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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज दो दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान यहां आसना स्थित बादल एकेडमी में बादल पत्रिका का विमोचन किया। इस अवसर पर बस्तर अंचल में कृषि कार्य के शुभारंभ के तौर पर माटी त्यौहार का आयोजन भी किया गया। मुख्यमंत्री अंचल के इस प्रमुख पर्व में शामिल होते हुए बीज पोटली का वितरण भी ग्रामीणों को किया। इस अवसर पर बादल अकादमी की स्थापना की आवश्यकता तथा माटी त्यौहार पर आधारित नाटक का मंचन भी किया गया।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, संसदीय सचिव रेखचंद जैन, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप, ऊर्जा विकास बोर्ड के अध्यक्ष मिथलेश स्वर्णकार, महापौर सफीरा साहू, कमिश्नर श्याम धावड़े, पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी, मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद, कलेक्टर रजत बंसल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र मीणा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोहित व्यास, वन मंडलाधिकारी श्री डीपी साहू सहित जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
बस्तर की संस्कृति में माटी से अनूठा प्रेम
बस्तरिया संस्कृति में माटी से अनूठा प्रेम झलकता है। प्रकृति के अत्यंत निकट रहने वाला आदिवासी समुदाय प्रकृति के प्रति अगाध श्रद्धा रखने के साथ ही अपने स्वभाव के अनुसार पर्व और उत्सवों के लिए अवसर खोजता रहता है। बस्तर का माटी त्यौहार भी ऐसा ही एक पर्व है, जब खेती बाड़ी की शुरुआत के तौर पर यह पर्व प्रति वर्ष चैत्र मास में मनाया जाता है। माटी तिहार का मतलब मिट्टी की पूजा कर अच्छी फसल की कामना करना है। यह पर्व अलग-अलग गांवों में अपने मर्जी से अलग-अलग दिन में मनाई जाती है जिसे गांव के गायता, पुजारी एवं समुदाय के सभी लोग मिल कर तय करते हैं। इस दिन प्रत्येक घर से एक बीज की पोटली माटी पुजारी को सौंपते हैं। यह पोटली सिहाड़ी या पलाश के पत्ते से बनाई जाती है।
गांव की सभी पोटलियों को माटी तिहार के स्थान में जमा किया जाता है और फिर वहां बनाई गए कीचड़ में डुबोकर पुजारी द्वारा अच्छे फसल की कामना के साथ ग्रामीणों को वापस कर दिया जाता है।माटी तिहार के दिन ग्रामीण मिट्टी से संबंधित किसी प्रकार से कोई भी कार्य जैसे मिट्टी खोदना, खेतों में हल चलाना आदि नहीं करते है। यदि कोई नियम विरुद्ध कार्य करते पाया गया तो समुदाय द्वारा उस व्यक्ति को दण्डित भी किया जाता है। माटी त्योहार से साल भर के त्योहार की शुरूआत होती है और मेला-मड़ई के साथ समाप्ति होती है। माटी देव की पूजा के साथ हीं अंचल में खेती किसानी का काम शुरू हो जाता है। उन्होंने बटन दबाकर बादल म्यूजिक स्टूडियो का लोकार्पण किया, जहां बस्तर की लोक कला, संगीत को आधुनिक रंग दिया जायेगा।
स्लो बाजार के साथ हुए दो एमओयू
बस्तर के उत्पादों, लोक कलाकृतियों, हस्तशिल्प को बाजार प्रदान करने और स्थानीय कलाकारों, रचनाकारो को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने स्लो बाजार के साथ दो एमओयू का विनिमय किया। जिसमे प्रथम बस्तर के खाद्य उत्पादों काजू, इमली आदि के वैल्यू एडिशन के लिए आमचो बस्तर, भूमगादी कृषक उत्पादक समूह, और स्लो बाजार के मध्य हुई। दूसरा एमओयू बस्तर के हस्तशिल्प कलाकारों को प्रोत्साहित करने और बाज़ार प्रदान के लिए स्लो बाजार, कालागुडी और लोका बाजार मध्य की गई।
मुख्यमंत्री ने स्लो बाजार बस्तर के उत्पादों को देशव्यापी स्थान प्रदान करने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान करने वाले रचनाकारों को प्रेरित करने के लिए 1000 क्रिएटर्स प्रोजेक्ट की शुरुआत बकावंड ब्लॉक के ग्राम चिलपुटी के ढोकरा हस्तशिल्पी फगनू दादा को सम्मानित कर किया। इसके साथ ही उन्होंने "बस्तर इन ए बॉक्स" का अनावरण किया, जिसमे ग्रामीण सहायता समूहों द्वारा निर्मित बस्तर की कॉफी, इमली चटनी, काजू, बेल मेटल हस्तश्लिप, टेराकोटा हस्तशिल्प और साबुन हैं।
Shantanu Roy
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