशनुमा माहौल में युवा से लेकर बुजुर्ग इन खेलों में उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। एक तरफ प्रकृति की हरियाली वहीं दूसरी ओर फसल के रूप में प्रकृति का उपहार इस उत्साह को कई गुना बढ़ा रहा है। पहली बार छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहे इन खेलों में लोगों का जुड़ाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ में इन खेलों के प्रति रूचि इस बात से पता चल रही है कि इन खेलों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को अपना बचपन और युवावस्था फिर से याद आने लगा है।