मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एम जामगांव में लघु वनोपजों की प्रोसेसिंग यूनिट का किया भूमिपूजन
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज पाटन ब्लाक के एम जामगांव ग्राम में आयुर्वेदिक औषधि इकाई एवं केंद्रीय प्रसंस्करण यूनिट का भूमि पूजन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रोसेसिंग यूनिट आरंभ होने से 5 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। वनोपज संग्राहकों को बेहतर आय के अवसर उपलब्ध हो पाएंगे। यूनिट से होने वाले लाभ को संग्राहकों के बीच बोनस के रूप में साझा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोहा, कोयला जैसे प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो सकते हैं लेकिन वनोपज कभी समाप्त नहीं हो सकते। इसलिए यह जामगांव का यूनिट हमेशा चलेगा तथा संग्राहकों और प्रसंस्करण में लगे अनेक लोगों को आर्थिक संभावनाओं के नए अवसर उपलब्ध कराएगा।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि हिमालय की तराई के पश्चात छत्तीसगढ़ की भूमि ही एकमात्र ऐसी भूमि है, जहां औषधि पौधों के लिए बेहतरीन संभावनाएं हैं। दुर्भाग्य से इनके प्रसंस्करण के क्षेत्र में अब तक कोई कार्य नहीं हो सका था। जिसकी वजह से संग्राहकों को उचित कीमत नहीं मिल पा रही थी। यह यूनिट आरंभ होने से क्षेत्र में अब नई संभावनाएं खुलेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने वन विभाग को निर्देशित किया था कि जंगलों में फलों एवं औषधि पौधों का रोपण करें। वन विभाग ने एक लाख 90 हजार पौधों का रोपण किया है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि कांकेर में सीताफल का पल्प यूनिट लगाया गया है। कोंडागांव का तिखुर शेक विदेशों में जा रहा है। वियतनाम में यह भेजा जा रहा है। सुकमा में इमली कैंडी का उत्पादन हो रहा है। दंतेवाड़ा में महिलाओं द्वारा डेनेक्स रेडीमेड गारमेंट का प्रोडक्शन किया जा रहा है। इस प्रकार हम जनजाति क्षेत्र की संभावनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में पूरा कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर किसानों से आग्रह करते हुए कहा कि धान की ऐसी प्रजातियों की खेती करें, जिससे अरवा चावल बनाया जा सके। यह प्रदेश के हित में होगा। उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार से धान से एथेनॉल यूनिट स्थापित करने की मांग की है, अब तक इसकी स्वीकृति केंद्र सरकार से नहीं मिल पाई है, यदि यह स्वीकृति मिल जाएगी तो छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह वरदान की तरह साबित होगा, क्योंकि हम किसानों का रबी सीजन का भी धान खरीद सकेंगे।
वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश में हो रहे विकास को देश भर में सराहा जा रहा है। अभी हाल ही में हुए सर्वे में मुख्यमंत्री के कार्य की विशेष प्रशंसा की गई है। उन्होंने लघु वनोपज संग्राहकों को बढ़ावा देने के लिए जो कार्य किए हैं, वह प्रदेश में वनोपज संभावनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में मील के पत्थर साबित हो रहे हैं। आज यहां पर जो प्रसंस्करण यूनिट स्थापित की जा रही है। उससे लघु वनोपज की संभावनाओं की दिशा में नए द्वार खुलेंगे तथा संग्राहकों को अपनी उपज का विशेष मूल्य मिल पाएगा। उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने महुआ से लड्डू आदि बनाने के उद्यम को भी बढ़ावा दिया है। इस तरह छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज की जो बड़ी संभावनाएं थी, उसे मूर्त रूप देने की दिशा में शासन ने बड़ा काम किया है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री संजय शुक्ला ने लघु वनोपज प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी। पीसीसीएफ श्री राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की यह यूनिट प्रदेश में लग जाने से संग्राहकों को उचित मूल्य मिल पाएगा। इस मौके पर प्रमुख सचिव श्री मनोज पिंगुआ, सीएफ श्रीमती शालिनी रैना, कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, वन मंडल अधिकारी श्री धम्मशील गणवीर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इस मौके पर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री जवाहर वर्मा, दुर्ग जिला मंडी बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्वनी साहू एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
अस्पताल की घोषणा - मुख्यमंत्री ने इस मौके पर एम जामगांव में अस्पताल स्थापित करने, धान खरीदी केंद्र खोलने तथा रेस्ट हाउस के निर्माण की भी घोषणा की।
चुलगहन की जन्मांध दो बेटियों को सौंपा लैपटॉप - मुख्यमंत्री ने इस मौके पर ग्राम चुलगहन की दो बेटियों को पढ़ने-लिखने का बेहतर अवसर प्रदान करने लैपटॉप प्रदान किया। इन बहनों के नाम मेनसवीर रघुवंशी तथा मंदाकिनी रघुवंशी हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मिलेट के गुणों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया।
जब मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ का गमछा दिखाया- मुख्यमंत्री ने इस मौके पर छत्तीसगढ़ का गमछा भी ग्रामीणों को दिखाया। उन्होंने कहा कि यह हमने छत्तीसगढ़ का गमछा बनाया है। इसमें आदिवासी नृत्य भी हैं, किसान भी हैं धान की बालियां भी है। आप लोगों को बहुत पसंद आएगा। इस तरह का है प्रोजेक्ट - आयुर्वेदिक औषधि यूनिट 27 एकड़ में होगी और इसकी कुल लागत 79 करोड़ रुपए होगी। प्रथम चरण में 60 करोड़ रुपए में काम होगा। केंद्रीय प्रसंस्करण यूनिट 100 करोड़ रुपए की होगी और यह 83 एकड़ में होगी। इसके अलावा 17 हेक्टेयर में लघु वनोपज आधारित फूड पार्क स्थापित किया जाएगा। इसमें निजी निवेशकों को औद्योगिक भूखंड सीएसआईडीसी द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।