मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग में ट्रांजिट हॉस्टल का किया लोकार्पण
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज दुर्ग में 10 करोड़ 41 लाख रुपये की लागत से निर्मित ट्रांजिट हॉस्टल का लोकार्पण किया। ट्रांसफर में दुर्ग आने वाले अधिकारियों को आवास आबंटित होने तक यहां रहने की सुविधा मिलेगी। इस हॉस्टल में 54 आवास बने हैं, जिसमें बेडरूम, ड्राईंग रूम, किचन और गैलरी की सुविधा रहेगी। यहां 6 स्टॉफ क्वाटर भी बनाए गए हैं।
हम तो गोबर भी बेच देते हैं : भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि दुर्ग में भी रायपुर की तरह होलसेल कॉरिडोर बनेगा। उन्होंने आज जिला मुख्यालय दुर्ग में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के नवीन कार्यालय भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में उद्योगपतियों की मांग पर यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने दुर्ग कलेक्टर को इसके लिए जमीन चिन्हांकन के निर्देश दिए। कार्यक्रम में गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया और राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अरूण वोरा सहित अनेक जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
बघेल ने कहा कि दुर्ग औद्योगिक जिला है, लेकिन देश मे औद्योगिक केंद्र की पहचान भिलाई से है। बीएसपी की स्थापना के बाद यहां उद्योगों की शुरुआत हुई। दुर्ग के निर्माण में यहां के उद्योगों की बड़ी भूमिका है। बीच के दौर में निजीकरण का दौर चला और श्रमिकों की मांग घटी। तकनीक का असर पड़ा है। बीएसपी प्रदेश के उद्योगों के लिए रीढ़ की तरह है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्ग जिला सब्जी और फल का भी हब रहा है। यहां के किसान ऐसी क्रॉप भी उगा रहे हैं जिनकी मांग विदेशों में भी है। उद्योगपतियों के साथ बैठकों के बाद हमने उद्योग नीति बनाई, जिसमें सभी राज्यों की अच्छी नीतियों का समावेश रहा। कोरोना काल मे लगातार मै उद्योग संगठनों से मिलता रहा, उनकी समस्याएं जानी और इसका निराकरण किया। हमने प्रदेश के उन क्षेत्रों में भी उद्योग प्रसार की नीति अपनाई जहां पर उद्योग कम थे। मैंने फाइनल ड्राफ्ट बनने के बाद भी उद्योगपतियों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस नीति में एनपीए नहीं होगा।
बघेल ने कहा कि जब उद्योग की बात आती है तो रोजगार के उद्देश्य से इसकी मांग होती है लेकिन कई बार स्थानीय स्तर पर विरोध भी होता है। हमने स्थानीय लोगों से कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार हो तो आपको पलायन की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना काल के दौरान ऐसे स्थल के लोगों से बात हुई जहाँ काफी संख्या में श्रमिकों को वापस लाया गया था। हमने उन्हें बताया कि स्थानीय स्तर पर उद्योग के कार्य हो सकें, इसके लिए हमने ऑरेंज एरिया चिन्हांकित किये। चैम्बर के अधिकारियों से बस्तर में बैठक ली। उन्हें बताया कि जब आप उद्योग लगाएं तो स्थानीय स्तर पर सर्वे कर उद्योग की जरूरत की मुताबिक लोगों का कौशल उन्नयन करें, जब लोगों को उद्योगों में रोजगार के अवसर दिखेंगे, तो वे लोग उद्योगों का समर्थन करेंगे क्योंकि अब उनके लिए आपके पास रोजगार की संभावना है।